राष्ट्रमण्डल खेल – ”उभरती शक्ति“ के प्रदर्शन का सच
पूँजी की लूट और गति, जिसने उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों एवं स्थान की तलाश में पूरे विश्व में निर्बाध रूप से तूफान मचा रखा है, से खेल भी अछूता नहीं है। खेल आयोजन एवं समूचा खेल तन्त्र आज एक विशाल पूँजीवादी उद्योग बन गया है जहाँ सब कुछ मुनाफे को केन्द्र में रखकर विभिन्न राष्ट्रपारीय निगमों, कम्पनियों एवं इनके सर्वोच्च निकाय पूँजीवादी राज्यव्यवस्था द्वारा संचालित किया जाता है।