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  • 14 Oct ’24

    जन संगठन, विचारधारा और पहचान की राजनीति से सम्बन्धित प्रश्नों पर ‘दिशा’ और ‘बाप्सा’ के बीच �...

    जन संगठन, विचारधारा और पहचान की राजनीति से सम्बन्धित प्रश्नों पर ‘दिशा’ और ‘बाप्सा’ के बीच चली बहस में ‘दिशा’ का जवाब प्रिय पाठको, हाल ही में जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय…

  • 14 Oct ’24

    ‘सेपियन्स’ की आलोचना: चेतना के उद्भव तथा मानव प्रजाति का हरारी द्वारा पूँजीवादी संस्कृति �...

    ‘सेपियन्स’ की आलोचना: चेतना के उद्भव तथा मानव प्रजाति का हरारी द्वारा पूँजीवादी संस्कृति के अनुसार सारभूतीकरण सनी युवल नोआ हरारी की किताब ‘सेपियन्स’ पर बात करते हुए हमने पिछली…

  • 5 Sep ’24

    मणिपुर : जनजातीय संघर्ष का एक साल और फ़ासीवादी भाजपा की भूमिका

    मणिपुर : जनजातीय संघर्ष का एक साल और फ़ासीवादी भाजपा की भूमिका अमित यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में आग लगी हो तो क्या तुम दूसरे कमरे में सो…

  • 1 Sep ’24

    पेपर लीक के लिए भाजपा सरकार, प्रशासन और शिक्षा माफ़ियाओं का नापाक गठजोड़ ज़िम्मेदार है!!

    पेपर लीक के लिए भाजपा सरकार, प्रशासन और शिक्षा माफ़ियाओं का नापाक गठजोड़ ज़िम्मेदार है!! अविनाश (इलाहाबाद) फ़ासीवादी मोदी सरकार का शासनकाल छात्रों-युवाओं के लिए किसी भयानक दुःस्वप्न से कम…

  • 1 Sep ’24

    लोकसभा चुनाव के नतीजे और छात्रों-युवाओं के कार्यभार

    लोकसभा चुनाव के नतीजे और छात्रों-युवाओं के कार्यभार सम्पादकीय लोकसभा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। येन-केन-प्रकारेण मोदी का तीसरी बार प्रधानमन्त्री बनने का सपना चन्द्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार…

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सम्‍पादकीय

लोकसभा चुनाव के नतीजे और छात्रों-युवाओं के कार्यभार

लोकसभा चुनाव के नतीजे और छात्रों-युवाओं के कार्यभार सम्पादकीय लोकसभा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। येन-केन-प्रकारेण मोदी का तीसरी बार प्रधानमन्त्री बनने का सपना चन्द्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार…

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भाजपा की साम्प्रदायिक फ़ासीवादी राजनीति की आग में जलता मणिपुर

उपरोक्त कारकों के अलावा मणिपुर की हालिया हिंसा में एक नया और बड़ा कारण मणिपुर में संघ परिवार व भाजपा की मौजूदगी और उसका फ़ासीवादी प्रयोग रहा है। ग़ौरतलब है कि मणिपुर में 2017 से ही भाजपा की सरकार है जिसका इस समय दूसरा कार्यकाल चल रहा है। पिछले छह वर्षों में संघ परिवार ने सचेतन रूप से मणिपुर में मैतेयी राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने और उसे हिन्दुत्ववादी भारतीय राष्ट्रवाद से जोड़ने के तमाम प्रयास किये हैं।

पूरा लेख पढें → October 15 - Comments (0)
जनवादी अधिकारों पर बढ़ता फ़ासीवादी हमला और कैम्पसों में घटता जनवादी स्पेस

जनवादी अधिकारों पर बढ़ता फ़ासीवादी हमला और कैम्पसों में घटता जनवादी स्पेस सम्पादकीय वर्तमान फ़ासीवादी दौर में जनता के लम्बे संघर्षों से हासिल सीमित जनवादी अधिकारों पर हमला बोल दिया…

पूरा लेख पढें → March 3 - Comments (0)


शिक्षा स्‍वास्‍थ्य और रोजगार

पेपर लीक के लिए भाजपा सरकार, प्रशासन और शिक्षा माफ़ियाओं का नापाक गठजोड़ ज़िम्मेदार है!!

पेपर लीक के लिए भाजपा सरकार, प्रशासन और शिक्षा माफ़ियाओं का नापाक गठजोड़ ज़िम्मेदार है!! अविनाश (इलाहाबाद) फ़ासीवादी मोदी सरकार का शासनकाल छात्रों-युवाओं के लिए किसी भयानक दुःस्वप्न से कम…

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पाठ्यक्रम में बदलाव : फ़ासीवादी सरकार द्वारा नयी पीढ़ी को कूपमण्डूक और प्रतिक्रियावादी बनाने की साज़िश

एक फ़ासीवादी सत्ता ऐसे ही काम करती है। वह पहले पूरे इतिहास का मिथ्याकरण करती है, फ़िर अपनी पूरी शक्ति से उसे स्थापित करने की कोशिश में लग जाती है। एक झूठे इतिहास का महिमामण्डन कर के लोगों को किसी “रामराज्य” के ख़्वाब दिखाती है, जिसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है।

पूरा लेख पढें → October 22 - Comments (0)
“अमृतकाल” में उच्च शिक्षा

हमें यह समझना चाहिए कि सबके लिए समान और निःशुल्क शिक्षा हासिल करने के लिए जुझारू संघर्ष संगठित करने के लिए विश्वविद्यालय कैम्पसों के अन्दर मौजूद छात्रों के साथ ही, कैम्पस के बाहर मौजूद छात्रों-युवाओं की बड़ी संख्या को भी लामबन्द करना होगा। अर्थात कैम्पस की चौहद्दियों के बाहर के दायरों को भी समेटता हुआ एक व्यापक छात्र-युवा आन्दोलन ही इस सबकी शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित कर सकता है।

पूरा लेख पढें → October 22 - Comments (0)


फ़ासीवाद

मणिपुर : जनजातीय संघर्ष का एक साल और फ़ासीवादी भाजपा की भूमिका

मणिपुर : जनजातीय संघर्ष का एक साल और फ़ासीवादी भाजपा की भूमिका अमित यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में आग लगी हो तो क्या तुम दूसरे कमरे में सो…

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नूँह दंगा और सरकारी दमन : एक रिपोर्ट

नूँह दंगा और सरकारी दमन : एक रिपोर्ट भारत बिगुल मज़दूर दस्ता की टीम कुछ अन्य जन संगठनों व बुद्धिजीवियों के साथ नूँह में फैक्ट फाइण्डिंग के लिए गयी। इस…

पूरा लेख पढें → October 22 - Comments (0)
साक्षी की हत्या को ‘लव जिहाद’ बनाने की संघ की कोशिश को किया गया असफल

वास्तव में, ‘लव जिहाद’ कोई मसला है ही नहीं। ‘लव जिहाद’ तो बहाना है, जनता ही निशाना है। मोदी सरकार जनता को रोज़गार नहीं दे सकती, महँगाई से छुटकारा नहीं दिला सकती, खुले तौर पर अडानी-अम्बानी के तलवे चाटने में लगी है और सिर से पाँव तक भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो वह उन असली मसलों पर बात कर ही नहीं सकती, जो आपकी और हमारी ज़िन्दगी को प्रभावित करते हैं। शाहाबाद डेरी में संघ के ‘लव जिहाद’ के प्रयोग को असफल कर दिया गया।

पूरा लेख पढें → October 15 - Comments (0)


साहित्‍य और कला

भाजपा भ्रष्टाचार का विरोध कैसे करेगी?

भाजपा भ्रष्टाचार का विरोध कैसे करेगी? हरिशंकर परसाई साधो, भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन करने वाली है। सबसे निरर्थक आन्दोलन भ्रष्टाचार के विरोध का आन्दोलन होता है। भ्रष्टाचार विरोधी…

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मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया

मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया (प्रेमचन्द के जन्मदिवस 31 जुलाई पर) गजानन माधव मुक्तिबोध एक छाया-चित्र है। प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं। प्रसाद गम्भीर सस्मित। प्रेमचन्द…

पूरा लेख पढें → October 14 - Comments (0)
मेटामॉरफ़ॉसिस

मैं सोचता हूँ कि रात भर वह नेता क्या सोच रहा होगा! ऐसा क्या हुआ कि सुबह उठते ही उसे वह सरकार इतनी पसन्द आने लगी जिसे रात में वह गाली दे रहा था। रात में उसे देश में हर जगह महँगाई-बेरोज़गारी दिख रही थी, सुबह उठने के बाद उसे देश में विकास दिखने लगा। कल तक सर्वधर्म समभाव की बात कर रहा था, आज सुबह से सनातन ख़तरे में दिखने लगा। रात भर में उसे यह दिव्य दृष्टि कहाँ से मिल गयी, सोते-सोते यह बोधिज्ञान कहाँ से प्राप्त हो गया, जो अब तक लुप्त था। क्या पता वो रात में यही सोचते-सोचते सो गया हो कि जीवन में आज तक आगे बढ़ने के लिए क्या-क्या किया और भविष्य में आगे बढ़ने के लिए क्या करना है! रात को वह सोया और सुबह उठा तो ख़ुद को एक क़िस्म के तिलचट्टे में बदला हुआ पाया। हो गया मेटामॉरफ़ॉसिस! मेटामॉरफ़ॉसिस की प्रक्रिया क्या होती है यह भी जान लीजिए! सबसे पहले रीढ़ की हड्डी मुड़ना शुरू हो जाती है और धीरे-धीरे ग़ायब हो जाती है। आँखें छोटी-छोटी हो जाती हैं, कान फैलकर चमगादड़ जैसे हो जाते हैं। हाथ-पैर छोटे-छोटे, दाँत नुकीले और और छाती-पेट सब फूलकर गोल हो जाते हैं। दिमाग़़ भी सिकुड़कर बिलकुल छोटा हो जाता है।

पूरा लेख पढें → August 30 - Comments (0)

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आह्वान के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण विचारबिन्दु

  • ‘आह्वान’ विपर्यय के इस कठिन अँधेरे दौर में क्रान्ति के नये संस्करण की तैयारी के लिए युवा वर्ग का आह्वान करता है। यह एक नूतन क्रान्तिकारी नवजागरण और प्रबोधन का शंखनाद करता है। यह नयी क्रान्ति की नेतृत्वकारी शक्ति के निर्माण के लिए, उसकी मार्गदर्शक वैज्ञानिक जीवनदृष्टि और इतिहासबोध की समझ कायम करने के लिए और भारतीय क्रान्ति के रास्ते की सही समझदारी कायम करने के उद्देश्य से विचार-विनिमय और बहस-मुबाहसे के लिए आम जनता के विवेकशील बहादुर युवा सपूतों को आमन्त्रित करता है। ‘आह्वान’ क्रान्ति की आत्मा को जागृत करने की ज़रूरत का अहसास है। यह एक नयी क्रान्तिकारी स्पिरिट पैदा करने की तड़प की अभिव्यक्ति है। लोग यदि लोहे की दीवारों में कैद नशे की गहरी नींद सो रहे हैं, तब भी हमें लगातार आवाज़ लगानी ही होगी। नींद में घुट रहे लोगों के कानों तक लगातार पहुँचती हमारी आवाज़ कभी न कभी उन्हें जगायेगी ही। भूलना नहीं होगा कि एक चिंगारी सारे जंगल को आग लगा सकती है। ‘आह्वान’ ऐसी ही एक चिंगारी बनने को संकल्पबद्ध है।
  • ‘आह्वान’ ज़िन्दगी के इस दमघोंटू माहौल को बदलने के लिए तमाम ज़िन्दा लोगों का आह्वान करता है। यह उन सभी का आह्वान करता है जो सही मायने में नौजवान हैं। जिनमें व्यक्तिगत स्वार्थ, कायरता, दुनियादारी, धन लिप्सा, कैरियरवाद और पद-ओहदे-हैसियत-मान्यता की गलाकाटू प्रतिस्पर्धा के ख़िलाफ़ लड़ने का माद्दा और ज़िद है, जिनकी रगों में उष्ण रक्त प्रवाहित हो रहा है। जो न्याय, सौन्दर्य, प्रगति और शौर्य के पुजारी हैं। ‘आह्वान’ जनता की सेवा में लग जाने के लिए, मेहनतकश अवाम में घुलमिलकर उसकी मुक्ति का परचम थाम लेने के लिए ऐसे ही नौजवानों का आह्वान करता है। सामाजिक क्रान्तियों की कठिन शुरुआत की चुनौतियों को स्वीकारने के लिए पहले जनता के बहादुर युवा सपूत ही आगे आते हैं। इतिहास के रथ के पहिए नौजवानों के उष्ण रक्त से लथपथ हुआ करते हैं।
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