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कहानी : सुबह का रंग भूरा / फ्रांक पावलोफ़

पेशे से मनोविज्ञानी और बाल अधिकारों के विशेषज्ञ फ्रांसीसी लेखक पावलोफ़ ने यह कहानी 1988 में फ्रांस की राजनीति में धुर दक्षिणपंथी ताक़तों के बढ़ते असर के दौर में लिखी थी। एक सर्वसत्तावादी समाज किस तरह से सोच-विचार के तरीकों से लेकर रहन-सहन और जीवनशैलियों की स्वाभाविकता में ख़लल और आख़िरकार डकैती डालकर उन्हें गिरवी बना लेता है, यह कहानी (मूल नाम ‘मातिन ब्रून’) इसका दस्तावेज़ है। स्वेच्छाचारी, निरकुंश और फ़ासिस्ट चरित्र वाला राज्य किस तरह हर सोच, हर पसन्द, जीने की हर शैली को एक ही रंग में ढाल देना चाहता है, यह छोटी-सी कहानी इसे बेहद मारक ढंग से हमारे सामने रखती है। शीर्षक नाज़ी पार्टी की पोशाक ‘ब्राउन शर्ट्स’ की याद दिलाता है।

कहानी : न्याय की दहलीज़ पर / फ्रांज़ काफ़्का Story : Before the Law / Franz Kafka

न्याय की दहलीज़ पर एक सन्तरी खड़ा है। इस सन्तरी के पास देहात से एक आदमी पहुँचता है, और न्याय के समक्ष दाखिले की इजाज़त मांगता है। पर सन्तरी कहता है कि वह उस वक्त उसके दाखिले को मंज़ूर नहीं कर सकता है। आदमी इस पर गौर करता है और फिर पूछता है क्या बाद में उसे अन्दर जाने की अनुमति मिल सकती है? “ऐसा मुमकिन है”, सन्तरी कहता है, “पर इस वक्त नहीं” चूँकि द्वार खुला है, बदस्तूर, और सन्तरी द्वार के किनारे खिसक गया है, वह आदमी द्वार से अन्दर झांकने के लिए झुकता है। यह देख सन्तरी हँसता है और कहता है, “अगर तुम्हें इतनी ही बेसब्री है, तो जाओ, मेरे मना करने के बावजूद अन्दर जाने की कोशिश कर ही लो, पर खयाल रखना, मैं ताकतवर हूँ, और सारे सन्तरियों में सबसे अदना हूँ।

उपन्यास ‘वन हण्ड्रेड इयर्स ऑफ़ सॉलिट्यूड’ का एक अंश – केला बागान मज़दूरों का क़त्लेआम / गाब्रियल गार्सिया मार्केस

केला बागान मज़दूरों का क़त्लेआम (गाब्रियल गार्सिया मार्केस के उपन्यास ‘वन हण्ड्रेड इयर्स ऑफ़ सॉलिट्यूड’ का एक अंश) नया औरेलियानो अभी एक वर्ष का था जब लोगों के बीच मौजूद तनाव बिना किसी पूर्वचेतावनी के फूट पड़ा। खोसे आर्केदियो सेगुन्दो और अन्य यूनियन नेता जो अभी तक भूमिगत थे, एक सप्ताहान्त को अचानक प्रकट हुए और पूरे केला क्षेत्र के कस्बों में उन्होंने प्रदर्शन आयोजित किये। पुलिस बस सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखती रही। लेकिन सोमवार की रात को यूनियन नेताओं को उनके घरों से उठा लिया गया और उनके पैरों में दो-दो पाउण्ड लोहे की बेड़ियाँ डालकर प्रान्त की राजधानी में जेल भेज दिया गया। पकड़े गये लोगों में खोसे आर्केदियो सेगुन्दो और लोरेंज़ो गाविलान भी थे। गाविलान मेक्सिको की क्रान्ति में कर्नल रहा था जिसे माकोन्दो में निर्वासित किया गया था। उसका कहना था कि वह अपने साथी आर्तेमियो क्रुज़ की बहादुरी का साक्षी रहा था। लेकिन उन्हें तीन महीने के भीतर छोड़ दिया गया क्योंकि सरकार और केला कम्पनी के बीच इस बात पर समझौता नहीं हो सका कि जेल में उन्हें खिलायेगा कौन। इस बार मज़दूरों का विरोध उनके रिहायशी इलाक़ों में साफ-सफाई की सुविधाओं की कमी, चिकित्सा सेवाओं के न होने और काम की भयंकर स्थितियों को लेकर था। इसके अलावा उनका कहना था कि उन्हें वास्तविक पैसों के रूप में नहीं बल्कि पर्चियों के रूप में भुगतान किया जाता है जिससे वे सिर्फ़ कम्पनी की दुकानों से वर्जीनिया हैम ख़रीद सकते थे।

मक्सिम गोर्की की कहानी – कोलुशा

“घटना इस प्रकार घटी। उसका पिता गबन के अपराध में डेढ़ साल के लिए जेल में बन्द हो गया। इस काल में हमने अपनी सारी जमा पूँजी खा डाली। यूँ हमारी वह जमा पूँजी कुछ अधिक थी भी नहीं। अपने आदमी के जेल से छूटने से पहले ईंधन की जगह मैं हार्स-रेडिश के डण्ठल जलाती थी। जान-पहचान के एक माली ने ख़राब हुए हार्स-रेडिश का गाड़ीभर बोझ मेरे घर भिजवा दिया था। मैंने उसे सुखा लिया और सूखी गोबर-लीद के साथ मिलाकर उसे जलाने लगी। उससे भयानक धुआँ निकलता और खाने का जायका ख़राब हो जाता। कोलुशा स्कूल जाता था। वह बहुत ही तेज़ और किफायतशार लड़का था। जब वह स्कूल से घर लौटता तो हमेशा एकाध कुन्दा या लकड़ियाँ – जो रास्ते में पड़ी मिलतीं – उठा लाता।

मार्क ट्वेन की दो छोटी कहानियाँ Two short-stories by Mark Twain

अगर तुम्हारी माँ तुम्हें कुछ करने के लिए कहती है, तो यह जवाब देना एकदम ग़लत है कि तुम नहीं करोगी। यह बेहतर और यथोचित होगा कि तुम उसे बताओ कि तुम वैसा करोगी जैसा कि उसका आदेश है, और फिर उसके बाद चुपचाप उस मामले में वही करो जो तुम्हारे सर्वश्रेष्ठ निर्णय विवेक का निर्देश हो।

कौयनर महाशय की कहानियाँ

एक आदमी जिसने ‘क’ महाशय को काफी लम्बे अरसे से नहीं देखा था, मिलने पर उनसे कहा-‘आप तो बिल्कुल भी नहीं बदले।’

‘अच्छा’। महाशय ‘क’ ने कहा और पीले पड़ गये।

बाज़ का गीत

“हां मर रहा हूँ!” गहरी उसाँस लेते हुए बाज ने जवाब दिया। ‘ख़ूब जीवन बिताया है मैंने!…बहुत सुख देखा है मैंने!…जमकर लड़ाइयाँ लड़ी हैं!…आकाश की ऊँचाइयाँ नापी हैं मैंने…तुम उसे कभी इतने निकट से नहीं देख सकोगे!…तुम बेचारे!’

कहानी – दो मौतें / अलेक्सान्द्र सेराफ़ेमोविच

लड़की लड़खड़ाकर पीछे हटी और कागज की तरह सफ़ेद पड़ गई। पर, दूसरे ही क्षण उसका चेहरा तमतमा उठा, और वह चिल्लाई: “तुम… तुम मजदूरों को मौत के घाट उतार रहे हो! और, वे… वे अपनी गरीबी से, अपने नरक से उभरने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं… मैंने… मुझे हथियार चलाना नहीं आता, फ़िर भी मैंने तुम्हें मार डाला…”

लघुकथा : शार्क और छोटी मछलियां / बेर्टोल्‍ट ब्रेष्ट Short-story – If Sharks were Men / Bertolt Brecht

धर्मं भी अवश्य होगा…। यह उन्हें सिखाएगा कि सच्‍चा जीवन शार्कों के उदर से ही आरम्भ होता है और यदि शार्क मनुष्य हो जाएं तो छोटी मछलियों आज की तरह समान नहीं रहेगी, उनमें से कुछ को पद देकर दूसरों से ऊपर कर दिया जाएगा । कुछ बड़ी मछलियों को छोटी मछलियों को खाने तक की इजाज़त दे दी जाएगी । यह शार्कों के लिए आनन्‍ददायक होगा क्योंकि फिर उन्हें निगलने के लिए बड़े ग्रास मिलेंगे और छोटी मछलियों से से सबसे महत्वपूर्ग जिनके पास पद होगे, वे छोटी मछलियों को व्यवस्थित करेंगी । वे शिक्षक, अधिकारी, बक्से बनाने वाली इंजीनियर आदि बनेंगी। संक्षेप में, समुद्र में संस्कृति तभी होगी जब शार्क मनुष्य के रूप में हो ।