यूक्रेन विवाद के निहितार्थ
साम्राज्यवादी ताक़तें युद्धों को अपने हिसाब से चाहे जितना विनियमित व अनुकूलित करने की कोशिश करें, साम्राज्यवादी युद्ध के अपने तर्क होते हैं, ये साम्राज्यवादी हुक़ूमतों की चाहतों से नहीं बल्कि विश्व साम्राज्यवादी तन्त्र के अपने अन्तर्निहित तर्क से पैदा होते हैं। विश्वयुद्ध की सम्भावना पूरी तरह निर्मूल नहीं हो सकती, लेकिन फिर भी अगर मौटे तौर पर बात करें तो पहले की तुलना में कम प्रतीत होती हैं। जब तक साम्राज्यवाद का अस्तित्व है, तब तक मानवता को युद्धों से निजात मिलना मुश्किल है। युद्ध होता ही रहेगा चाहे वह ‘हॉटवॉर’ के रूप में हो या ‘कोल्डवॉर’ के रूप में, गृहयुद्ध के रूप में, क्षेत्रीय युद्ध या फिर विश्वयुद्ध के रूप में क्योंकि साम्राज्यवाद का मतलब ही है युद्ध।