टीसीएस द्वारा कर्मचारियों की छँटनी: अन्त की ओर अग्रसर आईटी सेक्टर का सुनहरा युग
यह अच्छी बात है कि टीसीएस द्वारा निकाले गये कर्मचारियों ने हार नहीं मानी है और सोशल नेटवर्किंग के ज़रिये अपना एक फ़ोरम बनाकर और विभिन्न शहरों में प्रदर्शन करके कम्पनी के इस क़दम का एकजुट होकर विरोध करने का फैसला किया है। यह बिल्कुल हो सकता है कि कम्पनी या सेक्टर आधारित इस फ़ौरी लड़ाई से कुछ कर्मचारियों को कम्पनी द्वारा बहाल भी कर लिया जाये लेकिन यह समझना बहुत ज़रूरी है कि यह समस्या किसी एक कम्पनी या सेक्टर की समस्या नहीं है बल्कि पूँजीवादी व्यवस्था के सभी सेक्टरों में यह समस्या व्याप्त है जिसके लिए स्वयं पूँजीवादी व्यवस्था ज़िम्मेदार है। ऐसे में अपनी फ़ौरी माँगों के लिए कम्पनी के ख़िलाफ़ लड़ते हुए दूरगामी तौर पर पूँजीवादी व्यवस्था के ख़िलाफ़ लड़ाई की तैयारी करनी होगी। इसके लिए आईटी सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों को मज़दूर वर्ग के संघर्षों के साथ एकजुटता बनानी होगी। छँटनी, बेरोज़गारी जैसी समस्याओं से स्थायी रूप से निजात पाने के लिए समूची पूँजीवादी व्यवस्था का विकल्प खड़ा करना ही एकमात्र रास्ता है।