विश्व पूँजीवादी व्यवस्था का गहराता संकट
पूँजीवाद का अन्तकारी रोग बता रहा है कि वह इस शताब्दी के आगे नहीं जा सकता। अगर जाएगा तो जनता की तबाही, किसी विनाशकारी युद्ध, आणविक युद्ध या फ़िर प्रकृति के अपूरणीय विध्वंस के साथ जो मानवता को ही ख़ात्मे की तरफ़ ले सकता है। यह एक आत्मघाती व्यवस्था है जो मुनाफ़े के उन्माद में कुछ भी कर सकती है। इसका एक-एक दिन हमारे लिए भारी है। विश्व के ताज़ा हालात और इतिहास इशारा कर रहे हैं कि हमें अपनी तैयारियाँ शुरू कर देनी होंगी!