11 अप्रैल की घटना के बाद संघर्ष को पीठ दिखाकर ‘जॉइंट एक्शन कमेटी’ से बाहर हो जाने वाले संगठनों –सोई, स्टूडैंट काउंसिल, एन.एस.यू.आयी, पुसु, ए.बी.वी.पी, आदि –जो 11 अप्रैल के पथराव वाली घटना का सारा दोष छात्रों पर मढ़ रहे थे और खासकर आरएसएस का छात्र संगठन एबीवीपी तो निजी तौर पर संघर्षशील छात्रों को निशाना बना रहा था ताकि पुलिस उनको गिरफ़्तार कर ले। ये लोग अब बेहद बेशर्मी साथ इस जीत का सेहरा अपने सिर बाँधना चाहते हैं। परन्तु छात्र जानते हैं कि कौन खरा है, कौन पूरे संघर्ष दौरान छात्रों का पक्ष लेता रहा है और कौन प्रशासन और सरकार का टट्टू बन बैठा रहा है! इस जीत ने न सिर्फ़ छात्रों के मन में ऊर्जा का संचार किया है, बल्कि एक क्रान्तिकारी संगठन की ज़रूरत का एहसास भी पक्का किया है। साथ ही, इस संघर्ष ने अपना नाम चमकाने के लिये बैठे संगठनों का चरित्र भी नंगा किया है।