यूरोप में छात्रों-नौजवानों और मेहनतकशों का जुझारू प्रदर्शन
पिछले दो महीनों से, यूरोप के विभिन्न शहरों में जनता का गुस्सा सड़कों पर उमड़ रहा है। लाखों की तादाद में मज़दूर-कर्मचारी-नौजवान विरोध प्रदर्शनों और हड़तालों में हिस्सेदारी कर रहे हैं। कई शहरों में सरकारी दफ्तरों पर हमले हो चुके हैं, उत्पादन ठप्प हुआ है और कई मौकों पर तो पूरा देश ही ठहर गया। हालाँकि इन हड़तालों और विरोध प्रदर्शनों के मुद्दे अलग-अलग हैं, लेकिन जनता के गुस्से का कारण एक है – सरकारें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में कटौती कर रही हैं, श्रम कानूनों को ढीला कर रही हैं और एक के बाद एक जन-विरोधी नीतियाँ और कानून बना रही हैं और दूसरी तरफ जन-कल्याण के लिए उपयोग किये जाने वाले पैसे से पूँजीपतियों और वित्तीय संस्थानों को बेलआउट पैकेज और कर-माफी दे रही हैं।