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इलाहबाद विश्वविद्यालय में छात्रावास की माँग को लेकर संघर्ष  

इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्ज़ा मिले 12 साल बीत चुके हैं। वर्तमान में यहाँ 26000 छात्र पढ़ते हैं, विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू (डीन स्टूडेंट वेलफेयर) के अनुसार विश्वविद्यालय केवल 3801 छात्रों को हॉस्टल मुहैया कराता है। बाकी के छात्र महँगे किराए पर आसपास के इलाकों में किराये पर कमरा लेकर रहने के लिए बाध्य है।

महाविद्रोही राहुल सांकृत्यायन की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके विचारों का प्रचार अभियान

धार्मिक कट्टरता, जातिभेद की संस्कृति और हर तरह की दिमाग़ी गुलामी के ख़िलाफ़ राहुल के आह्वान पर अमल हमारे समाज की आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। पूँजी की जो चौतरफ़ा जकड़बन्दी आज हमारा दम घोंट रही है, उसे तोड़ने के लिए ज़रूरी है कि तमाम परेशान-बदहाल मेहनतकश आम लोग एकजुट हों और यह तभी हो सकता है जब वे धार्मिक रूढ़ियों और जात-पाँत के भेदभाव से अपने को मुक्त कर लें।

‘शहीद भगतसिंह विचार मंच’ द्वारा इलाहाबाद में साइकिल यात्रा

‘शहीद भगतसिंह विचार मंच’ के कार्यकर्ताओं ने मार्च माह की क्रान्तिकारी विरासत को याद करते हुए साइकिल यात्रा निकाली। इस साइकिल यात्रा का मकसद शहीदों की शिक्षाओं के क्रान्तिकारी सार को लोगों तक पहुँचाना था। क्योंकि अपनी लाख कोशिशों के बाद भी जब शासक वर्ग शहीदों की स्मृतियों को धूल-राख के नीचे दबा पाने में असफल रहा तो वह और जनहितैषी का चोला पहने उसके प्रतिनिधि तथा अनेक संगठन उनके असली विचारों को धूमिल कर, उनको देव प्रतिमाओं का रूप देकर, उनके संघर्षों को केवल अंग्रेज़ों को भगाने के संघर्ष के रूप में प्रस्तुत कर रस्मअदायगी बना देने के प्रयासों में जुटा पड़ा है। जबकि भगतसिंह समाजवादी समाज के निर्माण में यकीन करते थे। और उनका कहना था कि हमारी लड़ाई का मकसद गोरों की जगह भूरे साहबों को सत्ता में लाना नहीं है। हमारी लड़ाई साम्राज्यवाद व पूंजीवाद के खिलाफ़ है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाली के लिए छात्रों का जुझारू संघर्ष

छात्रसंघ चुनाव छात्रों का लोकतान्त्रिक अधिकार है जिसका प्रयोग छात्र संगठन छात्रों की समस्याओं का समाधान करने व विश्वविद्यालय की भ्रष्ट नीतियों का विरोध करके छात्रों के हितों व अधिकारों की रक्षा के लिए करते हैं। इस जनतान्त्रिक मंच के जरिये ही छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही पर अंकुश लगा सकते हैं। लेकिन सरकार नहीं चाहती कि छात्र-नौजवान अपने अधिकारों के लिए आन्दोलन करें, इसी कारण देश के किसी भी कोने में अगर छात्रसंघ बहाली के लिए आन्दोलन होता है, तो सरकार लाठीचार्ज कराकर ऐसे आन्दोलनों को बर्बरतापूर्वक कुचल देती है, जिससे लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है।