परिसरों में कम होता जनवादी स्पेस और बढ़ता प्रशासनिक दमन
यह सोचने वाली बात है कि अगर गुण्डागर्दी और अराजकता के बहाने छात्रसंघ पर प्रतिबन्ध लगाना उचित है तब तो इसी तर्क को आगे बढ़ाते हुए देश की संसद और विधानसभाओं, प्रशासनिक संस्थाओं आदि पर भी ताला जड़ देना चाहिए क्योंकि इन सभी संस्थाओं में गाली-गलौच, गुण्डागर्दी, भ्रष्टाचार और अपराध का बोलबाला है। लेकिन इन पर कभी प्रतिबन्ध नहीं लगाया जायेगा क्योंकि वह शासक वर्ग का अड्डा है।