आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन की तानाशाही

केशव

बीते दिनों देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी गुवाहाटी में पीएचडी कर रहे दो छात्र हिमांचल और विक्रान्त पर प्रतिरोध करने के “जुर्म” में कार्रवाई की गयी। ये छात्र संस्थान में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए अपना प्रतिरोध दर्ज़ करा रहे थे। इन छात्रों में से विक्रान्त को 29 अक्टूबर 2020 को फ़ेसबुक पोस्ट लिखने की वजह से निलम्बित कर दिया गया था, जिसमें उसने जेईई परीक्षा में होने वाले भ्रष्टाचार पर सवाल उठाया था। वहीं एक धरना प्रदर्शन में शामिल होने के कारण हिमांचल से आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन ने अपने रिसर्च प्रोग्राम को जारी रखने के लिए छः पन्नों के उपक्रम पर हस्ताक्षर कराया था, जिसमें लिखा था कि वह किसी भी प्रकार के प्रतिरोध में शामिल नहीं होगा।
ग़ौरतलब है कि ये छात्र जनवरी 2020 से ही संस्थान में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने का प्रयास कर रहे थे, और तब से ही ये छात्र आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन की आँखों में खटक रहे थे। बीते वर्ष जनवरी में इस संस्थान के एक प्रोफ़ेसर बृजेश राय लगातार संस्थान में हो रही धाँधली को बेनक़ाब करने की कोशिश कर रहे थे। संस्थान ने डॉ बृजेश राय पर आरोप लगाया था कि इन्होंने संस्थान से जुड़े प्रोजेक्ट को ग़लत तरीके से मीडिया के माध्यम से पब्लिक कर दिये हैं। दरअसल 2017 में आईआईटी गुवाहाटी में इसरो का एक प्रोजेक्ट आया था जिसके लिए एक छात्र को चुना गया था। लेकिन उस छात्र ने प्रोजेक्ट बीच में ही छोड़ दिया। इसरो फिर उसी प्रोजेक्ट के लिए आईआईटी गुवाहाटी परिसर में दोबारा आयी। इस बार आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन ने बड़ी चालाकी से प्रोजेक्ट के लिए योग्यता को कम कर विज्ञापन निकाल दिया। इसके ख़िलाफ़ डॉ बृजेश राय ने डीन (रिसर्च एण्ड डेवलपमेण्ट और डायरेक्टर) को मेल किया, मगर कोई जवाब नहीं मिला। जवाब न मिलने पर डॉ बृजेश राय ने यही जानकारी इसरो को मेल कर दी। लेकिन इसरो ने भी इसका जवाब नहीं दिया, इसके उलट इसरो ने उस मेल को आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन को फ़ॉरवर्ड कर दिया। इसी को मुद्दा बनाकर आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन ने डॉ बृजेश राय को निलम्बित कर दिया था। जिसके ख़िलाफ़ इन दो छात्रों ने 4 से 7 जनवरी, 2020 तक भूख हड़ताल भी की थी। बाद में इन छात्रों पर ‘अनुशासनात्मक कार्रवाई’ की गयी थी। विक्रान्त का कहना है कि हड़ताल के बाद उसे संस्थान द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति भी रोक दी गयी थी।
इसके बाद जेईई ‘टॉपर’ के परीक्षा में धाँधली करने के जुर्म में गिरफ़्तार होने की ख़बर के बाद 29 अक्टूबर, 2020 को विक्रान्त ने अपने फ़ेसबुक आइडी पर जेईई परीक्षा में होने वाली धाँधली के बारे में लिखा था। जिसके कारण विक्रान्त को एक सेमेस्टेर 10 मार्च, 2021 से 27 जुलाई, 2021 तक निलम्बित कर दिया गया था। इसके बाद विक्रान्त ने अपने सोशल मीडिया अकाउण्ट पर तमाम स्क्रीनशॉट शेयर किये जो आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन को कटघरे में खड़ा करता है। लेकिन इसके बरक्स आईआईटी गुवाहाटी प्रशासन ने जून के अन्त में विक्रान्त के नाम निलम्बन पत्र जारी कर दिया।
यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी संस्थान ने छात्रों की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला किया है। पिछले दिनों लगातार तमाम विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों ने जब भी अपने हक़ की आवाज़ उठायी है, तब उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा चेतावनी और निष्कासन के साथ-साथ सड़कों पर पुलिस के डण्डों का सामना करना पड़ा है। चाहे जेएनयू के छात्रों के फ़ीस बढ़ोतरी का मुद्दा हो या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा छेड़खानी के ख़िलाफ़ प्रतिरोध करने का मुद्दा हो, हर बार पुलिस और संस्थान प्रशासन की तरफ़ से छात्रों और छात्राओं के जनवादी अधिकारों पर हमला किया जाता है। 2014 में मोदी सरकार के सत्तासीन होने के बाद से इन मामलों में बढ़ोत्तरी ही हुई है। एक तरफ़ पुलिस प्रशासन की बर्बरता प्रतिरोध कर रहे छात्रों और नौजवानों पर तेज़ हो गयी है, वहीं दूसरी तरफ़ तमाम संस्थानों में संघ अपने लोगों की भर्ती कर रहा है। जिसके कारण इन संस्थानों में उच्च पद पर बैठे लोग आज खुलेआम छात्रों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं।
हर दौर में फ़ासीवाद कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों को अपना निशाना बनाता है, क्योंकि विश्वविद्यालय छात्रों के लिए जनवादी स्पेस होते हैं, जहाँ वे खुलकर अपनी सहमति व असहमति दर्ज़ करा सकते हैं, जहाँ वे बहस कर सकते हैं, सरकार से लेकर संस्थानों की कार्यप्रणालियों पर सवाल कर सकते हैं। इस जनवादी स्पेस को ख़त्म कर फ़ासीवादी ताक़तें प्रतिरोध के स्वर को दबाने का हर मुमकिन प्रयास करती हैं। ताकि इंसाफ़पसन्द छात्र और नौजवान या तो डरकर चुप हो जायें या फिर उनके पक्ष में हो जायें। आज देशभर में इस जनवादी स्पेस को ख़त्म कर ये लोग इसी काम को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन हर दौर में फ़ासीवाद को जनता की ताक़त के आगे मुँह की खानी पड़ी है। जनता की एकजुटता ही असल में इन्हें नाकाम कर सकती है। आज देशभर के तमाम छात्रों और नौजवानों को इन फ़ासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ ख़ुद को एकजुट करना होगा। उन्हें देश में कहीं भी होने वाले जनवादी अधिकारों पर हमले के ख़िलाफ़ अपना प्रतिरोध दर्ज़ कराना होगा और एक बेहतर समाज बनाने की लड़ाई लड़नी होगी। तभी जाकर फ़ासीवाद से निर्णायक जीत मुमकिन होगी।

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जुलाई-अगस्त 2021

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।