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बार-बार हो रही रेल दुर्घटनाओं का कारण क्या है?

इन तथ्यों की रोशनी में समझा जा सकता है कि बढ़ती रेल दुर्घटनाओं के पीछे मानवीय चूकों की जगह ढाँचागत कमियाँ ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं। रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तमाम सुरक्षा उपायों का समुचित इस्तेमाल ही नहीं किया जा रहा है।
बढ़ती रेल दुर्घटनाओं का दूसरा प्रमुख कारण ट्रेनों के विशाल नेटवर्क को संचालित करने के लिए कर्मचरियों की कमी है। वास्तव में, नवउदारवादी नीतियों के लागू होने के बाद के 32 वर्षों में और ख़ास तौर पर मोदी सरकार के पिछले 9 वर्षों में, रेलवे में नौकरियों को घटाया जा रहा है, जो नौकरियाँ हैं उनका ठेकाकरण और कैजुअलीकरण किया जा रहा है। नतीजतन, ड्राइवरों समेत सभी रेल कर्मचारियों पर काम का भयंकर बोझ है। कई जगहों पर ड्राइवरों को गाड़ियाँ रोककर झपकियाँ लेनी पड़ रही हैं क्‍योंकि 18-18, 20-20 घण्‍टे बिना सोये लगातार गाड़ी चलाने के बाद दुर्घटना की सम्‍भावना बढ़ जाती है।

नयी शिक्षा नीति पर अमल का असर: विश्वविद्यालयों में बढ़ती फ़ीस

जिस ‘नयी शिक्षा नीति’ का गुणगान करने में मोदी-योगी समेत पूरी फ़ासिस्ट मण्डली लगी हुई है, वह कुछ और नहीं बल्कि लफ़्फ़ाज़ियों की आड़ में शिक्षा को देशी-विदेशी पूँजीपतियों को सौंपने की नीति है। जैसे-जैसे नयी शिक्षा नीति पर अमल हो रहा है, वैसे-वैसे उसकी सच्चाई भी आम जनता के सामने खुलती जा रही है। मोदी की इस नयी शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के प्रशासनिक केन्द्रीकरण और वित्तीय स्वायत्तता पर ज़ोर दिया गया है जिसका असर अब जगह-जगह दिखने लगा है।

स्त्री उत्पीड़न और भाजपा का रामराज्य

स्त्री-विरोधी अपराधों में भाजपा के राज में जो अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है, वह कोई इत्तेफ़ाक नहीं है। इतिहास गवाह है कि जब भी जनविरोधी, स्त्री-विरोधी, दलित-विरोधी व अल्पसंख्यक-विरोधी ताक़तें सत्ता में होती हैं, तो स्त्रियों के विरुद्ध बर्बर अपराधों में इज़ाफ़ा होता ही है।