पोर्नोग्राफ़ी पर प्रतिबन्ध: समर्थन और विरोध के विरोधाभास
महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि वेश्यावृत्ति, अश्लीलता, स्त्रियों व बच्चों की तस्करी या यौन उत्पीड़न पोर्नोग्राफ़ी से पैदा हुआ है या मामला उल्टा है? कुछ लोगों ने इस प्रकार के भी विचार प्रस्तुत किये कि पोर्न साइट्स के कारण स्त्रियों व बच्चों के यौन शोषण व तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है। यह भी एक पहलू है, मगर मूल बात यह है कि स्त्रियों व बच्चों की तस्करी व यौन उत्पीड़न के संस्थाबद्ध उद्योग के कारण ही पोर्न साइट्स को बढ़ावा मिल रहा है। बल्कि कह सकते हैं कि पोर्नोग्राफ़ी उस उद्योग के तमाम उपोत्पादों में से महज़ एक उत्पाद है। जैसा कि हमने पहले बताया, पोर्न साइट्स व सीडी-डीवीडी के उद्योगों के पहले से ही वेश्यावृत्ति व मानव तस्करी का उद्योग फलता-फूलता रहा है और वैसे तो पोर्नोग्राफ़ी को ख़त्म करने का कार्य पूँजीवाद कर ही नहीं सकता है, लेकिन यदि इस पर कोई प्रभावी रोक लगा भी दी जाय तो वेश्यावृत्ति व मानव तस्करी का धन्धा ख़त्म या कम हो जायेगा, यह मानना नादानी होगा।