इज़रायल : एक औपनिवेशिक-सेटलर राज्य
इज़रायल : एक औपनिवेशिक-सेटलर राज्य फ़िल गैस्पर ज़ायनवाद एक राजनीतिक आन्दोलन है जो मूल रूप से उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में यहूदी-विरोधी (एण्टी-सेमीटिज़्म) प्रतिक्रिया के रूप में विशेष तौर पर…
इज़रायल : एक औपनिवेशिक-सेटलर राज्य फ़िल गैस्पर ज़ायनवाद एक राजनीतिक आन्दोलन है जो मूल रूप से उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में यहूदी-विरोधी (एण्टी-सेमीटिज़्म) प्रतिक्रिया के रूप में विशेष तौर पर…
हाथरस में भगदड़ और मौतें : ज़िम्मेदार कौन? अविनाश गत 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। हाथरस के फुलरई में नारायण…
‘आह्वान’ की सदस्यता लें! ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्त आप सदस्यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए…
चन्द्रशेखर आज़ाद के जन्मदिवस (23 जुलाई) के अवसर पर दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा – इलाहाबाद इकाई की ओर से ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के कमाण्डर-इन-चीफ़ अमर शहीद…
वास्तव में योगी सरकार द्वारा लाया गया यह बिल जनता के जनवादी अधिकारों पर एक फ़ासीवादी हमला है। ग़ौरतलब है कि पूँजीवादी व्यवस्था के पैरोकारों द्वारा व्यवस्था जनित संकटों, जैसे ग़रीबी, बेरोज़गारी, भुखमरी आदि के लिए जनता को ही ज़िम्मेदार ठहराये जाने के लिए जनसंख्या में वृद्धि को एक हथकण्डे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही फ़ासीवादी भाजपा और संघ परिवार पिछले लम्बे समय से जनसंख्या में वृद्धि और मुस्लिम आबादी की जनसंख्या बढ़ने के मिथक का प्रचार करके साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करते रहे हैं।
जुलाई -अगस्त 2021 जुलाई-अगस्त 2021 का पूरा अंक डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें अपनी ओर से यूएपीए : जनप्रतिरोध को कुचलने का औज़ार सामयिकी ओलम्पिक में भारत…
वर्ग समाज में उत्पादन के साधनों पर जिस वर्ग का प्रभुत्व होता है वह वर्ग आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर वर्चस्वकारी भूमिका में होता है। खेल और उससे जुड़े हुए आयोजन भी वर्ग निरपेक्ष नहीं है बल्कि वे भी किसी न किसी रूप में शासक वर्ग के हितों की ही सेवा करने का काम करते हैं। ओलम्पिक से लेकर एशियाड व कॉमन वेल्थ गेम्स तक और क्रिकेट वर्ल्ड कप से लेकर फीफा वर्ल्ड कप तक तमाम अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के दौरान जो अन्धराष्ट्रवादी उन्माद पैदा किया जाता है वह वर्ग संघर्ष की धार को कुन्द करने का ही काम करता है। एक तरफ़ खेलों की राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के दौरान पूँजीपति वर्ग को खेल, मनोरंजन और विज्ञापन उद्योग से अकूत मुनाफ़ा कमाने की ज़मीन मुहैय्या होती है, तो वहीं इन आयोजनों में जो अन्धराष्ट्रवादी उन्माद पैदा किया जाता है वह वर्ग संघर्ष की आँच पर छीटें मारने का काम ही करता है।
एकसमान सार्वभौमिक और निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा के लिए ‘जन स्वास्थ्य अधिकार मुहिम’ आह्वान डेस्क कोरोना महामारी और फ़ासीवादी सत्ता की आपराधिक लापरवाही का खामियाजा देश की आम आबादी को चुकाना…