Category Archives: फ़ासीवाद

नूँह दंगा और सरकारी दमन : एक रिपोर्ट

नूँह दंगा और सरकारी दमन : एक रिपोर्ट भारत बिगुल मज़दूर दस्ता की टीम कुछ अन्य जन संगठनों व बुद्धिजीवियों के साथ नूँह में फैक्ट फाइण्डिंग के लिए गयी। इस…

साक्षी की हत्या को ‘लव जिहाद’ बनाने की संघ की कोशिश को किया गया असफल

वास्तव में, ‘लव जिहाद’ कोई मसला है ही नहीं। ‘लव जिहाद’ तो बहाना है, जनता ही निशाना है। मोदी सरकार जनता को रोज़गार नहीं दे सकती, महँगाई से छुटकारा नहीं दिला सकती, खुले तौर पर अडानी-अम्बानी के तलवे चाटने में लगी है और सिर से पाँव तक भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो वह उन असली मसलों पर बात कर ही नहीं सकती, जो आपकी और हमारी ज़िन्दगी को प्रभावित करते हैं। शाहाबाद डेरी में संघ के ‘लव जिहाद’ के प्रयोग को असफल कर दिया गया।

मिथक को यथार्थ बनाने के संघ के प्रयोग

इतिहास का निर्माण जनता करती है। फ़ासिस्ट ताक़तें जनता की इतिहास-निर्मात्री शक्ति से डरती हैं। इसलिए वे न केवल इतिहास के निर्माण में जनता की भूमिका को छिपा देना चाहती हैं, बल्कि इतिहास का ऐसा विकृतिकरण करने की कोशिश करती हैं जिससे वह अपनी विचारधारा और राजनीति को सही ठहरा सकें। संघ परिवार हमेशा से ही इतिहास का ऐसा ही एक फ़ासीवादी कुपाठ प्रस्तुत करता रहा है। 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस की घटना इस फ़ासीवादी मुहिम की एक प्रतीक घटना है।

उत्तराखण्ड: हिन्दुत्व की नयी प्रयोगशाला

आरएसएस का मुखपत्र ‘पाञ्जन्य’ रोज़ कहीं न कहीं से “लैण्ड जिहाद”, “लव जिहाद” और उत्तराखण्ड में “मुसलमानों की आबादी में बेतहाशा बढ़ोत्तरी” की ख़बरें लाता रहता है। इन झूठे प्रचार अभियानों की निरन्तरता और तेज़ी इस कारण से भी ज़्यादा बढ़ी है क्योंकि राज्य का मुख्यमन्त्री तक “लव जिहाद” और “लैण्ड जिहाद” पर लगातार भाषणबाजी करता रहता है। ऐसा लगता है कि जबसे यह संविधान और धर्मनिरपेक्षता की शपथ खाकर कुर्सी पर बैठा है, तबसे इसने संघी कुत्सा प्रचारों को प्रमाणित और उन्हें सिद्ध करने का ठेका ले लिया है!

भाजपा की साम्प्रदायिक फ़ासीवादी राजनीति की आग में जलता मणिपुर

उपरोक्त कारकों के अलावा मणिपुर की हालिया हिंसा में एक नया और बड़ा कारण मणिपुर में संघ परिवार व भाजपा की मौजूदगी और उसका फ़ासीवादी प्रयोग रहा है। ग़ौरतलब है कि मणिपुर में 2017 से ही भाजपा की सरकार है जिसका इस समय दूसरा कार्यकाल चल रहा है। पिछले छह वर्षों में संघ परिवार ने सचेतन रूप से मणिपुर में मैतेयी राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने और उसे हिन्दुत्ववादी भारतीय राष्ट्रवाद से जोड़ने के तमाम प्रयास किये हैं।

फ़ासीवादी साम्प्रदायिक उन्माद और आत्महत्या करते बेरोज़गार छात्र-युवा

लेकिन इस साम्प्रदायिक उन्माद के शोर में जनता के ऊपर हो रही बहुत सारी तकलीफ़ों की बारिश की तरह बेरोज़गारी की भयानक मार सहते हुए निराश, अवसादग्रस्त छात्रों-युवाओं की रिकॉर्डतोड़ आत्महत्याएँ और उनके परिवार की चीख़ें दब गयीं। मौजूदा व्यवस्था और उसके रहनुमाओं की नीतियों से निकलने वाला बेरोज़गारी का बुलडोज़र आम घरों के बेटे-बेटियों के भविष्य और सपनों को रौंदता हुआ दौड़ रहा है, चाहे वो जिस मज़हब और जाति के हों! अभी हाल ही में मोदी सरकार ने अग्निपथ योजना के ज़रिये बहुत से छात्रों-युवाओं की उम्मीदों पर बुलडोज़र चढ़ा दिया है और आगे अन्य विभागों में भी छात्रों-युवाओं की उम्मीदों पर बुलडोज़र चढ़ना तय है।

‘द कश्मीर फ़ाइल्स’: कश्मीरी पण्डितों की त्रासदी दिखाने की आड़ में मुस्लिमों और वामपन्थियों के ख़िलाफ़ नफ़रत को चरम पर ले जाने का हिन्दुत्ववादी हथकण्डा

फ़िल्म में धूर्ततापूर्ण तरीक़े से यह सच्चाई भी छिपायी गयी है कि जिस दौर में कश्‍मीरी पण्डितों के साथ सबसे घृणित अपराध हुए उस समय दिल्ली में वी.पी.सिंह की सरकार थी जो भाजपा के समर्थन के बिना एक दिन भी नहीं चल सकती थी। लेकिन भाजपा ने कश्मीरी पण्डितों पर होने वाले ज़ुल्मों के मुद्दे पर सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया। फ़िल्म में उस दौर को कुछ इस तरह से प्रस्तुत किया गया है मानो उस समय राजीव गाँधी की कांग्रेसी सरकार हो। यह भी दिखाता है कि फ़‍िल्मकार का मक़सद सच दिखाना नहीं बल्कि संघ परिवार का प्रोपागैण्डा फैलाना है।

प्रोजेक्ट पेगासस : शासक वर्ग का हाइटेक निगरानी तन्त्र और उसके अन्तरविरोधों का ख़ुलासा

पेगासस स्पाइवेयर को विकसित करनेव वाली टेक फ़र्म एन.एस.ओ. सीधे इज़रायली ख़ुफिया विभाग की देख-रेख में काम करती है। एन.एस.ओ. का दावा है कि वह पेगासस केवल सरकारों को बेचतीं है, इसे किसी निजी व्यक्तियों या संस्थाओ को नहीं दिया जाता है। भारत, यूएई, बहरीन, सऊदी अरब, कज़ाखिस्तान, मेक्सिको, मोरक्को, अज़रबैजान सहित दुनिया के 50 देश इस स्पाइवेयर के ग्राहक हैं। लगभग इन सभी देशों में निरंकुश सत्ता है। पेगासस प्रोजेक्ट के इस खुलासे से पूरी तरह साफ़ हो गया है कि इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा अपने ही देश के नागरिकों, बुद्धिजीवियों और सरकार के ख़िलाफ़ उठने वाली हर आवाज़ की जासूसी और दमन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

लक्षद्वीप में भाजपा का फ़ासीवादी हस्तक्षेप

भाजपा के पूर्व नेता तथा आरएसएस के क़रीबी प्रफुल खोदा पटेल पिछले साल दिसम्बर में नये लक्षद्वीप प्रशासक बनाए गए थे। जिसके बाद वे लगातार वहाँ पर आरएसएस के अल्पसंख्यक विरोधी एजेण्डे के तहत काम कर रहे हैं; आम जनता तथा स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों से मशविरा किए बिना विधान बदल रहे हैं, कानूनों को संशोधित कर रहे हैं। ये तमाम परिवर्तन तथा संशोधन जनविरोधी चरित्र के हैं। लक्षद्वीप को फ़ासीवाद की नयी प्रयोगशाला बनाया जा रहा है।