एक साथ 35,985 लोगों ने बाबा रामदेव जैसे ‘योग गुरुओं’ की देखरेख में योग किया, हालाँकि इस देखरेख के बावजूद रेल मन्त्री सुरेश प्रभु योग करते-करते सो गये! बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से केवल यमन को छोड़ 192 देशों में इसी तरह के योग समारोह आयोजित किये गए जहाँ लोगों ने योग किया। योग के इस जश्न को मोदी सरकार भारत के गौरव के रूप में पेश करते हुए यह जता रही है कि पूरे विश्व ने भारत की योग विद्या की महानता को समझा है और इसी के साथ अब भारतीय लोगों को खुद पर गर्व महसूस करना चाहिए । लोगों ने अपने भारतीय होने पर गर्व केवल मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही करना शुरू किया है, ऐसी खुशफहमी के शिकार मोदी जी इस साल सिओल में दिए अपने भाषण में यह बात पहले भी कह चुके हैं (वैसे यह भी सोचने की बात है कि मोदी के पहले या बाद में वाकई कोई गर्व करने वाली चीज़ थी!)। बहरहाल, अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए राजपथ पर खूब तैयारियाँ की गयीं। प्रधानमंत्री मोदी जर्मन स्पोर्ट्सवेयर बनाने वाली कम्पनी एडिडास द्वारा खास तौर से तैयार की गयी कस्टम पोशाक पहन नीले जापानी योगा मेट पर योग करने के लिए पधारे! साथ ही 35,000 से भी ज़्यादा लोगों की भीड़ में नेता, मंत्री, अभिनेता, वी.वी.आई.पी., स्कूली बच्चों को भी बुलाया गया। इस समारोह की तैयारियों की चर्चा पूरे मीडिया में ज़ोर-शोर से हो रही थी। 15,000 से भी ज़्यादा पुलिसकर्मी राजपथ पर सुरक्षा के लिए तैनात किये गए। 40 एम्बुलेंस के साथ 200 डॉक्टर व चिकत्साकर्मी भी राजपथ पर मौजूद थे। पी.आर. कैम्पेन की दीवानी मोदी सरकार ने आयुष (आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा और हैम्योपैथी) मंत्रालय द्वारा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में सबसे बड़े योग समारोह का खिताब हासिल करने की मंशा से इतने बड़े समारोह का आयोजन करवाया और इसी के साथ मोदी सरकार और संघ अपने भगवाकरण के एजेंडे को बढ़ाने में एक बार फिर कामयाब हो गई।