राम शरण शर्मा (1920-2011): जनता का इतिहासकार
निश्चित तौर पर, हर इंसान कभी न कभी मरता है। लेकिन कुछ ही इंसान होते हैं जो अपने जीवन के दौरान अपने क्षेत्र की संरचना और सीमा को परिभाषित करते हैं। प्रो. शर्मा ऐसे ही शख़्स थे। वे जब तक जीवित रहे, उन्होंने भारतीय प्राचीन इतिहास के लेखन के क्षितिज को परिभाषित किया। उनका योगदान महज़ ऐतिहासिक शोध के धरातल पर नहीं था, बल्कि इतिहास-लेखन की पहुँच (अप्रोच) और पद्धति (मेथड) के धरातल पर था। और यही वह चीज़ है जो उन्हें महान इतिहासकार बनाती है और इस मामले में उन्हें डी-डी- कोसाम्बी, गॉर्डन चाइल्ड, हेनरी पिरेन, ई-पी- थॉमसन, मार्क ब्लॉक, क्रिस्टोफर हिल, ज्यॉफरी स्टे डि क्रोआ, एरिक हॉब्सबॉम आदि जैसे अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के इतिहासकारों की श्रेणी में खड़ा करता है। ऐसे उत्कृष्ट मनुष्य और मार्क्सवादी इतिहासकार को हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि।