श्रद्धांजलि
प्रो. दलीप एस. स्वामी : एक जनपक्षधर अर्थशास्त्री
प्रख्यात अर्थशास्त्री और राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. दलीप एस. स्वामी का पिछले 6–7 अप्रैल की रात को निधन हो गया। करीब 75 वर्षीय प्रो. स्वामी काफी समय से अस्वस्थ थे और कुछ समय पहले पक्षाघात होने के बाद से लगभग बिस्तर पर ही थे।
प्रो. स्वामी भारत के उन चन्द एक वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों में से थे जिन्होंने 1947 के बाद अपनाये गये विकास के पूँजीवादी रास्ते की मुखर आलोचना की और कलम तथा कर्म से जनता के पक्ष में सक्रिय रहे।
दिल्ली देहात के एक गाँव में जन्मे प्रो. स्वामी ने कड़ी मेहनत से उच्च शिक्षा पायी। अमेरिका की पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी से नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री लॉरेंस क्लाइन के निर्देशन में पीएच.डी. करने के बाद उन्हें अमेरिका के एक बड़े संस्थान में नौकरी मिल गयी। उनके सामने भी विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में जाकर डॉलर कमाने और विश्व पूँजी की सेवा करने का रास्ता खुला था मगर उन्होंने इस्तीफ़ा देकर देश वापस लौटने का रास्ता चुना। कुछ समय तक आईआईएम, अहमदाबाद में पढ़ाने के बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन करने लगे। इस दौरान मुद्रा अर्थव्यवस्था और कृषि पर अनेक महत्वपूर्ण शोध कार्य करने के साथ–साथ वे राजनीतिक–सामाजिक आन्दोलनों में भी सक्रिय हुए। वे एक प्रतिबद्ध और जुझारू एक्टिविस्ट थे और ग़रीबों पर अत्याचार तथा नागरिक अधिकारों के हनन के बहुत–से मसलों पर उन्होंने सड़क पर उतरने में भी हिचक नहीं दिखायी।
श्री दलीप स्वामी एक मार्क्सवादी थे और आजीवन अपने विचारों पर उनका विश्वास बना रहा। उनका दृढ़ विश्वास था कि इस लुटेरी व्यवस्था का एकमात्र विकल्प समाजवाद ही है। वे कहते थे कि अर्थशास्त्र का पठन–पाठन उनके लिए महज़ जीवनवृत्ति का माध्यम नहीं बल्कि समाजवाद को समझने और उसकी समझदारी को विकसित करने का वैचारिक औज़ार है। (इस विषय में आह्वान, 1–30 सितम्बर 1996 में उनका लम्बा साक्षात्कार भी प्रकाशित हुआ था।)
आह्वान के सम्पादक मण्डल और पाठक समुदाय की ओर से हम उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि देते हैं।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मार्च-अप्रैल 2010
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