गोरखपुर में आन्दोलनरत मज़दूरों पर मालिकों का क़ातिलाना हमला
गोरखपुर जैसे शहर के लिए, जो देश के बडे़ औद्योगिक केन्द्रो में नहीं आता, और राजनीतिक सरगमियों के लिहाज़ से एक पिछड़ा हुआ शहर माना जाता है, यह एक बड़ी घटना थी कि वहाँ से करीब 2000 मज़दूर इकट्ठा होकर देश की राजधानी पहुंच जायें। इस इलाके के फैक्टरी मालिकों के शब्दों में कहें तो इससे मज़दूरों का ‘’मन बढ़ जायेगा”। इसी डर के चलते फैक्टरी मालिक विशेषकर अंकुर उद्योग लिमिटेड और वी एन डायर्स लिमिटेड, स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर लगातार मज़दूरों को इस देशव्यापी प्रदर्शन में शामिल होने से रोकने का प्रयास कर रहे थे। इन सब कोशिशों को धता बताते हुए जब मज़दूर बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर दिल्ली चले गये तो मालिकों ने उन्हें ‘सबक सिखाने’ का तय किया। फलस्वरूप 3 मई, 2011 को अंकुर उद्योग लिमिटेड से करीब 18 मज़दूरों को बिना कोई कारण बताये फैक्टरी से निकालने का नोटिस थमा दिया गया। इस पर मज़दूर फैक्टरी के बाहर विरोध ज़ाहिर करने के लिए इकट्ठा होने लगे। मालिकों को यह पहले से ही पता था, और इसीलिए प्रदीप सिंह नामक एक हिस्ट्रीशीटर को तीन अन्य गुण्डों के साथ मौका-ए-वारदात पर बुला रखा था। धरना-प्रदर्शन और नारेबाज़ी शुरू होते ही इन गुण्डो ने फैक्टरी की छत पर चढ़कर निहत्थे मज़दूरों पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें 19 मज़दूर घायल हो गये।