Category Archives: गतिविधि बुलेटिन

महँगाई के मुद्दे पर नौभास ने द्वारा विचार विमर्श चक्र का आयोजन

मौजूदा समय में देशभर में तेजी से बढ़ती महँगाई ने आम जनता का जीना दूभर कर दिया हैं। केन्द्र सरकार के तमाम दावों के बावजूद देशभर में महँगाई कम नहीं हो पा रही है नौजवान भारत सभा ने दिल्ली के करावल नगर में 13 नवम्बर, 2011 को इसी मुद्दे पर एक विचार-विमर्श आयोजित किया गया। शहीद भगतसिंह पुस्तकालय में हुए इस विचार-विमर्श का विषय था. बेलागम होती महंगाई. कारण और समाधान। इस विमर्श में इलाके के छात्रों, नागरिकों और अध्यापकों ने भाग लिया। विमर्श में आये अशोक शर्मा ने कहा कि महंगाई बढ़ने का एक कारण बताया कि विज्ञापनों द्वारा गै़र-ज़रूरी चीजों को अत्यधिक प्रचारित कर माल-अन्धभक्ति पैदा की जाती है और अत्यधिक ज़रूरी बताया जाता है। आठवीं कक्षा के विद्यार्थी रामकुमार का कहना था कि कहीं न कहीं सरकारी नीतियाँ इसके लिए जिम्मेदार हैं। जो धनिक वर्ग से जुड़े कामों पर ज्यादा खर्चा करती है। पर उसकी वसूली सभी लोगों से की जाती है।

तीन दिवसीय क्रान्तिकारी जनजागृति यात्रा

नौजवान भारत सभा व दिशा छात्र संगठन की 15 सदस्यीय युवा टोली द्वारा हरियाणा के नरवाना (जीन्द) से कलायत (कैथल) तक तीन दिवसीय क्रान्तिकारी जनजागृति यात्रा निकाली गयी। 3 से 5 दिसम्बर तक नौजवान टोली ने साईकिलों द्वारा लगभग 60 किलोमीटर का फासला तय किया। क्रान्तिकारी जनजागृति यात्रा का मकसद शहीदों के सपनों को आम जनता तक पहुँचाना था। इस दौरान पर्चे बाँटे गये, क्रान्तिकारी साहित्य वितरित किया गया तथा नुक्कड़ सभाएँ व नुक्कड़ नाटक किये गये।

‘पोलेमिक’ द्वारा मारूति मज़दूरों के संघर्ष पर व्याख्यान

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा गठित ‘पोलेमिक’ द्वारा दिल्ली यूनीवर्सिटी के स्टूडेण्ट ऐक्टीविटी सेन्टर में “मारूति वर्कर्स स्ट्रगलः व्हाट वेण्ट रांग विषय पर बातचीत की गई। ज्ञात हो कि मारूति के मज़दूरों का संघर्ष इस साल मध्य में शुरू होकर लगभग ढाई महीने चला था। मज़दूरों की मुख्य माँग स्वतंत्र मज़दूर यूनियन बनाना था। यह संघर्ष अन्त में विफल रहा। मज़दूरों के नेतृत्व दे रहे मजदूर नेताओं ने लाखों रुपये लेकर मज़दूरों की पीठ में छूरा भोंका। मुख्य वक्ता के तौर पर बिगुल मजदूर दस्ता के सत्यम वर्मा ने, जो कि मज़दूरों के इस संघर्ष में उपस्थित रहे थे, विस्तृत विवरण रख संघर्ष में लगे मज़दूरों की स्थिति बतायी।

मौलाना एम.ए.के.एम. मेडिकल कॉलेज व यू.सी.एम.एस. में विहान का सांस्कृतिक कार्यक्रम

विहान सांस्कृतिक टोली की तरफ से दो मेडिकल कॉलेजों में  नुक्कड़ नाटक देख फकीरे लोकतंत्र का फूहड़ नंगा नाच का मंचन किया गया। मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर मेडिकल सांइस के छात्र-छात्राओं ने नाटक द्वारा भारतीय संसद व्यवस्था का भण्डाफोड़ ख़ासा पसन्द किया। ‘विहान’ ने कार्यक्रम की शुरूआत ‘जय श्रीराम जयश्रीराम आलू प्याज के इतने दाम’ गीत से की। नाटक की प्रस्तुति क दौरान करीब 100 से ज़्यादा छात्र-टीचर-कर्मचारी उपस्थित रहे।

लखनऊ के ख़दरा इलाके में नौजवान भारत सभा के नेतृत्व में जनता का शुल्क बन्दी अभियान

पिछले अंकों में हमने लखनऊ के ख़दरा इलाके में साफ़–सफ़ाई के मुद्दे को लेकर जारी आन्दोलन के बारे में लिखा था। नगर निगम ने कुछ समय से सफ़ाई का ठेका एक निजी कम्पनी ज्योति एनवायरोटेक लि. को दे दिया है। इसके लिए यह निजी ठेका कम्पनी ख़दरा के निवासियों से कूड़ा उठाने के नाम पर अतिरिक्त शुल्क की वसूली कर रही है। ज्ञात हो कि नगर निगम ने लम्बे समय से इस इलाके में साफ़.सफ़ाई के लिए कोई उपयुक्त इंतजाम नहीं किये हैं। न तो कूड़े के डिब्बे रखे गये हैं, और न ही निगम के कर्मचारी खाली प्लॉटों में पड़े कूड़े की सफ़ाई के लिए आते हैं। पिछले वर्ष गन्दगी और पानी जमा होने के कारण ही इस इलाके में डेंगू के कारण 63 मौतें हो गयी थीं। इसके बाद से ही नौजवान भारत सभा के नेतृतव में इलाके के आम नागरिक नगर निगम से साफ़–सफ़ाई और साफ़ पीने के पानी के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं।

लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र फिर से आन्दोलन की राह पर

पिछले लम्बे समय से लखनऊ विश्वविद्यालय में जारी फीस वृद्धि और शैक्षणिक व प्रशासनिक अनियमिततओं के खि़लाफ़ आम छात्रों में भारी गुस्सा पनप रहा है। इसी बीच लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस सत्र में कोई भी पेपर दुबारा देने की फीस को बढ़ाकर 500 रुपये से 1200 रुपये कर दिया। विभिन्न छात्र संगठनों ने इसके खि़लाफ़ आवाज़ उठायी और प्रदर्शन करने शुरू किये। इसी क्रम में 8 नवम्बर को एक प्रदर्शन में आइसा के सुधांशु व एसएफआई के प्रवीण की प्रॉक्टर के इशारे पर पुलिस वालों ने पिटाई कर दी। इसके विरोध में सभी छात्र संगठन एक मंच पर आये और उन्होंने ‘फोरम फॉर डिफेंस ऑफ स्टूडेंट्स राइट्स’ के बैनर तले 12 नवम्बर 2011 को विश्वविद्यालय कैम्पस के भीतर आम छात्रों को जुटाकर एक विरोध जुलूस निकाला। इसके अन्तर्गत इस फोरम ने प्रमुखतः चार माँगें रखीं। पहला, दोषी चौकी इंचार्ज को निलम्बित किया जाये; दूसरा, प्रॉक्टर पूरे मामले की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दें; तीसरा, विश्वविद्यालय के भीतर पुलिस की मौजूदगी को समाप्त किया जाये; और लगातार जारी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाया जाये। इस प्रदर्शन में नई दिशा छात्र मंच, आइसा, एसएफआई, एआईडीएसओ, समेत कई छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया।

शहीदेआज़म भगतसिंह की 104वीं जयन्ती पर अनुराग पुस्तकालय में कार्यक्रम

लखनऊ में स्थित अनुराग पुस्तकालय में 28 सितम्बर 2011 को शहीदेआज़म भगतसिंह के जन्मदिन पर कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। भगतसिंह के चित्र पर ‘अनुराग ट्रस्ट’ की अध्यक्ष एवं वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री कमला पाण्डेय द्वारा माल्यार्पण किया गया, इसके साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। अनुराग ट्रस्ट की अध्यक्ष ने कहा कि आज जब बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर फिल्मी नायकों की जन्म कुण्डली तक रटी रहती है, ऐसे में भगतसिंह की जयन्ती मनाने के लिए बीसों नौजवान इक्ट्ठा हुए हैं यह मेरे लिए खुशी की बात है। आज युवा वर्ग से ही आशा है कि वह भगतसिंह के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए आगे आये और जिम्मेदारी लें। उन्होंने आगे कहा कि आज़ादी से पहले तमाम छात्र-युवा स्वतन्त्रता संघर्ष में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे और उनमें से कई देश के बेहतर कल के लिए अपना पूरा जीवन लगाते थे। उस दौर की पत्र-पत्रिकाएँ लोगों को अन्याय, लूट, दमन के ख़ि‍लाफ़ जागृत एवं संगठित करने के साथ ही उन्हें हर तरह की रुढ़िवादिता, पाखण्ड के ख़ि‍लाफ़ भी जागरूक करती थी। आज के दौर में प्रिण्ट मीडिया व इलेक्ट्रानिक मीडिया बाज़ार की शक्तियों के क़ब्ज़े में हैं और वे जनता के मस्तिष्क को नियन्त्रित-निर्देशित करने का भी काम कर रही हैं और जनता को अपनी क्रान्तिकारी विरासत से दूर ले जा रही हैं। पूरा संचार तन्त्र पूँजीवादी, उपभोक्तावादी संस्कृति का प्रचार करके युवाओं को आत्मकेन्द्रित बना रही हैं। ऐसे में क्रान्तिकारी भावना वाले युवाओं की जिम्मेदारी काफ़ी बढ़ जाती है।

‘आह्वान ’ का प्रथम पाठक सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न

‘मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान ’ ने पिछले 17-18 सितम्बर को लखनऊ शहर में स्थित जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केन्द्र में अपने प्रथम पाठक सम्मेलन का आयोजन किया। गौरतलब है कि एक पाक्षिक अख़बार के रूप में ‘आह्वान ’ ने अपनी यात्रा की शुरुआत आज से दो दशक पहले की थी। 1990 के दशक के अन्तिम वर्ष ‘आह्वान ’ एक त्रैमासिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित होने लगी। पिछले करीब दो वर्षों से यह ‘मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान ’ के रूप में द्वैमासिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित हो रही है। इस पाठक सम्मेलन का लक्ष्य इस बात की पड़ताल करना था कि  ‘आह्वान ’ अपने कार्यभार को किस रूप में पूरा कर सका है और आगे इसके लिए पाठकों के साथ मिलकर कौन-से कदम उठाने की ज़रूरत है।

आमन्‍त्रण – प्रथम पाठक सम्‍मेलन

इस प्रयास ने जो दो दशकों लम्बी यात्रा तय की है, वह आप सबके आत्मीय और अन्तरंग साथ के बिना सम्भव नहीं थी। हम इसी सम्बन्ध को एक नयी ऊँचाई पर ले जाना चाहते हैं। इसके लिए हम ‘आह्वान’ का पहला दो दिवसीय पाठक सम्मेलन लखनऊ में 17-18 सितम्बर, 2011 को कर रहे हैं। आप सभी साथियों को हम हार्दिक और आत्मीयतापूर्ण आमन्त्रण देते हैं। आइये ‘आह्वान’ के अभियान को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए सोचें, विचारें और काम करें।

तीसरी अरविन्द स्मृति संगोष्ठी – भारत में जनवादी अधिकार आन्दोलन: दिशा, समस्याएँ और चुनौतियाँ

पिछली 22 से 24 जुलाई तक लखनऊ में भारत में जनवादी अधिकार आन्दोलन: दिशा, समस्याएँ और चुनौतियाँ विषय पर तीसरी अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के हॉल में अरविन्द स्मृति न्यास द्वारा आयोजित संगोष्ठी में तीन दिनों तक हुई गहन चर्चा के दौरान देशभर से आये प्रमुख जनवादी अधिकार संगठनों के प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं, न्यायविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के बीच इस बात पर आम सहमति बनी कि सत्ता के बढ़ते दमन-उत्पीड़न और जनता के मूलभूत अधिकारों के हनन की बढ़ती घटनाओं के विरुद्ध एक व्यापक तथा एकजुट जनवादी अधिकार आन्दोलन खड़ा करना आज समय की माँग है।