जन्तर–मन्तर पर छात्रों–नौजवानों–मज़दूरों–महिलाओं के विशाल जुटान के साथ स्मृति संकल्प यात्रा का समापन
यह एक अहम सवाल बनता है कि यह बेहद ख़र्चीला और भारी–भरकम “जनतंत्र” आखिर किसके लिए है ? यह सिर्फ नवधनिक वर्गों और पूँजीपतियों का जनतंत्र है । आम जनता के लिए यह कफनखसोट और मुर्दाखोरों का शासन है । किसी भी चुनावबाज़ पार्टी की बात कर लें, हर किसी को आजमाया–परखा जा चुका है और अब उन्हें और परखने का कोई तुक नहीं है । सभी वक्ताओं ने कहा कि अब समय इलेक्शन का नहीं बल्कि इंकलाब की तैयारियों का है । बेशक यह एक लम्बी और मुश्किल राह है लेकिन यही एकमात्र राह है ।