लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र फिर से आन्दोलन की राह पर
पिछले लम्बे समय से लखनऊ विश्वविद्यालय में जारी फीस वृद्धि और शैक्षणिक व प्रशासनिक अनियमिततओं के खि़लाफ़ आम छात्रों में भारी गुस्सा पनप रहा है। इसी बीच लखनऊ विश्वविद्यालय ने इस सत्र में कोई भी पेपर दुबारा देने की फीस को बढ़ाकर 500 रुपये से 1200 रुपये कर दिया। विभिन्न छात्र संगठनों ने इसके खि़लाफ़ आवाज़ उठायी और प्रदर्शन करने शुरू किये। इसी क्रम में 8 नवम्बर को एक प्रदर्शन में आइसा के सुधांशु व एसएफआई के प्रवीण की प्रॉक्टर के इशारे पर पुलिस वालों ने पिटाई कर दी। इसके विरोध में सभी छात्र संगठन एक मंच पर आये और उन्होंने ‘फोरम फॉर डिफेंस ऑफ स्टूडेंट्स राइट्स’ के बैनर तले 12 नवम्बर 2011 को विश्वविद्यालय कैम्पस के भीतर आम छात्रों को जुटाकर एक विरोध जुलूस निकाला। इसके अन्तर्गत इस फोरम ने प्रमुखतः चार माँगें रखीं। पहला, दोषी चौकी इंचार्ज को निलम्बित किया जाये; दूसरा, प्रॉक्टर पूरे मामले की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दें; तीसरा, विश्वविद्यालय के भीतर पुलिस की मौजूदगी को समाप्त किया जाये; और लगातार जारी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाया जाये। इस प्रदर्शन में नई दिशा छात्र मंच, आइसा, एसएफआई, एआईडीएसओ, समेत कई छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया।
इसके बाद नई दिशा छात्र मंच ने छात्रों का माँगपत्रक तैयार किया और उस पर लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों का हस्ताक्षर कराना शुरू किया। नई दिशा छात्र मंच के शिवार्थ ने बताया कि इस हस्ताक्षर अभियान में जुटाये गये हस्ताक्षरों को माँगपत्रक व ज्ञापन समेत जल्द ही विश्वविद्यालय के कुलपति को सौंपा जायेगा। इस माँगपत्रक की तीन प्रमुख माँगें हैं। पहला, कैम्पस के भीतर प्रॉक्टोरियल बोर्ड की तानाशाही को ख़त्म किया जाये और जनवादी स्पेस को बहाल किया जाये। दूसरी माँग, बेतहाशा बढ़ाई जा रही फीसों को कम करने और वित्तीय पारदर्शिता को स्थापित करने की बात करती है। तीसरी माँग, विश्वविद्यालय में जारी अव्यवस्था और अनियमिततओं को समाप्त करने की है।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, सितम्बर-अक्टूबर 2011
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