Category Archives: गतिविधि बुलेटिन

महाविद्रोही राहुल सांकृत्यायन की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके विचारों का प्रचार अभियान

धार्मिक कट्टरता, जातिभेद की संस्कृति और हर तरह की दिमाग़ी गुलामी के ख़िलाफ़ राहुल के आह्वान पर अमल हमारे समाज की आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। पूँजी की जो चौतरफ़ा जकड़बन्दी आज हमारा दम घोंट रही है, उसे तोड़ने के लिए ज़रूरी है कि तमाम परेशान-बदहाल मेहनतकश आम लोग एकजुट हों और यह तभी हो सकता है जब वे धार्मिक रूढ़ियों और जात-पाँत के भेदभाव से अपने को मुक्त कर लें।

पटना में स्त्री मुक्ति लीग के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्त्री दिवस के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन

106वें अन्तर्राष्ट्रीय स्त्री दिवस के अवसर पर पटना के गाँधी मैदान में 8 मार्च को दिशा छात्र संगठन द्वारा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पटना के कई बुद्धिजीवी, नाट्यकर्मी, संवेदनशील, जनवादी और प्रगतिशील नागरिक भी मौजूद रहे।

शहीदी दिवस के अवसर पर देश भर में क्रान्तिकारी प्रचार अभियानों का आयोजन

शहीद-ए-आज़म भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत की 85 वीं बरसी के अवसर पर नौजवान भारत सभा, बिगुल मज़दूर दस्ता, दिशा छात्रा  संगठन, पंजाब स्टूडेण्ट यूनियन (ललकार), स्त्री मुक्ति लीग, जागरूक नागरिक मंच और विभिन्न यूनियनों के द्वारा देश भर में प्रचार अभियानों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अमर शहीदों के विचारों का जनता के बीच प्रचार-प्रसार किया गया। करोड़ों लोगों के दिलों की धड़कन हमारे ये शहीद लोगों के दिलों में बेशक आज भी ज़िंदा हैं किन्तु इनके क्रान्तिकारी विचारों से व्यापक मेहनतकश जनता आम तौर पर अनभिज्ञ दिखाई देती है।

रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन

छात्र कार्यकर्ता और शोधछात्र रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या के विरोध में देश भर में विभिन्न जनसंगठनों और छात्र-युवा संगठनों ने विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया। आपको ज्ञात हो कुछ ही दिन पहले एकदम गैरकानूनी और तानाशाहपूर्ण तरीके से हैदराबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पाँच दलित छात्रों को छात्रावास से बाहर निकाल दिया था। उनका ‘‘कुसूर’’ यह था कि उन्होंने लोगों को धर्म के नाम पर बाँटने की साम्प्रदायिक संघी राजनीति की ख़िलाफ़त की थी। पिछली 17 जनवरी को उनमें से एक छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली। असल में यह आत्महत्या नहीं बल्कि भाजपा सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अंजाम दी गयी हत्या थी।

हरियाणा में बिजली के बढ़े हुए दामों के विरोध में नौभास का प्रदर्शन!

हरियाणा में पिछले एक साल के अन्दर बिजली के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। अलग-अलग मदों में की गयी दामों की बढ़ोत्तरी 30 से 100 प्रतिशत तक की है। ध्यान रहे यह वही भाजपा है जो दिल्ली में चुनाव से पहले 30 प्रतिशत बिजली के दाम कम करने की बात करती रहती थी। मोदी-खट्टर चुनाव में शोर मचा रहे थे ‘बहुत हुई महँगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’। लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने महँगाई के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिये हैं। मोदी सरकार ने डेढ साल में ही रेल किराये में 14 प्रतिशत बढ़ोत्तरी कर दी, सभी वस्तुओं व सेवाओं पर सेवा कर को 14.6 प्रतिशत तक बढ़ा दिया। साथ ही दालों से लेकर प्याज के रेट आसमान छू रहे हैं। आज महँगाई की मार ने मध्यमवर्ग की आबादी की भी कमर तोड़ दी है ग़रीबों की तो बिसात ही क्या है। अब जले पर नमक छिड़कते हुए बिजली के दामों को बढ़ाकर जनता की जेबों पर सरेआम डाकेजनी करने का काम खट्टर सरकार ने किया है।

हरियाणा में भगतसिंह के 108वें जन्मदिवस पर जन अभियान व सांस्कृतिक कार्यक्रम!

नौजवान भारत सभा, हरियाणा ने शहीद-ए-आज़म भगतसिंह के 108वें जन्म दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। नौभास हरियाणा के संयोजक रमेश खटकड़ ने बताया कि उक्त कार्यक्रमों की शुरुआत 26 सितम्बर से चौशाला गाँव (कलायत, कैथल) में क्रान्तिकारी प्रचार अभियान के द्वारा की गयी। गाँव में क्रान्तिकारी प्रचार के दौरान नुक्कड़ सभाएँ करते हुए व्यापक परचा वितरण भी किया गया। 27 सितम्बर को सुबह कलायत (कैथल) में नुक्कड़ सभाएँ करते हुए प्रचार अभियान चलाया गया। वक्ताओं ने अपनी बात में जनता के सामने मौजूदा पूँजीवादी व्यवस्था का भण्डाफोड़ किया तथा बताया कि भगतसिंह ने आज जैसी व्यवस्था कायम करने के लिए शहादत नहीं दी थी। उनका सपना एक समतामूलक समाज का था।

क्यों संघर्षरत हैं हम एफ़.टी.आई.आई. के लिए?

एफटीआईआई के छात्र विकास उर्स ने कहा कि इस हड़ताल ने उनके विश्व दृष्टिकोण को विस्तारित किया है, यह हड़ताल एफटीआईआई के छात्रों के लिए एक सीखने का तर्जुबा रहा है जिसके ज़रिये उन्हें अपनी कक्षाओं से भी कही ज्यादा ज्ञान मिला। विकास ने आगे कहा कि एफटीआईआई एक अकेला ऐसा कला और शिक्षा का संस्थान नहीं है जहाँ सरकार अपने राजनीतिक हित को साधने के लिए भगवाकरण की नीति लागू कर रही है। अम्बेडकर-पेरियार स्टडी सर्किल से लेकर, सी.बी.एफ.सी, सी.एफ.एस.आई आदि भी इस सरकार के निशाने पर रह चुके हैं। विकास ने बताया कि किस तरह उनके संघर्ष को कुचलने के लिए उनके ख़िलाफ़ फर्जी एफआईआर दर्ज़ करवाई जा रही है और छात्रों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपनी हड़ताल खत्म कर दें। एफटीआईआई की साक्षी गुलाटी ने कहा कि हमारा संघर्ष इस देश के बाकी शिक्षा संस्थानों और कला के केन्द्रों पर हो रहे भगवाकरण के हमलों से कटा हुआ नहीं है बल्कि यह संघर्ष भी उसी बड़ी लड़ाई का हिस्सा है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज में एक शोध छात्रा के साथ हुए यौन शोषण के खिलाफ़ विरोध-प्रदर्शन

ग़ौरतलब है कि सेण्ट स्टीफेंस कॉलेज के प्रिंसिपल थम्पू तमाम तरीकों से आरोपी को बचा रहे हैं। कॉलेज के तमाम तथाकथित प्रगतिशील लोग भी मसले पर चुप्पी साधे बैठे हैं। कुछ ने तो पीड़ित छात्र के ही चरित्र को प्रश्नों के दायरे में लाने का प्रयास किया है। ऐसे स्त्री-विरोधी कदमों को छात्रों को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए। दिशा छात्र संगठन के प्रतिनिधियों ने पूछा कि “स्त्री सुरक्षा” के नाम पर कॉलेज प्रशासन व कुछ शिक्षक गण हॉस्टलों में छात्राओं पर तरह-तरह की पाबन्दियाँ लगाते हैं। रात में आने का वक़्त आठ बजे कर दिया जाता है, नाइट आउट व लेट नाइट की आज्ञा देने पर रोक लगा दी जाती है। लेकिन वास्तव में तो प्रशासन और कॉलेज के भीतर ही छात्रओं का यौन-उत्पीड़न हो रहा है। यह दिखाता है कि स्त्री सुरक्षा के नाम पर छात्राओं पर तरह-तरह की रोक लगायी जाती है, जबकि उनका उत्पीड़न कॉलेजों, विभागों आदि की भीतर ही किया जाता है। छात्रों-छात्राओं को मिलकर विश्वविद्यालय में इस माहौल के ख़िलाफ़ एक लम्बा संघर्ष छेड़ना होगा।

दिल्ली विश्वविद्यालय में 2014-15 के अकादमिक सत्र से सीबीसीएस लागू होने के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन

इसके अंतर्गत किया यह जा रहा है की सभी कॉलेजों को समान संस्तर पर लाने का जुमला उछाल कर उनका पूरा स्तर गिराया जायेगा ताकि विदेशी प्राइवेट विश्वविद्यालयों का धंधा चल सके। यह फैसला भी प्रशासन ने छात्रों-शिक्षकों से बिना सलाह मशविरा लिए लागू कर दिया। शिक्षा को पूरी तरह एक बिकाऊ माल में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है और आम मेहनतकश जनता की पहुँच से शिक्षा को दूर ले जाया जा रहा है। इन्हीं छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ दिशा छात्र संगठन अन्य शिक्षक व छात्र संगठनो के साथ एक संयुक्त मोर्चे के तहत संघर्षरत है। जहाँ लगातार इन छात्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ़ आवाज़ उठायी जा रही है जिसमें 4 जून को अभी यूजीसी पर विरोध प्रदर्शन किया गया जहाँ यह माँग की गई कि सीबीसीएस को वापस लिया जाये। 9 जून को जन्तर-मन्तर पर विरोध प्रदर्शन किया गया- उसके साथ ही छात्रों व आम नागरिकों के बीच इसके ख़िलाफ प्रचार अभियान चलाया गया व हस्ताक्षर जुटाया गया। एक अभियान की शक्ल में 5 से 25 जून तक विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद नवागंतुक छात्रों के बीच इन छात्र-विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया गया।

दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन के जुझारू संघर्ष ने झुकाया केजरीवाल सरकार को

वहीं दूसरी ओर हड़तालकर्मियों को परेशान करने और आंदोलन को कमज़ोर करने के लिए सरकार सुपरवाइज़रों और सीडीपीओ से लगातार दबाव बनवा रही थी कि अगर हड़ताल में शामिल होंगे तो नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा, अलग-अलग केन्द्रों पर पुलिस की धमकियों से लेकर तमाम तरह से दबाव कर्मचारियों पर बनाए जा रहे थे। हड़ताल स्थल पर शौचालय की व्यवस्था न करवाना, पानी के टैंकर को हटवा देने, तबियत बिगड़ने पर डॉक्टरी सहायता न पहुँचाने और पुलिस को भेज हड़तालकर्मियों के तम्बू को उखड़वाने जैसी तमाम कोशिशों के बावजूद न तो दलाल और न ही सरकार आँगनवाड़ी के संघर्ष को तोड़ पाये। आँगनवाड़ी कर्मचारियों ने अपनी परेशानियों को दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के सामने भी रखा मगर नजीब जंग ने आँगनवाड़ी कर्मचारियों को सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव से जाकर मिलने की सलाह दी। 7 दिन लम्बी चली अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल और जनता द्वारा पैदा किये गए दबाव के कारण केजरीवाल सरकार को आँगनवाड़ी कर्मचारियों के आगे घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा।