Category Archives: गतिविधि बुलेटिन

शहीदेआज़म भगतसिंह के 81वें शहादत दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

शहीद भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव के 81वें शहादत दिवस पर दिल्ली में नौजवान भारत सभा के बैनर तले 23 मार्च, 2012 को खजूरी चौक पर शहीदों को याद करते हुए एक पोस्टर-पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई। सुबह नौभास के सदस्य और शहीद भगतसिंह पुस्तकालय से जुड़े बच्चों की टीम साईकिल पर नारे लगाते हुए खजूरी चौक पहुँची। करावलनगर की बहुसंख्यक आबादी खजूरी चौक से होते हुए ही अपने काम पर जाती है। चौक के एक किनारे पटरी पर लगी इस प्रदर्शनी में शहीद भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव की बड़ी तस्वीर लगाई गई थी। कुछ अलग पोस्टरों से भगतसिंह और उनके साथियों की राजनीतिक-वैचारिक यात्रा को भी बताया गया था। प्रदर्शनी को काफी नागरिकों ने सराहा और उत्साहवर्धन किया।

भारतीय लोकतन्त्र और उसमें चुनाव की भूमिका पर चिन्तन विचार मंच, लखनऊ द्वारा परिसंवाद का आयोजन

20 फ़रवरी को, ‘भारतीय लोकतन्त्र और उसमें चुनाव की भूमिका’ पर परिसंवाद का आयोजन, ‘चिन्तन विचार मंच’ द्वारा अनुराग पुस्तकालय में किया गया। परिसंवाद का विषय प्रवर्तन करते हुए ‘नई दिशा छात्र मंच’ के लालचन्द्र ने कहा कि लोकतन्त्र कोई वर्गविहीन अवधारणा नहीं है। इसी के अनुसार यह देखना ज़रूरी है कि भारतीय लोकतन्त्र की वर्गीय पक्षधरता क्या है? और यह कि भारतीय लोकतन्त्र कितना लोकतान्त्रिक है? अभी पाँच राज्यों में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं। 2014 में लोकसभा के चुनाव होने हैं। इसके पहले के भी 1952 से अभी तक जो चुनाव हो चुके हैं उन सभी चुनावों को हम देखें तो यह साफ हो जाता है कि भारतीय जनतन्त्र की चुनावी प्रणाली व्यापक जनता की जीवन स्थितियों में बुनियादी बदलाव लाने में सक्षम नहीं हुई है। ऐसे में क्या वर्तमान चुनाव जनता की जि़न्दगी में बदलाव का कोई समाधान दे सकते हैं, जबकि चुनाव आयोग चुनाव प्रणाली में कई सुधार कर रहा है? मसलन ‘राइट टू रिजेक्ट’ का प्रावधान, प्रत्याशियों पर कई तरह के अंकुश आदि। एक बात पर अभी बहस है जनता को चुने गये प्रत्याशियों को वापस बुलाने की शक्ति देने की जिस पर सभी राजनीतिक दल अपना पुरज़ोर विरोध दर्ज करा रहे हैं।

दिल्ली में चुनाव का भण्डाफोड़ अभियान

दिल्ली में चुनाव का भण्डाफोड़ अभियान अभी हाल ही में सम्पन्न हुए दिल्ली नगर निगम के चुनावी तमाशे का ‘नंगा और घिनौना’ रूप हमारे सामने हैं इस पूँजीवादी चुनाव का…

‘पोलेमिक’ द्वारा मुम्बई में और ‘चिन्तन विचार मंच’ द्वारा पटना में ‘बीसवीं सदी के समाजवादी प्रयोग, पूँजीवादी पुनर्स्थापना और समाजवाद की समस्याएँ’ विषय पर व्याख्यान आयोजित

कोई भी क्रान्तिकारी परिस्थिति स्वयं अपने आप क्रान्ति में परिणत नहीं हो जाती। उसे सही क्रान्तिकारी विचारधारा और कार्यक्रम से लैस एक अनुशासित क्रान्तिकारी पार्टी के रूप में एक क्रान्तिकारी अभिकर्ता या उत्प्रेरक की आवश्यकता होती है। और आज दुनिया भर में कम्युनिस्ट आन्दोलन के समक्ष यही संकट है। इस संकट के समाधान के लिए एक ओर हमें विगत समाजवादी प्रयोगों का एक सही मार्क्सवादी आलोचनात्मक विश्लेषण करना होगा और वहीं दूसरी ओर हमें नवजनवादी क्रान्ति के पुराने पड़ चुके खाँचे से बाहर आकर अपने देश की ठोस परिस्थितियों का ठोस विश्लेषण करना होगा। हमारा देश बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध के चीन के समान अर्द्धसामन्ती-अर्द्धऔपनिवेशिक नहीं है, बल्कि एक पिछड़ा हुआ, विशिष्ट प्रकार का उत्तर-औपनिवेशिक पूँजीवादी देश है। यहाँ एक नयी समाजवादी क्रान्ति के कार्यक्रम को अपनाना होगा, जो पूँजीवाद-विरोधी साम्राज्यवाद-विरोधी समाजवादी क्रान्ति होगी। पुराने जड़सूत्रें को छोड़कर और जूते के नाप से पाँव काटने की आदत को छोड़कर ही आज कम्युनिस्ट आन्दोलन अपने संकट से मुक्ति पा सकता है।

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट के जन्मदिवस पर नौजवान भारत सभा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन

10 फरवरी को जर्मनी के प्रसिद्ध नाटककार तथा संस्कृतिकर्मी बर्टोल्ट ब्रेष्ट के 114वें जन्मदिवस पर ‘नौजवान भारत सभा’ के द्वारा एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अन्तर्गत ब्रेष्ट व कई अन्य क्रान्तिकारी धारा के अन्य कवियों की कविताओं का पाठ किया गया तथा गौहर रज़ा की प्रसिद्ध डॅाक्युमेण्टरी फिल्म ‘जुल्मतों के दौर में’ का प्रदर्शन भी किया गया।

मोन्ताज फिल्म सोसाइटी द्वारा फिल्म प्रदर्शन

दिल्ली विश्वविद्यालय में मोन्ताज फिल्म सोसाइटी द्वारा यूनिवर्सिटी स्टूडेण्ड एक्टीविटी सेण्टर में जनवरी माह में प्रसिद्ध यूनानी फिल्मकार कोस्ता गावरास की फिल्म ‘ज़ेड’ तथा फरवरी माह की शुरुआत में डॉक्यूमेण्टरी फिल्मकार गौहर रज़ा की एक डॉक्युमेण्टरी ‘जुल्मतों के दौर में’ का प्रदर्शन किया गया। ये दोनों ही फिल्में फ़ासीवाद के ख़तरों व इसके स्रोतों को ढूँढती हैं।

खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मुद्दे पर ‘चिन्तन विचार मंच’ द्वारा परिसंवाद का आयोजन

परिसंवाद की शुरुआत करते हुए ‘नयी दिशा छात्र मंच’ के शिवार्थ ने कहा कि संप्रग सरकार ने हाल ही में खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रस्ताव संसद में पेश किया था, जिसका भाजपा से लेकर सभी विपक्षी पार्टियों ने जमकर विरोध किया। इस विरोध में संसदीय वामपन्थी व सी.पी.आई.(एम.एल.) भी शामिल था। तमाम अखबारों, टी.वी. चैनलों पर इस मुद्दे का काफी गर्मागर्म बहसे भी हुई, जिसमें व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों से लेकर आर्थिक मामलों के जानकार भी शामिल हुए। इस मुद्दे पर मुख्य चर्चाओं से इतर भी कुछ लोग सोच रहे हैं। जिसे साझा करने के लिए, एक राय कायम करने के लिए इस विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया है।

‘चिन्तन विचार मंच’ द्वारा मौजूदा पूँजीवाद-विरोधी आन्दोलनों की सीमाओं पर व्याख्यान का आयोजन

करीब दो घण्टे के अपने वक्तव्य में अभिनव ने कहा कि आज पूरा साम्राज्यवादी.पूँजीवादी विश्व एक भयंकर मन्दी की चपेट में है। इस मन्दी की कीमत जनता को अपने रोज़गार, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएँ आदि खोकर चुकानी पड़ रही है। विकसित पूँजीवादी देशों में भी हालात ऐसे हो गये हैं कि जनता सड़कों पर है। यह एक बार फिर मार्क्स की पूँजीवाद के संकट के सिद्धान्त को सही साबित कर रहा है। अमेरिका से लेकर यूनान, इटली और स्पेन तक और ‘तीसरी दुनिया’ में मिस्र व अन्य अरब देशों में जनता साम्राज्यवाद और पूँजीवाद के खि़लाफ़ स्वतःस्फूर्त रूप से सड़कों पर उतर रही है। मौजूदा घटनाक्रम के एक द्वन्द्वात्मक विश्लेषण की ज़रूरत आज क्रान्तिकारी आन्दोलन के सामने है। हमें समझना होगा कि इन स्वतःस्फूर्त जनउभारों से क्या नतीजे निकालें और क्या नहीं।

लखनऊ में छात्रों-युवाओं ने चलाया क्रान्तिकारी जनजागृति अभियान

काकोरी काण्ड के चार शहीदों अशफ़ाक उल्ला खाँ, रामप्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र लाहिड़ी और रोशन सिंह के 84वें शहादत दिवस के मौके पर ‘नयी दिशा छात्र मंच’ और ‘नौजवान भारत सभा’ के बैनर तले लखनऊ शहर के खदरा इलाके में छात्रों-युवाओं ने 17-19 दिसम्बर के बीच ‘क्रान्तिकारी जनजागृति अभियान’ चलाया। इस अभियान के अन्तर्गत 17 दिसम्बर को खदरा के बाबा के पुरवा व मशालची टोला में नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से सघन पर्चा वितरण किया गया। 18 दिसम्बर को सुबह 10 बजे से सात सदस्यीय टीम द्वारा खदरा इलाके के रामलीला मैदान, बड़ी पकड़िया और मदेयगंज के इलाके में साईकिल अभियान चलाते हुए सघन पर्चा वितरण और नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया गया।

लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों ने शुरू किया छात्र माँगपत्रक आन्दोलन

इस निरंकुशता और प्रशासकीय तानाशाही के खि़लाफ़ ‘नयी दिशा छात्र मंच’ के रूप में विश्वविद्यालय के कुछ छात्र एक नया विकल्प खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। दिशा छात्र संगठन ने 2009 में एक बड़ा आन्दोलन कर लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रवास में मेस खुलवाने और छात्रों को साईकिल रखने की इजाज़त देने पर मजबूर कर दिया था। इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय ने भयभीत होकर दिशा छात्र संगठन पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। संघर्ष की उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए ‘नयी दिशा छात्र मंच’ ने छात्रों का एक माँगपत्रक तैयार किया है और इसे छात्रों के बीच ले जाया जा रहा है। इस माँगपत्रक की प्रमुख माँगें हैं. छात्र संघ को बहाल किया जाय;  विश्वविद्यालय में लगातार जारी बेतहाशा फीस वृद्धि को तत्काल रोका जाय; कैम्पस में छात्रों को परिचर्चा, विचार-विमर्श, इत्यादि कार्यक्रम करने हेतु एक कमरा उपलब्ध कराया जाय एवं कैम्पस में एक ‘वॉल ऑफ डेमोक्रेसी’ का निर्माण किया जाय, जहाँ छात्र अपनी स्वरचित रचनाएँ, पोस्टर, सूचना आदि लगा सकें;  विश्वविद्यालय के सबसे बड़े पुस्तकालय टैगोर पुस्तकालय की हालत दयनीय है, उसमें तत्काल सुधार किया जाय; छात्रवासों में ख़ाली पड़े कमरों को छात्रों को आबण्टित किया जाय;  विश्वविद्यालय के भीतर पुलिस बलों की उपस्थिति को तत्काल समाप्त किया जाय;  शोध छात्रों को फेलोशिप प्रदान की जाय;  विश्वविद्यालय प्रशासन वित्तीय पारदर्शिता का सिद्धान्त लागू करते हुए सभी छात्रों के समक्ष अपने बजट को सार्वजनिक करने की व्यवस्था करे।