Category Archives: गतिविधि बुलेटिन

भगतिसंह, सुखदेव एवं राजगुरू के 84 वें शहादत दिवस के अवसर नोएडा, दिल्‍ली व नरवाना में कार्यक्रम

नोएडा के सेक्टर 63 स्थित छिजारसी में 21 से 23 मार्च तक शहीद मेला आयोजित किया गया। मेले के तीसरे व अंतिम दिन क्रांतिकारी गीतों एवं कविता पाठ तथा फि़ल्मों के अलावा पंजाब की तर्कशील सोसाइटी के साथियों ने अंधवि‍श्वास-तोड़क जादू के खेल दिखाये और पाखंडी बाबाओं, साधू-संतों के चंगुल से निकलने की अपील की तथा वैज्ञानिक व तर्कशील सोच को बढावा देने की जरूरत पर बल दिया। भगतिसंह, सुखदेव एवं राजगुरू के 84 वें शहादत दिवस के अवसर पर शहीद मेले से एक मशाल जुलूस भी निकाला गया जिसमें ‘भगतिसंह तुम जिन्दा हो हम सबके संकल्पों में’, ‘अमर शहीदों का पैगाम, जारी रखना है संग्राम’ जैसे गगनभेदी नारे लगाकर शहीदों के सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया गया।

नौजवान भारत सभा का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न

भगतसिंह जैसे महान युवा क्रान्तिकारी के विचारों से प्रेरित इस संगठन के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन को आयोजित करने का इससे बेहतर मौक़ा कोई नहीं हो सकता था। ग़ौरतलब है कि 1926 में भगतसिंह और उनके साथियों ने औपनिवेशिक गुलामी के विरुद्ध भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को नया वैचारिक आधार देने के लिए और एक नये सिरे से संगठित करने के लिए युवाओं का जो संगठन बनाया था उसका नाम भी नौजवान भारत सभा ही था। यह नाम अपने-आपमें उस महान क्रान्तिकारी विरासत को पुनर्जागृत करने और उसे आगे बढ़ाने के संकल्प का प्रतीक है।

पंजाब में काले क़ानून के ख़िलाफ़ संयुक्त मोर्चा

पंजाब सरकार द्वारा पारित घोर फासीवादी काले क़ानून ‘पंजाब सार्वजनिक व निजी सम्पत्ति नुकसान रोकथाम क़ानून-2014’ को रद्द करवाने के लिए पंजाब के मज़दूरों, किसानों, सरकारी मुलाजमों, छात्रों, नौजवानों, स्त्रियों, जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं के संगठन संघर्ष की राह पर हैं। करीब 40 संगठनों का ‘काला क़ानून विरोधी संयुक्त मोर्चा, पंजाब’ गठित हुआ है।

गाज़ा में इज़रायल द्वारा जारी बर्बर जनसंहार के विरुद्ध देशभर में विरोध प्रदर्शन

इस सदी के बर्बरतम नरसंहार, यानी गाज़ा के नागरिकों पर जारी इज़रायल के हवाई हमलों के विरुद्ध दुनियाभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत में बिगुल मज़दूर दस्ता से जुड़े साथियों ने इसपर पहल लेने में अहम भूमिका निभायी और देश के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने में आगे रहे।

यूनीवर्सिटी कम्युनिटी फ़ॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वैलिटी के नेतृत्व में प्रो. हातेकर के अन्यायपूर्ण निलम्बन के ख़िलाफ़ सफल छात्र आन्दोलन

यूसीडीई (यूनीवर्सिटी कम्युनिटी फ़ॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वैलिटी) ने प्रो. हातेकर के निलम्बन के विरोध में 6 जनवरी को कलीना कैम्पस, मुम्बई विश्वविद्यालय का गेट जाम करके प्रदर्शन किया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया। इसके बाद 8 जनवरी को एक बड़ा विरोध जुलूस निकाला गया जिसमें सैकड़ों छात्रों ने भागीदारी की। इस जुलूस का आह्वान भी यूसीडीई ने किया था। इसके बाद यूसीडीई ने विश्वविद्यालय के कन्वोकेशन समारोह के दिन 12 जनवरी को मुँह पर काली पट्टियाँ बाँधकर विरोध प्रदर्शन भी किया। इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन पर आन्दोलन का दबाव लगातार बढ़ता रहा। इसके बाद आगे का रास्ता तय करने के लिए यूसीडीई ने 15 जनवरी को यूसीडीई की जनरल बॉडी की बैठक बुलायी। इस बैठक में भूख हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया गया। तारीख़ 20 जनवरी तय की गयी। लेकिन इस भूख हड़ताल के शुरू होने के एक दिन पहले ही विश्वविद्यालय ने बढ़ते आन्दोलन को देखकर प्रो. हातेकर का निलम्बन वापस ले लिया। इसके बाद 20 जनवरी को यूसीडीई के नेतृत्व में एक विजय मार्च का आयोजन किया गया।

हरियाणा के नरवाना में निर्माण मज़दूरों ने संघर्ष के दम पर हासिल की जीत

अभी पिछले अप्रैल माह की 15 तारीख़ को भवन निर्माण क्षेत्र से जुड़े कुछ मज़दूरों ने अपनी मज़दूरी बढ़वाने के लिए नौजवान भारत सभा और बिगुल मज़दूर दस्ता से जुड़े कार्यकत्ताओं से सलाह-मशविरा किया। इन मज़दूरों का काम ट्राली-ट्रक इत्यादि से सीमेण्ट, बजरी, रेती आदि उतारने और लादने का होता है। मज़दूरी बेहद कम और पीस रेट के हिसाब से मिलती है। ज्ञात हो कि नौजवान भारत सभा और बिगुल मज़दूर दस्ता पिछले लगभग दो साल से हरियाणा में सक्रिय हैं। युवाओं से जुड़े तथा विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर प्रचार आदि के कारण और पिछले दिनों चले मारुति सुजुकी मज़दूर आन्दोलन में भागीदारी के कारण इन संगठनों की इलाक़े में पहचान है। बिगुल और नौभास के कार्यकर्ताओं ने निर्माण क्षेत्र से जुड़े मज़दूरों की तुरन्त यूनियन बनाने और यूनियन के तहत ही संगठित रूप से हड़ताल करने का सुझाव दिया। 15 तारीख़ को ही निर्माण मज़दूर यूनियन की तरफ़ से पर्चा लिखकर छपवा दिया गया और सभी मज़दूरों को एकजुट करके हड़ताल करने का निर्णय लिया गया। उसी दिन यूनियन की 11 सदस्यीय कार्यकारी कमेटी का चुनाव भी कर लिया गया। पहले दिन काम बन्द करवाने को लेकर कई मालिकों के साथ कहा-सुनी और झगड़ा भी हुआ, किन्तु अपनी एकजुटता के बल पर यूनियन ने हर जगह काम बन्द करवा दिया। 16 तारीख़ को यूनियन ने नौभास और बिगुल मज़दूर दस्ता की मदद से पूरे शहर में परचा वितरण और हड़ताल का प्रचार किया। मज़दूरों के संघर्ष और जुझारू एकजुटता के सामने 16 तारीख़ के ही दिन में मालिकों यानी भवन निर्माण से जुड़ी सामग्री बेचने वाले दुकानदारों ने हाथ खड़े कर दिये।

पाँचवीं अरविन्द स्मृति संगोष्ठी की रिपोर्ट

पाँचवीं अरविन्द स्मृति संगोष्ठी पिछले 10-14 मार्च तक इलाहाबाद में सम्पन्न हुई। इस बार संगोष्ठी का विषय था: ‘समाजवादी संक्रमण की समस्याएँ’। संगोष्ठी में इस विषय के अलग-अलग पहलुओं को समेटते हुए कुल दस आलेख प्रस्तुत किये गये और देश के विभिन्न हिस्सों से आये सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के बीच उन पर पाँचों दिन सुबह से रात तक गम्भीर बहसें और सवाल-जवाब का सिलसिला चलता रहा। संगोष्ठी में भागीदारी के लिए नेपाल से आठ राजनीतिक कार्यकर्ताओं, संस्कृतिकर्मियों व पत्रकारों के दल ने अपने देश के अनुभवों के साथ चर्चा को और जीवन्त बनाया।

आह्वान’ के पाठकों से एक अपील: द्वितीय पाठक सम्मेलन की तैयारी में सहायता हेतु

हमने नवम्बर/दिसम्बर 2014 में आह्वान का ‘द्वितीय पाठक सम्मेलन’ करने का निर्णय किया है। इस बार यह सम्मेलन 3 दिनों का होगा और दिल्ली में आयोजित किया जायेगा। इस सम्मेलन में हम सभी आह्वान पाठकों को दिल से न्यौता देते हैं कि वे आयें और आज के दौर की चुनौतियों और उनके मद्देनज़र आह्वान की भूमिका को निर्धारित व पुनर्निर्धारित करने की प्रक्रिया में भागीदारी करें।

देशभर में चलाया गया चुनाव भण्डाफ़ोड़ अभियान

एक बार फिर चुनावी महानौटंकी का शोर मचा हुआ है। मतदान के “पवित्र अधिकार” का प्रयोग करने के वास्ते प्रेरित करने के लिए सरकारी तन्त्र से लेकर निजी कम्पनियों तक ने पूरी ताक़त झोंक दी है, पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है, ताकि लोकतन्त्र के नाम पर 62 वर्ष से जारी स्वाँग से ऊबी हुई जनता को फिर से झूठी उम्मीद दिलायी जा सके। लेकिन हमारे पास चुनने के लिए आख़ि‍र है क्या? झूठे आश्वासनों और गाली-गलौच की गन्दी धूल के नीचे असली मुद्दे दब चुके हैं। 16वीं लोकसभा का चुनाव देश का अब तक का सबसे महँगा और ख़र्चीला चुनाव (लगभग 30000 करोड़ रुपये) होने जा रहा है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा काले धन का लगा हुआ है। इस धमा-चौकड़ी के बीच बिगुल मज़दूर दस्ता, नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन, जागरूक नागरिक मंच, स्त्री मज़दूर संगठन और स्त्री मुक्ति लीग देश के कई राज्यों के विभिन्न शहरी और ग्रामीण इलाक़ों में चुनावी राजनीति का भण्डाफोड़ अभियान चलाकर लोगों को यह बता रहे हैं कि वर्तमान संसदीय ढाँचे के भीतर देश की समस्याओं का हल तलाशना एक मृगमरीचिका है। वैसे भी चुनाव कोई भी जीते, जनता हमेशा हारती ही है।

औद्योगिक दुर्घटनाओं पर डॉक्युमेण्ट्री फिल्म का प्रथम प्रदर्शन

फिल्म दिखाती है कि किस तरह राजधानी के चमचमाते इलाक़ों के अगल-बगल ऐसे औद्योगिक क्षेत्र मौजूद हैं जहाँ मज़दूर आज भी सौ साल पहले जैसे हालात में काम कर रहे हैं। लाखों-लाख मज़दूर बस दो वक़्त की रोटी के लिए रोज़ मौत के साये में काम करते हैं। सुरक्षा इन्तज़ामों को ताक पर धरकर काम कराने के कारण आये दिन दुर्घटनाएँ होती रहती हैं और लोग मरते रहते हैं, मगर ख़ामोशी के एक सर्द पर्दे के पीछे सबकुछ यूँ ही चलता रहता है, बदस्तूर। फिल्म में यह भी अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया है कि किस तरह दुर्घटनाओं के बाद पुलिस, फैक्ट्री मालिक और राजनीतिज्ञों के गँठजोड़ से मौत की ख़बरों को दबा दिया जाता है। मज़दूर या उसके परिवार को दुर्घटना के मुआवज़े से भी वंचित रखने में श्रम क़ानूनों की ख़ामियों, दलालों और भ्रष्ट अफसरों के तिकड़मों को भी इसमें उजागर किया गया है।