जनचेतना की वार्षिक पुस्तक प्रदर्शनी
विगत वर्षों के मुकाबले इस वर्ष की पुस्तक प्रदर्शनी में नौजवान पाठकों की संख्या बहुत ज़्यादा थी। किशोरवय के लड़के-लड़कियाँ तक भगतसिंह और मार्क्सवादी साहित्य की खोज में प्रदर्शनी स्थल तक आये। सैकड़ों पाठकों ने पुस्तक प्रदर्शनी के बारे में लिखित प्रतिक्रिया दर्ज की। अनन्या ने लिखा – “ख़ूबसूरत कविता-पोस्टरों ने मुझे मजबूर कर दिया कि मैं कुछ किताबें ख़रीदूँ और पढूँ।” ज़्यादातर पाठकों ने बाज़ार में प्रगतिशील-क्रान्तिकारी साहित्य उपलब्ध न होने पर क्षोभ प्रकट करते हुए जनचेतना के प्रयासों की प्रासंगिकता और अनिवार्यता पर ख़ासा ज़ोर देते हुए टिप्पणियाँ दर्ज कीं।