भाषाई अस्मितावादियों के हवाई दावे और भाषा-बोली को लेकर बचकानी, हठीली नासमझियाँ
असल बात यह है कि लाख प्रयासों के बावजूद ये हिन्दी पट्टी की सभी बोलियों के अस्मितावादियों को एकजुट नहीं कर पा रहे हैं। ये प्रयास भी करें तो उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में इनकी लाइन की बात कोई नहीं सुनने वाला, हालाँकि अपने जैसे ही कुछ अस्मितावादी इन्हें ज़रूर मिल जायेंगे। उस वैज्ञानिक बात को जनता व्यावहारिक तौर पर समझती है, जिसे सैद्धान्तिक तौर पर इनका अस्मितावादी मन समझ नहीं पा रहा है।