जनचेतना की वार्षिक पुस्तक प्रदर्शनी

दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा के सहयोग से जनचेतना की वार्षिक पुस्तक प्रदर्शनी 16 दिसम्बर 2010 से 15 जनवरी 2011 तक आयोजित की गयी। विगत 20 वर्षों से निरन्तर लगने वाली यह पुस्तक प्रदर्शनी गोरखपुर के साहित्यिक-सांस्कृतिक जगत की पहचान बन चुकी है।

प्रदर्शनी का उद्घाटन 16 दिसम्बर को प्रसिद्ध कथाकार श्री मदनमोहन ने किया। उन्होंने कहा कि पुस्तकों के भीतर प्रगतिशील जीवन मूल्यों और मानवीय संवेदनाओं का अनन्त विस्तार समाहित होता है। इण्टरनेट का माध्यम भी अपनी तमाम ख़ूबियों के बावजूद पुस्तकों का विकल्प नहीं हो सकता। अगर आपको एकान्त में आत्मीय संवाद का रिश्ता कायम करना है तो पुस्तकों के ज़रिये ही सम्भव है। इस मौक़े पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. जे.पी. चतुर्वेदी, साहित्यकार प्रमोद कुमार, साहित्यकार वेद प्रकाश, फ़िल्मकार प्रदीप सुविज्ञ, डॉ. आर.एन. सिंह, शिवनन्दन सहाय, रूपेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार श्यामानन्द श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।

ahwan jan-feb 2011 PDF file_Page_61_Image_0001

विगत वर्षों के मुकाबले इस वर्ष की पुस्तक प्रदर्शनी में नौजवान पाठकों की संख्या बहुत ज़्यादा थी। किशोरवय के लड़के-लड़कियाँ तक भगतसिंह और मार्क्सवादी साहित्य की खोज में प्रदर्शनी स्थल तक आये। सैकड़ों पाठकों ने पुस्तक प्रदर्शनी के बारे में लिखित प्रतिक्रिया दर्ज की। अनन्या ने लिखा – “ख़ूबसूरत कविता-पोस्टरों ने मुझे मजबूर कर दिया कि मैं कुछ किताबें ख़रीदूँ और पढूँ।” ज़्यादातर पाठकों ने बाज़ार में प्रगतिशील-क्रान्तिकारी साहित्य उपलब्ध न होने पर क्षोभ प्रकट करते हुए जनचेतना के प्रयासों की प्रासंगिकता और अनिवार्यता पर ख़ासा ज़ोर देते हुए टिप्पणियाँ दर्ज कीं। गरिमा ने लिखा, “…जनचेतना की पुस्तक प्रदर्शनी न केवल वर्ष के अन्त में (दिसम्बर में) बल्कि पूरे वर्ष रहनी चाहिए…। समाज में व्यापक बदलाव लाने की दिशा में ऐसी पुस्तकों से बहुमूल्य सहयोग मिल सकता है।” शायद यही वजह थी कि बहुतेरे पाठकों ने जनचेतना के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए तरह-तरह से सहयोग किया और भविष्य में जारी रखने का वायदा किया। कई पाठकों ने तो प्रदर्शन का संचालन कर रहे वालिण्टियर टीम के भोजन की भी व्यवस्था की। प्रदर्शनी के दौरान दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा की सांस्कृतिक टोली द्वारा कविता पाठ, कहानी पाठ और क्रान्तिकारी गीत भी प्रस्तुत किये गये। प्रदर्शनी का समापन 15 जनवरी 2011 को हुआ।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जनवरी-फरवरी 2011

 

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।