हिन्दू आतंकवाद के नाम पर तिलमिलाहट क्यों?
आर.एस.एस. और भा.ज.पा. जिन कार्यों के लिए सिमी, तालिबानियों और नक्सलियों को आतंकवादी कहते हैं, उन्हीं गतिविधियों और कार्यों के लिए ख़ुद को आतंकवादी कहा जाना उन्हें पसन्द क्यों नहीं? पूरे गुजरात को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनाकर हज़ारों निर्दोषों को सरकारी मशीनरी का प्रयोग करते हुए सरेआम जिन्दा जला देने का काम हो या उड़ीसा में ईसाई समुदाय के लोगों का कत्लेआम या भण्डारकर शोध संस्थान को आग के हवाले करने का काम हो, या नागपुर, मालेगाँव और कानपुर में बम विस्फोट करने का काम हो, या दिल्ली के करोलबाग में न्यूज़ चैनल के ऑफिस को तोड़फोड़कर नष्ट कर देने का या मुम्बई में ग़ैर-महाराष्ट्रीय लोगों को सड़क पर सरेआम कत्ल करने का काम; ये सब आतंकवादी कार्यवाही नहीं हैं क्या?