भाजपा भ्रष्टाचार का विरोध कैसे करेगी?
भाजपा भ्रष्टाचार का विरोध कैसे करेगी? हरिशंकर परसाई साधो, भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन करने वाली है। सबसे निरर्थक आन्दोलन भ्रष्टाचार के विरोध का आन्दोलन होता है। भ्रष्टाचार विरोधी…
भाजपा भ्रष्टाचार का विरोध कैसे करेगी? हरिशंकर परसाई साधो, भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन करने वाली है। सबसे निरर्थक आन्दोलन भ्रष्टाचार के विरोध का आन्दोलन होता है। भ्रष्टाचार विरोधी…
मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया (प्रेमचन्द के जन्मदिवस 31 जुलाई पर) गजानन माधव मुक्तिबोध एक छाया-चित्र है। प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं। प्रसाद गम्भीर सस्मित। प्रेमचन्द…
मैं सोचता हूँ कि रात भर वह नेता क्या सोच रहा होगा! ऐसा क्या हुआ कि सुबह उठते ही उसे वह सरकार इतनी पसन्द आने लगी जिसे रात में वह गाली दे रहा था। रात में उसे देश में हर जगह महँगाई-बेरोज़गारी दिख रही थी, सुबह उठने के बाद उसे देश में विकास दिखने लगा। कल तक सर्वधर्म समभाव की बात कर रहा था, आज सुबह से सनातन ख़तरे में दिखने लगा। रात भर में उसे यह दिव्य दृष्टि कहाँ से मिल गयी, सोते-सोते यह बोधिज्ञान कहाँ से प्राप्त हो गया, जो अब तक लुप्त था। क्या पता वो रात में यही सोचते-सोचते सो गया हो कि जीवन में आज तक आगे बढ़ने के लिए क्या-क्या किया और भविष्य में आगे बढ़ने के लिए क्या करना है! रात को वह सोया और सुबह उठा तो ख़ुद को एक क़िस्म के तिलचट्टे में बदला हुआ पाया। हो गया मेटामॉरफ़ॉसिस! मेटामॉरफ़ॉसिस की प्रक्रिया क्या होती है यह भी जान लीजिए! सबसे पहले रीढ़ की हड्डी मुड़ना शुरू हो जाती है और धीरे-धीरे ग़ायब हो जाती है। आँखें छोटी-छोटी हो जाती हैं, कान फैलकर चमगादड़ जैसे हो जाते हैं। हाथ-पैर छोटे-छोटे, दाँत नुकीले और और छाती-पेट सब फूलकर गोल हो जाते हैं। दिमाग़़ भी सिकुड़कर बिलकुल छोटा हो जाता है।
रॉके डॉल्टन की कविताएँ अनुवाद : प्रियम्वदा निम्न-पूँजीपति वर्ग (उसकी एक अभिव्यक्ति के बारे में) वे जो सबसे बेहतर स्थितियों में क्रान्ति करना चाहते हैं इतिहास के लिये, तर्क के…
और चमेली सोचती है, आज दिन ऐसा कौन है जो गूँगा नहीं है। किसका हृदय समाज, राष्ट्र, धर्म और व्यक्ति के प्रति विद्वेष से, घृणा से नहीं छटपटाता, किन्तु फिर भी कृत्रिम सुख की छलना अपने जालों में उसे नहीं फाँस देती-क्योंकि वह स्नेह चाहता है, समानता चाहता है!
महाजनी सभ्यता प्रेमचन्द मुज़द: ए दिल कि मसीहा नफ़से मी आयद; कि जे़ अनफ़ास खुशश बूए कसे मी आयद। (हृदय तू प्रसन्न हो कि पीयूषपाणि मसीहा सशरीर तेरी ओर आ…
प्रेमचन्द, उनका समय और हमारा समय : निरन्तरता और परिवर्तन के द्वन्द्व को लेकर कुछ बातें कविता कृष्णपल्लवी प्रेमचन्द की 300 से अधिक कहानियों में से कम से कम 20…
वीरेन डंगवाल के जन्मदिवस और स्मृति दिवस के अवसर पर मंगलेश डबराल हिन्दी की वाम कविता धारा के एक अग्रणी और अनूठे कवि वीरेन डंगवाल के 74वें जन्मदिन (5 अगस्त…
म्यूरल आन्दोलन: मैक्सिकन क्रान्ति की आँच में निर्मित हुआ कला आन्दोलन सनी मैक्सिको में जन्मे ‘जन तक कला’ ले जाने का आह्वान करने वाले म्यूरल आन्दोलन के इतिहास को लगभग…
प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट लीग ने ‘महामारी के दौर में कला’ विषय पर ऑनलाइन प्रदर्शनी आयोजित की। इस प्रदर्शनी में अलग-अलग जगहों से कलाकारों ने हिस्सेदारी की व उक्त विषय पर बनाई गई पेंटिंग, स्केच, वीडियो, कविताएँ एवं कोलाज साझा किए। यह प्रदर्शनी कोरोना काल में पैदा हुई मानवीय संकट के कारणों को कला के जरिये आमजन तक ले जाने का एक प्रयास थी।