महाजनी सभ्यता
महाजनी सभ्यता प्रेमचन्द मुज़द: ए दिल कि मसीहा नफ़से मी आयद; कि जे़ अनफ़ास खुशश बूए कसे मी आयद। (हृदय तू प्रसन्न हो कि पीयूषपाणि मसीहा सशरीर तेरी ओर आ…
महाजनी सभ्यता प्रेमचन्द मुज़द: ए दिल कि मसीहा नफ़से मी आयद; कि जे़ अनफ़ास खुशश बूए कसे मी आयद। (हृदय तू प्रसन्न हो कि पीयूषपाणि मसीहा सशरीर तेरी ओर आ…
प्रेमचन्द, उनका समय और हमारा समय : निरन्तरता और परिवर्तन के द्वन्द्व को लेकर कुछ बातें कविता कृष्णपल्लवी प्रेमचन्द की 300 से अधिक कहानियों में से कम से कम 20…