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मेटामॉरफ़ॉसिस

मैं सोचता हूँ कि रात भर वह नेता क्या सोच रहा होगा! ऐसा क्या हुआ कि सुबह उठते ही उसे वह सरकार इतनी पसन्द आने लगी जिसे रात में वह गाली दे रहा था। रात में उसे देश में हर जगह महँगाई-बेरोज़गारी दिख रही थी, सुबह उठने के बाद उसे देश में विकास दिखने लगा। कल तक सर्वधर्म समभाव की बात कर रहा था, आज सुबह से सनातन ख़तरे में दिखने लगा। रात भर में उसे यह दिव्य दृष्टि कहाँ से मिल गयी, सोते-सोते यह बोधिज्ञान कहाँ से प्राप्त हो गया, जो अब तक लुप्त था। क्या पता वो रात में यही सोचते-सोचते सो गया हो कि जीवन में आज तक आगे बढ़ने के लिए क्या-क्या किया और भविष्य में आगे बढ़ने के लिए क्या करना है! रात को वह सोया और सुबह उठा तो ख़ुद को एक क़िस्म के तिलचट्टे में बदला हुआ पाया। हो गया मेटामॉरफ़ॉसिस! मेटामॉरफ़ॉसिस की प्रक्रिया क्या होती है यह भी जान लीजिए! सबसे पहले रीढ़ की हड्डी मुड़ना शुरू हो जाती है और धीरे-धीरे ग़ायब हो जाती है। आँखें छोटी-छोटी हो जाती हैं, कान फैलकर चमगादड़ जैसे हो जाते हैं। हाथ-पैर छोटे-छोटे, दाँत नुकीले और और छाती-पेट सब फूलकर गोल हो जाते हैं। दिमाग़़ भी सिकुड़कर बिलकुल छोटा हो जाता है।