शहीदेआज़म भगतसिंह के 81वें शहादत दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

दिल्ली संवाददाता

शहीद भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव के 81वें शहादत दिवस पर दिल्ली में नौजवान भारत सभा के बैनर तले 23 मार्च, 2012 को खजूरी चौक पर शहीदों को याद करते हुए एक पोस्टर-पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई। सुबह नौभास के सदस्य और शहीद भगतसिंह पुस्तकालय से जुड़े बच्चों की टीम साईकिल पर नारे लगाते हुए खजूरी चौक पहुँची। करावलनगर की बहुसंख्यक आबादी खजूरी चौक से होते हुए ही अपने काम पर जाती है। चौक के एक किनारे पटरी पर लगी इस प्रदर्शनी में शहीद भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव की बड़ी तस्वीर लगाई गई थी। कुछ अलग पोस्टरों से भगतसिंह और उनके साथियों की राजनीतिक-वैचारिक यात्रा को भी बताया गया था। प्रदर्शनी को काफी नागरिकों ने सराहा और उत्साहवर्धन किया। प्रदर्शनी के दौरान नौभास के योगेश ने बताया की आज शहीदेआजम भगतसिंह को याद करने का मकसद सिर्फ रस्मअदायगी नहीं होना चाहिए बल्कि उनके सपनों को संकल्प में ढालकर लोगों के बीच फिर से बदलाव की उम्मीद पैदा करना है। इसलिए हम हर उस नौजवान को ललकारते हैं जो चारों ओर हो रहे अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए खड़ा होना चाहता है। प्रदर्शनी में बच्चों ने ‘रंग दे बसंती’ गाने की प्रस्तुति की।

इसके पश्चात् नौभास ने शाम 5 बजे शहीद भगतसिंह पुस्तकालय पर फिल्म-शो के तहत डॉक्यूमेन्ट्री ‘इंकलाब’ तथा चार्ली चैपलिन की ‘मॉडर्न टाम्इस’ फिल्मों का प्रदर्शन किया। फिल्म-शो के दौरान करीब 60 दर्शक उपस्थित थे।

अपने शहीदों की विरासत को याद करते हुए 25 मार्च को जनपक्षधर पत्रकार गणेशशंकर विद्यार्थी के शहादत दिवस के अवसर पर भी नौजवान भारत सभा ने करावल नगर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया। वेस्ट कमलविहार मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में विहान टोली ने क्रान्तिकारी गीत-‘आ रे नौजवान’, ‘जारी है, जारी है, अभी लड़ाई जारी है’ की प्रस्तुति की, वहीं बच्चों ने सफदर हाशमी के नाटक-तमाशा; ‘समरथ को नहिं दोष गुसाई’ का संशोधित रूप का मंचन किया। नौभास के संयोजक योगेश ने बताया कि शहीद भगतसिंह का शहादत दिवस तो 23 मार्च को होता है पर उनकी याद में हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम में ज़्यादा लोग शामिल हो सके इसलिए कार्यक्रम 25 मार्च, रविवार को रखा गया। कार्यक्रम की शुरुआत शहीद भगतसिंह की तस्वीर पर छोटी बच्ची रितिका द्वारा माल्यार्पण से की गई। इसके बाद बच्चों ने ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ गीत की प्रस्तुति की। नौभास के सदस्य विराट ने शहीद भगतसिंह के जीवन का परिचय रखते हुए कहा कि भगतसिंह की वीरता और कुर्बानी से तो पूरा देश परिचित है लेकिन इस देश के पढ़े-लिखे नौजवान तक यह नहीं जानते कि 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में फाँसी का फन्दा चूमने वाला वह जाँबाज नौजवान कितना दूरदर्शी विचारक था। यह हमारी जनता का दुर्भाग्य है और सत्ताधारियों की साजि़श का नतीजा है। अब यह हमारा काम है कि हम भगतसिंह और उनके साथियों के विचारों को जन-जन तक पहुँचाएँ, उनकी स्मृति से प्ररेणा लें और उनके विचारों के आलोक में अपने देशकाल की परिस्थितियों को समझकर नई क्रान्ति की दिशा तय करें।

दिशा छात्र संगठन के सदस्य गजेन्द्र ने ‘भगतसिंह इस बार न लेना काया भारतवासी की’ कविता का पाठ किया। नौभास के सदस्य अजय ने बात रखते हुए कहा कि अब तक हम 15 लोकसभा चुनाव और कई विधानसभा चुनावों में सभी चुनावी पार्टियों को आज़मा चुके हैं। हर पाँच साल में होने वाले चुनाव में साँपनाथ या नागनाथ में से ही किसी को चुनना होता हैं। इन पूँजीवादी चुनावों में जीते कोई भी, हारती जनता ही है। झण्डे, नारे, चेहरे के सिवा सबकी नीति एक है-जनता को लूटो और पूँजीपतियों पर लुटाओ। असल में चुनी हुई सरकार पूँजीपतियों की ‘मैनेजिंग कमेटी’ का ही काम करती है। इसलिए आज चुनावों से आम मेहनतकश की जि़न्दगी नहीं बदलने वाली है, बल्कि शहीदों के विचारों से परिचित हो, नये इंकलाब की तैयारी में लगना ही जनमुक्ति का एकमात्र रास्ता है। कार्यक्रम के अन्त में नौभास के संयोजक योगेश ने संगठन की आगे की योजनाओं को लोगों के समाने रखा। कार्यक्रम का संचालन नौभास के सदस्य प्रेमप्रकाश ने किया।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मार्च-अप्रैल 2012

 

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