दिल्ली विश्वविद्यालय में व्याख्यान का आयोजन
23 सितम्बर को दिशा छात्र संगठन ने दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘एक क्रान्तिकारी चिन्तक के रूप में भगतसिंह’ विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया जिसमें डा. एस. इरफान हबीब को वक्ता के रूप में बुलाया गया । ज्ञात हो कि हाल ही में डा. एस. इरफान हबीब ने भगतसिंह पर एक चर्चित पुस्तक लिखी है – ‘बहरों को सुनाने के लिए’ । इस व्याख्यान में करीब 150 छात्रों और कुछ शिक्षकों ने भी शिरकत की । डा. हबीब ने कहा कि भगतसिंह जन स्मृतियों में एक बहादुर इंकलाबी के रूप में बसे हुए हैं । लेकिन एक चिन्तक के रूप में उनकी पहचान को दबाया गया है और उन्हें याद करने को महज़ एक रस्म–अदायगी बना दिया गया है । उनकी तमाम रचनाएँ ग़ायब हो गईं और जो महत्वपूर्ण जेल डायरी हाथ लगी वह भी उनकी शहादत के 63 वर्षों के बाद । भगतसिंह की धारा राष्ट्रीय आन्दोलन की एक महत्वपूर्ण और सबसे अहम इंकलाबी धारा थी । लेकिन इस पूरी वैचारिक विरासत को दबा दिया गया है । इसे आज के नौजवानों को फिर से उजागर करना होगा और उसे जनता के आम वर्गों के बीच ले जाना होगा । इस व्याख्यान के बाद एक जीवन्त चर्चा हुई जिसमें छात्र–छात्राओं ने डा. हबीब से खूब सवाल पूछे और बातचीत की । इस व्याख्यान स्थल पर ही भगतसिंह के जीवन और विचार यात्रा पर एक झाँकी भी लगी हुई थी । साथ ही एक पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था । मंच पर ‘दायित्वबोध’ के सम्पादक और एस. इरफान हबीब की पुस्तक के अनुवादक सत्यम भी मौजूद थे । कार्यक्रम का संचालन दिशा छात्र संगठन के संयोजक अभिनव ने किया ।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, अक्टूबर-दिसम्बर 2008
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