दिल्ली राज्य सरकार के तहत आने वाले अस्पतालों में कर्मचारियों के आन्दोलन में दिशा छात्र संगठन की भागीदारी
नवम्बर, 2007 में दिल्ली सरकार के तहत आने वाले पाँच बड़े अस्पतालों के कर्मचारियों ने ठेका प्रथा और निजीकरण के ख़िलाफ़ एक विशाल आन्दोलन किया। इस आन्दोलन में दिशा छात्र संगठन ने अपना समर्थन दिया। दिशा की ओर से अस्पताल की ग्रुप सी व डी की यूनियन को बताया गया कि निजीकरण और ठेकाकरण के ख़िलाफ़ हर लड़ाई में दिशा छात्र संगठन अपनी भरपूर ताक़त के साथ शिरकत करेगा। इस आन्दोलन के लिए व्यापक जनता के बीच समर्थन जुटाने के लिए एक पर्चा निकाला जिसमें जनता को असलियत से वाकिफ़ कराया गया।
दिल्ली सरकार का इरादा 1970 से पहले बने सभी सरकारी अस्पतालों में ठेकाकरण और निजीकरण करने का था। इसके ख़िलाफ़ तीसरी और चौथी श्रेणी के कर्मचारियों और नर्सों ने एक जुझारू आन्दोलन शुरू कर दिया। इस आन्दोलन पर सरकार ने ‘एस्मा’ लगाने की धमकी दी। मगर इसके बाद, दिशा के समर्थन के साथ, आन्दोलन जारी रहा और अन्ततः सरकार को झुकना पड़ा। दिशा छात्र संगठन के प्रवक्ता का कहना था कि जिस प्रकार के अनौपचारिकीकरण (इनफ़ॉर्मलाइज़ेशन) की प्रक्रिया उद्योगों में मज़दूरों के ख़िलाफ़ और सरकारी उपक्रमों में निचली श्रेणी के कर्मचारियों के ख़िलाफ़ चलाई जा रही है वही प्रक्रिया छात्रों के ख़िलाफ़ विश्वविद्यालयों में सीटें कम करके और फ़ीसें बढ़ाकर और पत्रचारीकरण के रूप में चलाई जा रही है। यह भूमण्डलीकरण-उदारीकरण की नीतियाँ ही हैं जिनकी मार मज़दूरों और छात्रों और निम्नमध्यमवर्गीय नौजवानों पर एक साथ पड़ रही है। इसके ख़िलाफ़ लड़ने के लिए एक जुझारू छात्र-युवा-मज़दूर एकता बनानी होगी। अकेले-अकेले हम नहीं लड़ सकते।
सरकार को इस आन्दोलन ने ठेकाकरण और निजीकरण के मुद्दे पर झुका दिया और आन्दोलन को एक शानदार विजय हासिल हुई।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जनवरी-मार्च 2008
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