121वें मई दिवस पर नौजवान भारत सभा द्वारा नौजवान मज़दूरों को अपील जारी
इस मई दिवस पर नौजवान भारत सभा की दिल्ली इकाई ने दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में मज़दूर बस्तियों में नौजवान मज़दूरों को अपील जारी करते हुए एक पर्चा वितरित किया। अनौपचारिक और असंगठित क्षेत्र में एक बहुत बड़ी युवा मज़दूर आबादी ऐसी है जो अपने वर्ग के गौरवशाली संघर्षों से अपरिचित है और मई दिवस के ऐतिहासिक महत्व के बारे में नहीं जानती है। साथ ही आज के दौर में जब ‘काम के घण्टे आठ’ का हक़ भी मज़दूरों से छीन लिया जा रहा है, संघर्ष की नयी रणनीतियाँ क्या होंगी, इसके बारे में भी पर्चे में लिखा गया। आज के दौर में कारखाने से घर की ओर जाने की बजाय घर से कारखाने की ओर जाना होगा। यानी मज़दूरों को मुहल्लों और बस्तियों में संगठित होना होगा और अपने राजनीतिक नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा। इस पर्चे को लेकर दिल्ली के कई मज़दूर इलाकों जैसे वज़ीरपुर, करावलनगर, बादली आदि में नुक्कड़ सभाएँ की गयीं और घर-घर जाकर पर्चा वितरण किया गया।
इस पर्चे पर मज़दूरों ने काफ़ी उत्साह दिखलाया। वज़ीरपुर में मज़दूरों के बीच एक बड़ी सांस्कृतिक सभा भी की गयी जिसमें क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति की गयी और मज़दूरों को मई दिवस के संघर्ष और ऐतिहासिक महत्व से अवगत कराया गया। इन अभियानों में अनेक मज़दूरों ने अपने पते दिये और नौजवान भारत सभा से जुड़ने की इच्छा भी जताई।
नौजवान भारत सभा, दिल्ली के योगेश ने बताया कि मई दिवस की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ आज वापस छीनी जा रही हैं। ऐसे में यह सभी नौजवानों और मज़दूरों का फ़र्ज़ बनता है कि वे इस साज़िश के ख़िलाफ़ संघर्ष में उतरें। भगतसिंह ने कहा था कि इस देश की असली क्रान्तिकारी ताक़त मज़दूर और किसान हैं। नौजवानों को उनका नेतृत्व देने के लिए आगे आना होगा और उनके संघर्षों से जुड़ना होगा। इस मई दिवस पर नौजवान भारत सभा ने यही प्रयास किया।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जुलाई-सितम्बर 2007
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