पाठक मंच
साथी, मैं एक मज़दूर हूँ और गुड़गाँव की एक कम्पनी में नौकरी करता हूँ। आज के समय में संकट और बेरोज़गारी जो कि दिन-प्रतिदिन मेरी आँखों के सामने नंगी सच्चाई की तरह उपस्थित है, इसे मैंने कविता के रूप में व्यक्त किया है। उम्मीद करता हूँ कि ये विचार ‘आह्वान’ के लायक होंगे!