लेने आये अनाज कूपन, मिली गोली
देश की सम्पूर्ण आबादी को भोजन उपलब्ध कराने वाली आम मेहनतकश ग़रीब किसान आबादी कालाहाण्डी और विदर्भ में आत्महत्याएँ करने को मजबूर है, देश के कारखानों में काम करने वाला मज़दूर जो ऐशो-आराम के सारे साज़ो-सामान बनाता है, सड़कें और इमारतें बनाता है, वह जीवन की बुनियादी शर्तों से क्यों वंचित है? क्योंकि इस शासन व्यवस्था के पैरोकारों के दिमाग़ पर लूट की हवस सवार है, जो शोषण की मशीनरी को चाक-चौबन्द करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।