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हरियाणा में प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव के लिए छात्रों का आन्दोलन और सरकार की तानाशाही

हरियाणा मे 22 साल बाद छात्र संघ चुनाव हुए। 1996 मे बंसीलाल सरकार ने गुण्डागर्दी का बहाना बनाकर छात्र संघ चुनावों को बन्द कर दिया था। उसके बाद से ही प्रदेश के छात्रों की यह माँग लगातार उठती रही है कि छात्र संघ चुनाव बहाल किये जायें ताकि प्रदेश के छात्र अपने हकों की आवाज़ उचित मंच के माध्यम से उठा सकें। पिछले लम्बे समय से हरियाणा में चाहे किसी भी पार्टी कि सरकार रही हो, छात्रों को उनके इस लोकतान्त्रिक अधिकार से वंचित रख रही है। सरकारी पक्ष का कहना है कि इससे गुण्डागर्दी बढ़ जायेगी। अगर ऐसा है तो फिर एमपी, एमएलए से लेकर सरपंच तक के चुनाव भी बन्द कर दिये जाने चाहिए क्योंकि उन चुनावों मे गुण्डागर्दी, बाहुबल और धनबल के के सिवाय और तो कुछ होने की सम्भावना ही नगण्य है।

18 दिन तक चली हरियाणा रोडवेज की ऐतिहासिक हड़ताल जनता पर निजीकरण के रूप में किये गये सरकारी हमले का जवाब देने में कहाँ तक कामयाब रही?

रोडवेज कर्मचारियों के संघर्ष का इतिहास लम्बा है। यदि मौजूदा कुछ संघर्षों की बात की जाये तो 5 सितम्बर को हड़ताल पर गये कर्मचारियों पर सरकार ने एस्मा एक्ट (Essentia। Services Maintenance Act) लगा दिया था। हड़ताल पर गये कर्मचारियों को पुलिस के द्वारा प्रताड़ित किया गया तथा कइयों को नौकरी से निलम्बित (सस्पेण्ड) कर दिया। जनता के हक़ में खड़े कर्मचारियों पर सरकार दमन का पाटा चलाती रही है। 10 सितम्बर को भी विधानसभा का घेराव करने जा रहे 20 हज़ार कर्मचारियों को जिनमें रोडवेज कर्मचारी भी शामिल थे का पुलिस द्वारा भयंकर दमन किया गया। पंचकुला में उनका स्वागत लाठी, आँसू गैस, पानी की बौछारों के साथ किया गया।

बढ़ते स्त्री विरोधी अपराधों के ख़िलाफ़ परचा वितरण

साल 2004 में जहाँ बलात्कार के 18,223 मामले दर्ज हुए थे वहीं साल 2014 में इनकी संख्या बढ़कर 36,735 हो गयी! निर्भया-डेल्टा मेघवाल-जीशा और न जाने कितनी निर्दोष बलात्कार और हत्या की बली चढ़ा दी जाती हैं लेकिन कानून-पुलिस-नेताशाही और समाज मूकदर्शक बनकर देखते रह जाते हैं।

नौजवान भारत सभा द्वारा बस कि‍राये में बढ़ोत्तरी का विरोध

बस कि‍राये में बढ़ोत्तरी का सबसे ज़्यादा नुकसान आम मेहनतकश जनता को होगा। एक तरफ सरकार लगातार रोडवेज़ का नि‍जीकरण करके नि‍जी बस माफि‍या को बढ़ावा दे रही है और दूसरी तरफ़ सरकार के पास नयी खरीदी 950 बसें खड़ी- खड़़ी बर्बाद हो रही हैं। सरकार जन सरोकारों से सरेआम मुँह मोड़ रही है तभी तो सार्वजानिक उपक्रम बर्बाद होने के लिए रख छोड़े गये हैं।

हरि‍याणा बिजली निगम की 23 ‘सब-डिवीजनों’ के निजीकरण के ख़िलाफ़ प्रदर्शन!

पिछले साल प्रदेश की खट्टर सरकार ने बिजली के दाम बढ़ाकर जनता की जेब पर सरेआम डाकेजनी की थी। अब खट्टर सरकार 34 हजार करोड़ का ‘घाटा’ दिखाकर हरियाणा के 23 ‘सब-डिवीजनों’ को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। सरकार के इस जन-विरोधी फैसले के ख़िलाफ़ बिजलीकर्मी ‘हरियाणा ज्वाईण्ट एक्शन कमेटी पाॅवर’ के बैनर तले पिछले दो माह से जन अभियान चला रहे थे। इन दो महीनों में बिजलीकर्मियों ने धरना, प्रदर्शन, क्रमिक अनशन, मशाल जुलूस, सेमीनार आदि के माध्यम से अपने संघर्ष को हरियाणा की जनता तक पहुँचाया।

नौजवान भारत सभा, हरियाणा का प्रथम राज्य स्तरीय सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न

3 अप्रैल को हरियाणा, जिला ज़ीन्द के नरवाना शहर में नौजवान भारत सभा के द्वारा अपने प्रथम राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के प्रथम, प्रतिनिधि सत्र में प्रदेश भर से क़रीब 80 नौजवानों ने भागीदारी की।

आरक्षण की लड़ाई: एक अनार सौ बीमार

सरकारों के द्वारा जब शिक्षा को महँगा किया जाता है व इसे आम जनता की पहुँच से लगातार दूर किया जाता है और जब सार्वजनिक क्षेत्र (‘पब्लिक सेक्टर’) की नौकरियों में कटौती करके हर चीज़ का ठेकाकरण किया जाता है तब जातीय ठेकेदार चूं तक नहीं करते! ‘रोज़गार ही नहीं होंगे तो आरक्षण मिल भी जायेगा तो होगा क्या?’ यह छोटी सी और सीधी-सच्ची बात भूल से भी यदि इनके मुँह से निकल गयी तो इन सभी की प्रासंगिकता ही ख़त्म हो जायेगी इस बात को ये घाघ भलीभाँति जानते हैं।

अमर शहीदों का पैगाम! जारी रखना है संग्राम!!

नौजवान भारत सभा की नरवाना व कलायत इकाइयों द्वारा काकोरी काण्ड के शहीदों के 88 वें शहादत दिवस के अवसर पर शहीदों को याद करते हुए जनसभा, नुक्कड़ नाटक व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। 19 दिसम्बर को काकोरी काण्ड के शहीदों रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खां और रोशनसिंह का 88वाँ शहादत दिवस था, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी का शहादत दिवस 17 दिसम्बर को था। इसी मौके पर नौजवान भारत सभा के द्वारा हमारे इन शहीदों के विचारों को जनता तक भी पहुँचाया गया।

हरियाणा पुलिस का दलित विरोधी चेहरा एक बार फिर बेनकाब

दलित उत्पीड़न के मामलों का समाज के सभी जातियों के इंसाफ़पसन्द लोगों को एकजुट होकर संगठित विरोध करना चाहिए। अन्य जातियों की ग़रीब आबादी को यह बात समझनी होगी की ग़रीब मेहनतकश दलितों, गरीब किसानों, खेतिहर मज़दूरों और समाज के तमाम ग़रीब तबके की एकजुटता के बल पर ही तमाम तरह के अन्याय की मुख़ालफ़त की जा सकती है। उन्होंने अपनी बात में कहा सवर्ण और मंझोली जातियों की गरीब-मेहनतकश आबादी को श्ह बात समझनी होगी कि यदि हम समाज के एक तबके को दबाकर रखेंगे, उसका उत्पीड़न करेंगे तो स्वयं भी व्यवस्था द्वारा दबाये जाने और उत्पीड़न किये जाने के लिए अभिशप्त होंगे।

हरियाणा में बिजली के बढ़े हुए दामों के विरोध में नौभास का प्रदर्शन!

हरियाणा में पिछले एक साल के अन्दर बिजली के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। अलग-अलग मदों में की गयी दामों की बढ़ोत्तरी 30 से 100 प्रतिशत तक की है। ध्यान रहे यह वही भाजपा है जो दिल्ली में चुनाव से पहले 30 प्रतिशत बिजली के दाम कम करने की बात करती रहती थी। मोदी-खट्टर चुनाव में शोर मचा रहे थे ‘बहुत हुई महँगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार’। लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने महँगाई के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिये हैं। मोदी सरकार ने डेढ साल में ही रेल किराये में 14 प्रतिशत बढ़ोत्तरी कर दी, सभी वस्तुओं व सेवाओं पर सेवा कर को 14.6 प्रतिशत तक बढ़ा दिया। साथ ही दालों से लेकर प्याज के रेट आसमान छू रहे हैं। आज महँगाई की मार ने मध्यमवर्ग की आबादी की भी कमर तोड़ दी है ग़रीबों की तो बिसात ही क्या है। अब जले पर नमक छिड़कते हुए बिजली के दामों को बढ़ाकर जनता की जेबों पर सरेआम डाकेजनी करने का काम खट्टर सरकार ने किया है।