हरियाणा बिजली निगम की 23 ‘सब-डिवीजनों’ के निजीकरण के ख़िलाफ़ प्रदर्शन!
नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन व बिगुल मज़दूर दस्ता की हरियाणा इकाइयों द्वारा बिजली निगम के 23 ‘सब डिविजनों’ को निजी हाथों में सौंपने के विरोध में दो दिवसीय (29-30 जून) राज्यव्यापी हड़ताल में भगीदारी की गयी। नरवाना, कैथल से लेकर रोहतक में हड़ताल स्थल पर बिजलीकर्मियों के कन्धे से कन्धा मिलाकर संघर्ष में साथ रहे। साथ ही नौभास द्वारा बिजली निगम के ‘सब-डिविजनों’ के निजीकरण के विरोध में परचा वितरण, नुक्कड़ सभा व दीवार पोस्टर जैसे जन-अभियान चलाकर खट्टर-मोदी सरकार की जन-विरोधी नीतियों को जनता के सामने बेपर्द करने का काम किया।
वक्ताओं ने बताया कि पिछले साल प्रदेश की खट्टर सरकार ने बिजली के दाम बढ़ाकर जनता की जेब पर सरेआम डाकेजनी की थी। अब खट्टर सरकार 34 हजार करोड़ का ‘घाटा’ दिखाकर हरियाणा के 23 ‘सब-डिवीजनों’ को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। सरकार के इस जन-विरोधी फैसले के ख़िलाफ़ बिजलीकर्मी ‘हरियाणा ज्वाईण्ट एक्शन कमेटी पाॅवर’ के बैनर तले पिछले दो माह से जन अभियान चला रहे थे। इन दो महीनों में बिजलीकर्मियों ने धरना, प्रदर्शन, क्रमिक अनशन, मशाल जुलूस, सेमीनार आदि के माध्यम से अपने संघर्ष को हरियाणा की जनता तक पहुँचाया।
29 और 30 जून को बिजली कर्मचारियों ने राज्यव्यापी हड़ताल के ज़रीये भाजपा सरकार की पूँजीपतियों को लाभ पहुँचाने वाली नीतियों का मुहँतोड़ जवाब दिया। वहीं खट्टर सरकार ने हिटलरी फरमान ज़ारी करते हुए हड़ताल रोकने हेतु छह महीने के लिए ‘एस्मा’ जैसा काला कानून लागू कर दिया था लेकिन हड़ताल को समर्थन देने और सरकार की जन-विरोधी नीतियों की मुख़ालफ़त करने के लिए बिजलीकर्मियों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाते हुए रोडवेजकर्मी, पब्लिक हेल्थ कर्मी व अध्यापक संघ से लेकर तमाम छात्र-युवा संगठन भी मैदान में आ डटे थे। ‘नौजवान भारत सभा’ ने भी तहेदिल से बिजलीकर्मियों के संघर्ष का समर्थन किया। नौभास के रमेश खटकड़ ने बताया कि भाजपा सरकार की निजीकरण की जन-विरोधी नीतियों का नुकसान सिर्फ़ कर्मचारियों-मज़दूरों को ही नहीं बल्कि हरियाणा की आम जनता को भी हो रहा है। 1990 से जारी उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों का देश की आम जनता पर भयंकर असर पड़ा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, बिजली, पानी आदि जैसी बुनियादी ज़रूरतें एक-एक करके लगातार हमसे छीनी जा रही हैं। कांग्रेस-भाजपा से लेकर तमाम क्षेत्रीय दल उदारीकरण की इन नीतियों के प्रति एकमत हैं। सरकारों का मूल मंत्र बस यही रह गया है कि पहले किसी विभाग को घोर अव्यवस्था में धकेल दिया जाये और फ़िर मौका देखकर उसे बोली लगाकर प्राईवेट हाथों में सौंप दिया जाये। बिजली विभाग को ही लें तो निगम में खाली पड़े करीब 30,000 स्थायी पदों को भरना तो दूर रहा उल्टा सरकार विभाग को ही नीलाम करने पर उतारू है। बिजली निगम के निजीकरण का मतलब जीवन की बुनियादी ज़रूरत को मुनाफाखोरी के धन्धे में तब्दील कर देना होगा! अम्बानी-अदानी जैसे पूँजीपति उससे अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमायेंगे और बेतहाशा ‘रेट’ बढ़ायेंगे। बिजली निगम के निजीकरण के बाद न तो युवाओं को पक्का रोज़गार मिलेगा न ही जनता को सस्ती बिजली। हमें यह बात समझनी होगी कि किसी भी विभाग में ‘घाटा’ दिखाकर निजी हाथों में सौंपने की चाल असल में चन्द मुट्ठीभर पूँजीपतियों को फ़ायदा पहुँचाने की चाल है। आज बिजली निगम को बचाने के लिए बिजली कर्मचारी आन्दोलन के मैदान में है। भाजपा सरकार कर्मचारियों को बदनाम करके जनता व कर्मचारियों का टकराव करवाने के प्रयास कर रही है, जिसको हम सफल नहीं होने देंगे।
उन्होंने आगे कहा कि सरकारें पक्का रोज़गार, शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी ही जनता को मुहैया नहीं करा सकती तो फिर ये हैं ही किसलिए?! जनता के हितों पर हो रहे लगातार हमलों के ख़िलाफ़ यदि हमने आवाज़ नहीं उठाई तो आने वाली पीढ़ी ज़रूर हमारी कायरता पर सवाल उठायेगी! क्या हम साझे मुद्दों पर भाईचारा कायम करके जनान्दोलन संगठित करने की बजाय यूँ ही जाति-धर्म और आरक्षण के नाम पर एक-दूसरे का ही सर फोड़ते रहेंगे? हरियाणा की भाजपा सरकार के द्वारा किये जा रहे बिजली के निजीकरण के ख़िलाफ़ व्यापक जन-आन्दोलन के लिए एकजुट हुआ जाये। हमारी एकजुटता ही हमारी जीत की गारण्टी है। इस प्रकार दो दिन तक चली बिजली कर्मचारियों की उक्त हड़ताल सफल रही।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,मई-जून 2016
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