नौजवान भारत सभा, हरियाणा का प्रथम राज्य स्तरीय सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न
आह्वान संवाददाता, हरियाणा
3 अप्रैल को हरियाणा, जिला ज़ीन्द के नरवाना शहर में नौजवान भारत सभा के द्वारा अपने प्रथम राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के प्रथम, प्रतिनिधि सत्र में प्रदेश भर से क़रीब 80 नौजवानों ने भागीदारी की। पहले सत्र की अध्यक्षता प्रगतिशील लोक कलाकार रामधारी खटकड़, उमेद और सनी ने की। सम्मेलन की शुरूआत विहान सांस्कृतिक टोली द्वारा यूथ इण्टरनेशनल गीत के साथ की गयी। कार्यक्रम का संचालन कर रहे अजय ने बताया कि नौजवान भारत सभा का नाम अपने आप में शहीदे-आज़म भगतसिंह की विरासत को पुनर्जागृत करने और आगे बढ़ाने के संकल्प का प्रतीक है। भगतसिंह और उनके साथियों ने ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को नया वैचारिक आधार और नये सिरे से नवयुवकों को संगठित करने के लिए 1926 में नौजवान भारत सभा की नींव रखी थी। इसके दो वर्षों बाद भगतसिंह और उनके साथियों ने ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिन एसोसिएशन’ नामक नये क्रान्तिकारी संगठन की स्थापना की और स्पष्ट शब्दों में यह घोषणा की कि ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने के बाद भारत की आम जनता को पूँजीवाद के खात्मे और समाजवाद की स्थापना के लिए संघर्ष करना होगा।
आगे नौभास के संयोजक रमेश ने पिछले 4 वर्षो की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह सम्मेलन एक ऐसे समय में हो रहा है जब देश स्तर पर हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर बँटवारा किया जा रहा है। हरियाणा में भी जाट और गैर-जाट के नाम पर लोगों को बाँटा जा रहा है। साफ तौर पर सत्ताधारी ‘‘फूट डालो और राज करो’’ की चाल चल रहे हैं ताकि जनता के बहादुर बेटे-बेटियाँ बढ़ती बेरोजगारी, महँगाई, शिक्षा के निजीकरण आदि मुद्दों पर एकजुट होकर सरकार के ख़िलाफ़ कोई संघर्ष न कर सकें। ऐसे में जनता के इंसाफपसन्द, न्यायप्रिय युवाओं-छात्रों को आगे आना होगा। रिपोर्ट पर चर्चा भी हुई।
इसके बाद संगठन की राज्य कमेटी के पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। जिसमें सचिव पद के लिए गाँव चौशाला इकाई से प्रवीन को तथा कोषाध्यक्ष के लिए कलायत इकाई से बण्टी को चुना गया। प्रवीन ने मौजूदा हालात पर बात रखते हुए चार सूत्रीय कार्यक्रम की योजना रखी जिसमें 1- सबको निःशुल्क व समान शिक्षा व सबको रोजगार के समान अवसर 2- साम्प्रदायिकता व जातिवाद के ख़िलाफ़ जुझारू जन-एकता कायम करना 3- देश-प्रदेश में मज़दूरों-ग़रीब किसानों के हक-अधिकारों के संघर्षें के साथ एकता कायम करना 4- आम जनता के रोजमर्रा के मुद्दे जैसे महँगाई, बदहाल स्वास्थ्य सुविधा और पानी, बिजली आदि के लिए संघर्ष करना बिन्दु थे।
विहान सांस्कृतिक टोली ने नाटक ‘‘तमाशा’’ का मंचन किया और क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुति किये। जाने-माने हरियाणवी प्रगतिशील कलाकार रामधारी खटकड़ ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर रागनियाँ गाकर समाँ बाँध दिया। अन्त में बिगुल मज़दूर दस्ता से जुड़ी शिवानी ने बात रखते हुऐ कहा कि अभी हाल में हरियाणा में आरक्षण की माँग को लेकर हुई जातीय हिंसा ने जाट और गैर-जाट के बँटवारे की राजनीति को नये सिरे से ज़िंदा कर दिया है। प्रदेश के युवाओं को ऐसे किसी भी बँटवारे का विरोध करना चाहिए और जीवन से जुड़े असल मुद्दों के आधार पर अपनी एकता कायम करनी चाहिए। हरियाणा में भाजपा सरकार व संघ परिवार गुजरात मॉडल की तर्ज पर जनता में बँटवारे की दीवारें खड़ी कर रहा है। आज हरियाणा में जो 35 बनाम 1 बिरादरी की राजनीति की जा रही है असल में ये ‘बाँटो और राज करो’ की वही अँग्रेजों वाली पुरानी चाल है जिसके द्वारा आज़ादी से पहले वे हमें बाँटा करते थे।
कार्यक्रम का समापन शहीदों को याद करते गीत ‘कारवां चलता रहेगा’ से की गयी।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,मार्च-अप्रैल 2016
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