कद्दाफ़ी की सत्ता का पतनः विद्रोह की विजय या साम्राज्यवादी हमले की जीत?
कद्दाफ़ी की सत्ता का पतन किसी जनविद्रोह के बूते नहीं हुआ है। यह लीबिया में नवउदारवाद की नीतियों के लागू होने के बाद पैदा हुआ पूँजीवाद और पूँजीवादी शासक वर्गों के गठबन्धन का संकट था; यह कद्दाफ़ी की अधिक से अधिक गैर-जनवादी और तानाशाह होती जा रही सत्ता का संकट था; जिसका अन्त हमें एक ऐसे नतीजे के रूप में मिला है, जिसे जनता की जीत या विजय का नाम कतई नहीं दिया जा सकता है। लीबिया की जनता को अपने देश के मामलों का फैसला करने का हक़ है। लेकिन साम्राज्यवादी हस्तक्षेप ने उस प्रक्रिया को बाधित कर दिया है और एक रूप में यह प्रगति की रथ को पीछे ले गया है।