छात्रों द्वारा शिक्षकों के नाम एक खुला पत्र
ऐसे में हम अपने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और गुरुजनों से कुछ मुद्दों पर दिशा-सन्धान और मार्गदर्शन चाहेंगे। सर्वप्रथम, क्या विश्वविद्यालय के भीतर एक अकादमिक और उच्च गुणवत्ता वाला बौद्धिक वातावरण तैयार करने के लिए स्वयं प्रशासन को विचार-विमर्श, डिबेट-डिस्कशन, गोष्ठी-परिचर्चा इत्यादि गतिविधियाँ जिसमें छात्रों की व्यापक भागीदारी हो, आयोजित करने की पहल नहीं करनी चाहिए? क्या ऐसी गतिविधियों के अभाव में न सिर्फ छात्र बल्कि शिक्षक भी शोध-अनुसन्धान जैसे क्रिया-कलापों में पिछड़ नहीं जायेंगे और क्या यह विश्वविद्यालय की हत्या करना जैसा नहीं होगा? दूसरे अगर प्रशासन स्वयं ऐसी पहल नहीं कर रहा है, और कुछ छात्र, जिन्होंने अभी-अभी विश्वविद्यालय में दाखि़ला लिया है, अपने स्तर पर इसके लिए प्रयास करते हैं, तो क्या प्रशासन सहित पूरे विश्वविद्यालय समुदाय की यह ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित करें?