शहीदी दिवस के अवसर पर देश भर में क्रान्तिकारी प्रचार अभियानों का आयोजन

आह्वान संवाददाता

शहीद-ए-आज़म भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत की 85 वीं बरसी के अवसर पर नौजवान भारत सभा, बिगुल मज़दूर दस्ता, दिशा छात्रा  संगठन, पंजाब स्टूडेण्ट यूनियन (ललकार), स्त्री मुक्ति लीग, जागरूक नागरिक मंच और विभिन्न यूनियनों के द्वारा देश भर में प्रचार अभियानों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अमर शहीदों के विचारों का जनता के बीच प्रचार-प्रसार किया गया। करोड़ों लोगों के दिलों की धड़कन हमारे ये शहीद लोगों के दिलों में बेशक आज भी ज़िंदा हैं किन्तु इनके क्रान्तिकारी विचारों से व्यापक मेहनतकश जनता आम तौर पर अनभिज्ञ दिखाई देती है। वैसे तो देश की संसद तक में भी भगतसिंह की मूर्ति रखी हुई है किन्तु शहीदों के विचार लोगों तक चले जायें इस बात से शासक वर्ग आज भी भयाक्रान्त रहता है। एक इंसान के द्वारा दूसरे इंसान के और एक राष्ट्र के द्वारा दूसरे राष्ट्र के किसी भी प्रकार के शोषण के ख़िलाफ़ कुर्बान होने वाले एच.एस.आर.ए. (हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन) के हमारे इन जाबाँज नायकों के विचार मेहनतकश जनता के संघर्षों के लिए जहाँ दिशा सूचक के समान हैं वहीं शासक वर्ग की रीढ़ में इनसे वर्तमान में भी कँपकँपी पैदा हो जाती है। भगवा गिरोह जो आज राष्ट्रवाद और देशप्रेम का ठेकेदार बना हुआ है भगतसिंह के नाम मात्र ही इसके लिए दुःस्वप्न के समान है। संघियों को यदि देश से इनकी गद्दारी का इतिहास याद दिला दिया जाये और इन्हें साँप सूँघ जाता है। आज ये फ़ासीवादी अपने जितने भी गाल बजा लें लेकिन दामोदर सावरकर और अटल बिहारी वाजपेयी के अँग्रेजों को दिये  गये माफ़ीनामे और अँग्रेजों के प्रति वफादारी दर्शाने वाले शपथपत्र इनकी असलियत को बताने के लिए काफ़ी हैं और यह वही समय था जब भगतसिंह जैसा एक 23 साल का नौजवान अँग्रेजी  हुकूमत को खुलेआम चुनौती दे रहा था कि वह एक युद्धबन्दी है और उसके साथ युद्धबन्दियों जैसा ही बर्ताव किया जाये उसे फ़ाँसी पर न चढ़ाया जाये बल्कि गोली से उड़ा दिया जाये। भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को आज भले ही 85 साल हो गये हों लेकिन जनता की लूट आज भी बदस्तूर जारी है भले ही इस लूट का रूप बदल गया हो। जैसा कि भगतसिंह ने कहा था कि व्यक्ति को ख़त्म किया जा सकता है लेकिन उसके विचारों को नहीं और क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है। आज भी मुनाफ़े पर आधारित व्यवस्था के ख़ात्मे के लिए और साम्प्रदायिक-जातिवादी राजनीति की मुख़ालफ़त के लिए हमारे इन शहीदों के विचार बेहद महत्वपूर्ण हैं तथा इन्हें जनता के बीच ले जाना पहले किसी भी समय से ज़्यादा  ज़रूरी भी हो गया है। इसी के मद्देनजर गाँव-गाँव में, शहरों की बस्तियों में, कारखानों और जहाँ भी सम्भव हो पाया देश भर में शहीदों के विचारों को लेकर विचार यात्राएँ व जन-अभियान चलाये गये। परचा वितरण, पोस्टर, दीवार लेखन, नुक्कड़ सभा, नुक्कड़ नाटक, विचार गोष्ठी, क्रान्तिकारी संगीत संध्या, क्रान्तिकारी साहित्य आदि माध्यमों से व्यापक मज़दूरों, गरीब किसानों, आम  मध्यवर्ग और इंसाफपसन्द लोगों के द्वारा हर्षमिश्रित आश्चर्य के साथ प्रचार टोलियों का स्वागत किया गया। पेश है उक्त अभियानों की संक्षिप्त रिपोर्टः

उत्तर पश्चिमी दिल्ली

उत्तर पश्चिमी दिल्ली

दिल्ली और एनसीआर के विभिन्न इलाकों में शहादत दिवस के अवसर पर कार्यक्रमों और यादगारी यात्राओं का आयोजन किया गया। नौभास के अपूर्व ने बताया कि उत्तर पश्चिमी दिल्ली की ‘नौजवान भारत सभा’, ‘बिगुल मजदूर दस्ता’, ‘दिशा छात्र  संगठन’ और ‘स्त्री मजदूर संगठन’ की इकाइयों द्वारा संयुक्त रूप से 10 मार्च से 27 मार्च तक ‘शहीद यादगारी यात्रा ’ निकाली गयी। ‘शहीद यादगारी यात्रा ’ की शुरुआत प्रचार गाड़ी और साइकिलों पर बैनर और तख्तियाँ लगी झाँकी के साथ की गयी। शहीदों के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के मकसद से निकली यह विचार यात्रा  दिल्ली के विभिन्न इलाकों में पहुँची। नरेला, शाहपुर गढ़ी, भौरगढ़, होलम्बी, मेट्रो विहार, बवाना, पूठ, राजा विहार, समयपुर बादली, सूरज पार्क, शाहबाद डेयरी, रोहिणी के तमाम सैक्टर, जामिया नगर, प्रहलादपुर, दिल्ली टेक्निकल युनिवर्सिटी, प्रशान्त विहार, पाण्डव नगर आदि जगहों के अलावा दिल्ली से लगते हरियाणा के सोनीपत तक क्रान्तिकारी शहीदों के विचारों को लेकर दस्तक दी गयी। इस प्रकार करीब 700-800 किलोमीटर के दायरे में शहीदों के विचारों को पहुँचाया गया। इसके अलावा इस दौरान पचासों हज़ार परचों का वितरण किया गया, हज़ारों क्रान्तिकारी पोस्टर लगाये गये, जगह-जगह नुक्कड़ सभाएँ की गयीं, क्रान्तिकारी और प्रगतिशील फ़िल्मों के प्रदर्शन भी हुए, शहीदों के जीवन, विचारों और उनकी विरासत पर पोस्टर प्रदर्शनियाँ लगायी गयीं और क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत किये गये। उन्होंने अपनी बात में आगे कहा कि  जाति और धर्म के नाम पर आम गरीबों मेहनतकशों को आपस में बाँट देना और लड़ाते रहना, यह सत्ताधारियों की पुरानी तरकीब है, इसे समझना होगा और इसके ख़िलाफ़ एक लम्बी लड़ाई की तैयारी करनी होगी। हमें अपने महान शहीदों द्वारा छेड़ी गयी लड़ाई को अंजाम तक पहुँचाना होगा, आम जनता के इंकलाबी जनसंगठन बनाने होंगे, तभी जाकर ऐसा समाज बनेगा, जिसमें उत्पादन, राज-काज, और समाज के सम्पूर्ण ढाँचे पर उत्पादन करने वाले काबिज होंगे और फ़ैसला लेने की ताकत उनके हाथों में होगी।

दिल्‍ली के खजूरी में अभियान

दिल्‍ली के खजूरी में अभियान

दिल्ली के ही करावल नगर, खजूरी, वजीरपुर ओद्योगिक इलाका, पीरागढ़ी इलाकों में नौजवान भारत सभा, बिगुल मज़दूर दस्ता, दिशा छात्र संगठन, करावल नगर मज़दूर यूनियन, दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन के संयुक्त प्रयासों के बल पर शहीद यादगारी यात्रा का आयोजन किया गया। नौभास के योगेश ने बताया कि 27 मार्च से 29 मार्च के बीच तीन दिवसीय विचार यात्रा  का आयोजन अमर शहीदों के अधूरे सपनों को आम जनमानस तक पहुँचाने के लिए किया गया है। नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से लोगों को बताया गया कि मौजूदा पूँजीवादी व्यवस्था में सत्ता में कुर्सी पर अच्छे दिनों की दुहाई देने वाला भगवा रंग में रंगा मोदी आये या फिर  आम-आदमी की रट लगाने वाला नौटंकीबाज केजरीवाल आये इससे ग़रीब आबादी के हालातों में कोई परिवर्तन नहीं आने वाला है। सरकारें पूरी तरह से पूँजीपतियों पर मेहरबान हैं। दूसरी तरफ महँगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की चक्की में पिस रही आम जनता के दुःख-तकलीफों से इन तथाकथित जनप्रतिनिधियों को कुछ भी लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यापक परचा वितरण, नुक्कड़ सभाओं, फ़िल्म शो और पोस्टर प्रदर्शनों के माध्यम से शहीदों के विचार मज़दूर और निम्नमध्यवर्गीय आबादी तक लेकर जाये गये। लोगों की तरफ से भी अभियान के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया आयी।

गाजियाबाद में कार्यक्रम

गाजियाबाद में कार्यक्रम

दिल्ली एनसीआर के गाजियाबाद में भी शहीदी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। नौजवान भारत सभा की गाजियाबाद इकाई की संयोजिका श्वेता ने बताया कि शहीदी दिवस के मौके पर कार्यक्रम की शुरुआत घण्टाघर स्थित भगतसिंह की प्रतिमा पर माल्यापर्ण के द्वारा हुई। इस मौके पर वक्ताओं ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष का रास्ता दिखाने और अपने प्राणों की आहुति देने वाले भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के साथ-साथ ख़ालिस्तानी आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपने प्राणों की आहुति देने वाले पंजाब के क्रान्तिकारी कवि अवतार सिंह पाश को भी याद किया। उन्होंने बताया कि आज जब देश और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएँ मन्दी की चपेट में हैं और समाज को पीछे ले जाने वाली शक्तियाँ हावी होने के प्रयासों में लगी हैं।  तब ऐसे हालात में क्रान्ति की स्पिरिट को ताज़ा करने की भगतसिंह की शिक्षा को हमें अपना जीवन उद्देश्य बना लेना होगा। विद्यार्थियों को इस तरह से शिक्षित होना होगा कि वे भारत के क्रान्तिकारी नवनिर्माण में अपनी सक्रिया भूमिका अदा कर सकें।

इलाहाबाद में अभियान

इलाहाबाद में अभियान

उत्तरप्रदेश में भी बड़े स्तर पर प्रचार अभियानों का आयोजन किया गया। नौभास के प्रसेन ने बताया कि पूर्वी उत्तरप्रदेश के काफी बड़े इलाके में दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा तथा स्त्री मुक्ति लीग के संयुक्त प्रयासों के द्वारा शहीदी दिवस के मौके पर 15 दिवसीय क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान चलाया गया। इसकी शुरुआत 15 मार्च की सुबह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से साइकिल मार्च निकाल कर की गयी। इसके बाद यह साइकिल मार्च बालसन, आज़ाद पार्क, मेडिकल कॉलेज, रामबाग चौक, सिविल लाइन्स, कचहरी होते हुआ बैंकरोड पर खत्म हुआ। 15 मार्च की शाम को इलाहाबाद के छोटा बघाड़ा, कटरा, राजापुर आदि इलाकों में साइकिल मार्च निकाला गया। इस दौरान कई नुक्कड़ सभाएँ की गयीं व क्रान्तिकारी गीत गाये गये। इसके बाद अगले दो दिनों तक इलाहाबाद के नैनी, झूँसी और फ़ाफामऊ के अलग-अलग इलाकों में साइकिल मार्च, पैदल मार्च, नुक्कड़ सभाओं व पर्चा वितरण के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रयाग रेलवे स्टेशन और उसके आसपस के इलाकों में प्रभातफ़ेरी भी निकाली गयी। इस दौरान इलाहाबाद शहर के विभिन्न इलाकों में खूब परचा वितरण किया गया और बड़ी संख्या में पोस्टर लगाये गये। इलाहाबाद के बाद ‘क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान’ के तहत 18 मार्च को जौनपुर में पैदल मार्च का आयोजन किया गया। इस दौरान जौनपुर के भण्डरिया स्टेशन, कोतवाली, अटाला मस्जिद आदि जगहों पर जनता के बीच नुक्कड़ सभाएँ की गयीं और क्रान्तिकारी गीत गाये गये। 19 मार्च को अम्बेडकर नगर के सिंघलपट्टी स्थित ‘शहीद भगतसिंह पुस्तकालय’ से एक साइकिल मार्च की शुरुआत हुई। लगभग 50 किलोमीटर लम्बे इस साइकिल मार्च के दौरान सिंघलपट्टी, राजेसुल्तानपुर, पदुमपुर, चोरमरा, देवरिया, जहाँगीरगंज, कम्हरिया घाट, मैदनिया, गढ़वल आदि इलाकों में प्रचार अभियान चलाया गया। इस दौरान नुक्कड़ सभाओं, क्रान्तिकारी गीतों और व्यापक पैमाने पर परचा वितरण किया गया और पोस्टर लगाये गये। 20 मार्च को ‘शहीद भगतसिंह पुस्तकालय’ सिंघलपट्टी, अम्बेडकरनगर में ‘शहीद-ए-आजम भगतसिंह की विरासत’ विषय पर विचार विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का समापन सिंघलपट्टी में नारेबाजी करते हुए और परचा बाँटते हुए पैदल मार्च निकाल कर किया गया। 21 मार्च को आजमगढ़ शहर के सिविल लाइन्स, रिक्शा स्टैंण्ड, अग्रसेन चौराहा, बड़ादेव चौक, तकिया, कोट मोहल्ला, दलालघाट आदि स्थानों से होते हुए एक पैदल मार्च निकाला गया। इस दौरान कई नुक्कड़ सभाएँ  की गयीं, क्रान्तिकारी गीत गाये गये , व्यापक पैमाने पर परचा वितरण किया गया। 22 और 23 मार्च को गोरखपुर शहर के विभिन्न इलाकों में क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान द्वारा शहीदों के विचारों का प्रचार किया गया। 26 व 27 मार्च को भी गोरखपुर शहर के विभिन्न इलाकों और रेलों में प्रचार अभियान चलाया गया। गोरखपुर के बाद यह अभियान 28 मार्च को मऊ, 29 मार्च को गाजीपुर, 30 मार्च को बनारस में चलाया गया। क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान का समापन 31 मार्च को इलाहाबाद में किया गया। प्रसेन ने अपनी बात में आगे कहा की उत्तप्रदेश में चुनाव सर पर है और ऐसे में साम्प्रदायिक ताकतें जनता को फिर  से धर्म और मन्दिर-मस्जिद के नाम पर बाँटने के प्रयास कर रही हैं। सपा-बसपा से लेकर भाजपा-कांग्रेस तक वोट की गोट लाल करने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं। यूपी में विकास के तमाम दावों के बावजूद आम जनता महँगाई, बेरोज़गारी से आजिज़ है। ऐसे में हमें जाति-धर्म के नाम पर बँटने की बजाय सत्ताधारियों को अपनी एकता के दम पर झुकाना चाहिए और शहीदों के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए कमर कस लेनी चाहिए।

उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में शहादत दिवस की पूर्वसंध्या पर नौजवान भारत सभा, जागरूक नागरिक मंच और स्त्री मुक्ति लीग ने  इंकलाबियों के विचारों को लोगों तक पहुँचाने के लिए क्रान्तिकारी प्रचार मुहिम की शुरुआत की। ‘जाति-धर्म के झगड़े छोड़ो, सही लड़ाई से नाता जोड़ो’, ‘भगतसिंह की बात करेंगे, जुल्म नहीं बर्दाश्त करेंगे’, ‘भगतसिंह का सपना आज भी अधूरा, मेहनतकश और नौजवान उसे करेंगे पूरा’ जैसे नारे लगाते हुए अभियान टोली ने पुराने लखनऊ के मुफ़्तीगंज, ठाकुरगंज, मुसाहिबगंज, छोटा इमामबाड़ा आदि इलाकों की गलियों में दर्जनों छोटी-छोटी सभाएँ कीं और पर्चे बाँटे। मार्च के अन्त तक शहर के कई और इलाकों में भी यह मुहिम चलायी गयी। सभाओं में और लोगों से बातचीत में कार्यकर्ताओं ने कहा कि 1947 की आज़ादी के बाद से आज तक के सफ़र ने देश की आम जनता को क्या दिया है? विकास के नाम पर देश के प्रचुर संसाधनों और जनता की मेहनत की लूट से देशी-विदेशी थैलीशाहों की तिजोरियाँ भर रही हैं और आम जनता के दुखदर्द और आँसुओं के महासागर में परजीवी जोंकों की जमात के लिए ऐशो-आराम के टापू खड़े किये जा रहे हैं। पूँजीवादी राजनीति और संस्कृति ने सामाजिक ताने-बाने को आपसी कलह, फ़ूट, नफरत, भ्रातृघाती हिंसा और तरह-तरह की मानसिक बीमारियों से भर दिया है। साथ ही देश की प्राकृतिक सम्पदा और मेहनतकशों को लूटने के लिए उन्होंने विदेशी लुटेरों को भी खुली छूट दे रखी है। यह पूँजीवादी व्यवस्था अन्दर से सड़ चुकी है और इसी सड़ाँध से पूरी दुनिया के पूँजीवादी समाजों में हिटलर-मुसोलिनी के वे वारिस पैदा हो रहे हैं, जिन्हें फ़ासिस्ट कहा जाता है। फ़ासिस्ट पूँजीवादी लोकतंत्र को भी नहीं मानते और उसे पूरी तरह रस्मी बना देते हैं और वास्तव में पूँजी की नंगी, खुली तानाशाही कायम कर देते हैं। फ़ासिस्ट धर्म या नस्ल के आधार पर आम जनता को बाँट देते हैं, वे नकली राष्ट्रभक्ति के उन्मादी जुनून में हक की लड़ाई की हर आवाज़ को दबा देते हैं। वे धार्मिक या नस्ली अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर एक नकली लड़ाई खड़ी करके असली लड़ाई को पीछे कर देते हैं और पूरे देश में दंगों और खून-खराबों का विनाशकारी खेल शुरू कर देते हैं।  धर्म, नकली देशप्रेम और तमाम फ़र्जी मुकदमों को उभारकर पूँजीवादी लूट, पुलिसिया दमन, बेदखली, बेरोज़गारी, महँगाई आदि नब्बे फ़ीसदी लोगों की ज़िन्दगी के बुनियादी मुद्दों पर और सरकार की वायदा-खि़लाफ़ियों पर परदा डाल दिया गया है। जिस आम अवाम को मिलकर दस फ़ीसदी लुटेरों से लड़ना है, वे आपस में ही एक-दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुल्क को इस अँधेरी सुरंग से बाहर निकालने का एक ही रास्ता है- शहीदे आज़म भगतसिंह का रास्ता यानी क्रान्ति का रास्ता। हमें अपने महान शहीदों द्वारा छेड़ी गयी अधूरी लड़ाई को सही मकाम तक पहुँचाना होगा, मेहनतकश जनता के बहादुर सपूतों को भगतसिंह के विचारों का परचम ऊँचा उठाना होगा, आम जनता के इंकलाबी जनसंगठन बनाने होंगे तथा देशी-विदेशी लूट और जनतंत्र के नाम पर जारी धनतंत्र की कब्र खोदने की तैयारी करनी होगी तभी जाकर शहीदों के सपनों का समतामूलक समाज बनेगा।

पंजाब के भी विभिन्न इलाकों में नौजवान भारत सभा, पंजाब स्टूडेंण्ट यूनियन (ललकार), बिगुल मजदूर दस्ता और टेक्सटाइल-होजरी कामगार यूनियन के द्वारा शहीदी दिवस के अवसर पर विभिन्न माध्यमों के द्वारा जनता के बीच शहीदों के विचारों का प्रचार-प्रसार किया गया। नौभास के कुलविन्दर ने बताया कि पंजाब की नौजवानी को आज नशे और बेरोजगारी की गर्त में धकेला जा रहा है, मज़दूर-किसान आबादी लगातार बर्बादी की तरफ ठेली जा रही है और दूसरी और चन्द घराने ही बेशुमार दौलत पर कुण्डली मारे बैठे हैं और सत्ता की मलाई चाट रहे हैं। पंजाब में भी आने वाले वक्त में चुनाव होने वाले हैं इसीलिए बादल, कैप्टन, केजरीवाल जैसे तमाम वोटों के व्यापारी सक्रिय हो गये हैं और वायदों का पिटारा बस खोलने ही वाले हैं। ग़रीब किसानों को उजाड़ने वाली सरकार को अब एसवाईएल नहर के मुद्दे पर राजनीति करने की याद आ रही है। मज़दूरों के तमाम श्रम कानूनों को ख़त्म करके धरने-प्रदशनों को भी रोकने के काले कानूनों को लाया जा रहा है। ऐसे समाज का सपना हमारे शहीदों का कतई नहीं था। ऐसे में पंजाब की मजदूर, किसान और युवा आबादी को शहीदों के विचारों की फिर से याददिहानी करनी होगी और पुरज़ोर तरीके से संगठित होकर अपनी आवाज़ उठानी होगी। इसी मकसद से नौभास ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर जनअभियानों का आयोजन किया। लुधियाना शहर की रेलवे कॉलोनी, रोज गार्डन और विभिन्न नागरिक इलाकों के साथ ही शहर से लगते थरीके, सुनेत जैसे गाँवों में भी व्यापक प्रचार अभियान चलाया गया। 22 मार्च को लुधियाना के पंजाबी भवन में ‘भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव के बारे में भ्रम और असलियत’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका संचालन नौभास की बलजीत ने किया। विभिन्न भागीदारों ने उक्त गोष्ठी में अपने विचार रखे। इसके अलावा नौभास के केन्द्रीय कार्यालय पक्खोवाल और उसके आस-पास के पुल्लेवाल, कैले, हलवारा, बुर्जलिट, बुर्जहकीमा, गुज्जरवाल, धालीया, तुसे, जौड़ाहा, पैड़हाई, कंगणवाल आदि गाँवों में सघन प्रचार अभियान चलाया गया। नुक्कड़ सभा, नुक्कड़ नाटक, क्रान्तिकारी संगीत कार्यक्रम, परचा वितरण, पुस्तक प्रदर्शनी और पोस्टरों के माध्यम से प्रचार दस्तों ने क्रान्तिकारियों के सन्देश को जनता तक पहुँचाया। इस दौरान ख़ालिस्तानियों की गोली से शहीद होने वाले क्रान्तिकारी कवि अवतार सिंह पाश को भी याद किया गया। जिला मानसा के जोगा और अरोड़ी कपूरा गाँवों में प्रचार अभियान चले और शहीदों की याद में मार्च निकाले गये। 27 मार्च को जोगा गाँव में ही ‘शहीदों की विरासत और आज के  समय में इसका महत्व’ विषय पर विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। करीब 15 दिन तक चले क्रान्तिकारी प्रचार अभियान के दौरान आम जनता की तरफ से प्रचार दस्तों को व्यापक समर्थन और सहयोग मिला।

चण्डीगढ़ में नौजवान भारत सभा और पंजाब स्टूडेण्ट यूनियन (ललकार) की इकाइयों की ओर से 23 मार्च के शहीदों को समर्पित तीन दिवसीय क्रान्तिकारी मुहिम ‘शहीद संकल्प यात्रा ’ का आयोजन किया गया। नौभास के मानव ने बताया कि यह तीन दिवसीय मुहिम चण्डीगढ़ के सेक्टरों और मोहाली के विभिन्न रिहायशी इलाकों में चलायी गयी। शहीद संकल्प यात्रा  के दौरान शहीदों के विचारों को व्यापक आबादी तक पहुँचाया गया। साईकिल रैली, मशाल जुलूस, परचा वितरण, नुक्कड़ सभा, पुस्तक प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक और फ़िल्म प्रदर्शनों के माध्यमों का प्रयोग करते हुए शहीदों के विचारों का प्रचार-प्रसार किया गया। विभिन्न वक्ताओं ने अपनी बात में कहा कि भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद करना न केवल हमारा कर्तव्य है बल्कि यह हमारे जीवन की शर्त भी है।

हरियाणा में अमर शहीदों के शहीदी दिवस के अवसर पर नौजवान भारत सभा के द्वारा शहीद संकल्प यात्रा का आयोजन किया गया। 15 से 27 मार्च के बीच शहीद संकल्प यात्रा  जिला कैथल और जीन्द के अलग-अलग गाँवों और कस्बों में पहुँची। नौभास हरियाणा के संयोजक रमेश खटकड़ ने बताया कि यह विचार यात्रा  चौशाला, शिमला, बालू, नौच, मोहलखेड़ा, सुरजाखेड़ा, उझाना, बेलरखा, धरोदी, करमगढ़, धमतान साहिब आदि गाँवों में तथा कलायत, नरवाना और कैथल शहरों में चलायी गयी। गाँव धमतान साहिब में शहीदों की याद में ‘शहीद संकल्प संध्या’ का आयोजन भी किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की। रमेश ने अपनी बात में कहा कि भाजपा वैसे तो इतनी बड़ी देशभक्त और राष्ट्रभक्त बनती है लेकिन हमें यह भी पता होना चाहिये कि कुछ दिन पहले इसने चण्डीगढ़ एयरपोर्ट का नाम करोड़ों लोगों के दिलों की धड़कन शहीद-ए-आज़म भगतसिंह के नाम की बजाय एक पुराने संघी जिसे हरियाणा में कोई नहीं जानता, मंगलसेन के नाम से करने का प्रस्ताव रखा था। गाँव-गाँव में नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से विभिन्न वक्ताओं ने अपनी बातों में लोगों को बताया कि आज अपने शहीदों के सपनों को याद करने का मतलब उनकी कही गयी बातों को याद करना ही है। जनता आपसी भाईचारा कायम रखे और अपनी साझा समस्याओं के लिए एकजुट होकर सरकारों पर दबाव बनाये, नेताओं की बाँटने की राजनीति का शिकार हमें नहीं बनना है इसमें हमारा ही नुकसान है।

मुम्‍बई में अभियान

मुम्‍बई में अभियान

मुम्बई, महाराष्ट्र में भी शहीदों की याद में क्रान्तिकारी प्रचार अभियान चलाया गया। ज्ञात हो नौभास के दफ़्तर पर पुलिस और एटीएस (एण्टी टेरेरिस्ट स्क्वाड) के द्वारा दस्तक दी गयी थी। 22 मार्च की रात के 2 बजे पुलिस और अगले दिन सुबह एटीएस वाले आ धमके थे। कारण केवल यह था कि नौभास की मुम्बई इकाई ने देश को धर्म के नाम पर बाँटने की संघियों की राजनीति का भण्डाफोड़ करते हुए व्यापक स्तर पर हज़ारों की संख्या में परचों का वितरण कर दिया था। नौभास के कार्यकर्ताओं को डराने-धमकाने के लिए संघी पुलिस और शासन तंत्र का सहारा ले रहे हैं। लेकिन ये संघी इस बात को भूल गये हैं कि जनता की ताकत के सामने इनके फ़ासीवादी मंसूबे खाक में मिल जायेंगे। उक्त छापेमारी के वाकये के बाद न तो नौभास ने अपने प्रचार अभियान को ही रोका और न ही उक्त परचे का वितरण ही बन्द किया बल्कि उक्त घटना के बाद और भी व्यापक स्तर पर शहीदों के विचारों का और संघियों की गद्दारियों के कारनामों का प्रचार-प्रसार किया गया। यही नहीं देश भर के जनवादी व नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और विभिन्न जनसंगठनों की तरफ से छापेमारी की कड़ी निन्दा की गयी। संघियों के द्वारा सच्चाई दबाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल किया जाना यही दर्शाता है की ये लोग सच से कितना खौफ खाते हैं। नौभास के विराट ने बताया कि हम संघियों की ऐसी करतूतों से पीछे हटने वाले नहीं हैं। फ़ासीवाद के प्रतिरोध्य उभार को जनता की ताकत से ही पराजित किया जा सकता है बशर्ते हम ईमानदारी से जनता के बीच काम करें उसके दुःख-तकलीफों में उसके साथ खड़े हों और जनशत्रुओं को बेनकाब ही न करें बल्कि विकल्प को भी लोगों के सामने रखें।

पटना, बिहार में नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र  संगठन और जागरूक नागरिक मंच के द्वारा शहर के गाँधी मैदान में पोस्टर प्रदर्शनी व पुस्तक प्रदर्शनी लगायीं गयीं इसके साथ ही व्यापक परचा वितरण भी किया गया। नौभास की वर्षा ने कहा कि शहर की नागरिक आबादी और युवाओं ने शहीदों के विचारों और क्रान्तिकारी साहित्य के प्रति सकारात्मक रुख का प्रदर्शन किया।

इस प्रकार से 85वें शहीदी दिवस के अवसर पर देश भर में जनसंगठनों ने भारतीय क्रान्ति के प्रतीकों शहीद भगतसिंह, शहीद राजगुरु और शहीद सुखदेव को याद किया और उनके क्रान्तिकारी विचारों को जनता के बीच प्रचारित-प्रसारित किया।

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,मार्च-अप्रैल 2016

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