पटना में स्त्री मुक्ति लीग के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्त्री दिवस के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन

2016-03-08-Patna-Womens-day-1106वें अन्तर्राष्ट्रीय स्त्री दिवस के अवसर पर पटना के गाँधी मैदान में 8 मार्च को दिशा छात्र  संगठन द्वारा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पटना के कई बुद्धिजीवी, नाट्यकर्मी, संवेदनशील, जनवादी और प्रगतिशील नागरिक भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में पोस्टर प्रदर्शनी, ‘औरत’ नाटक का मंचन व कविता पाठ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत शाम 4.30 बजे से की गयी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ता विवेक ने लोगों को इस दिन के महत्व के बारे में बताया और इसकी प्रासंगिकता को लोगों के बीच रखा। उसके बाद प्रियंवदा ने ‘कैथरकलां की औरतें’ कविता का पाठ किया। इसके बाद कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए पटना के बुद्धिजीवी नरेन्द्र कुमार ने मौजूदा समाज में स्त्रियों द्वारा पुरुषों के कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़ने वाले तमाम संघर्षो में स्त्रियों की भागीदारी के बारे में लोगों को अवगत कराया।

2016-03-08-Patna-Womens-day-9आगे न्यू ऐज यूथ एसोसिएशन  से जुड़े राधेश्याम ने बात रखते हुए कहा कि सी.सी. टी.वी. कैमरे लगाकर या महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ नहीं बनाया जा सकता है, बल्कि ये सब तो उनकी बची-खुची आजादी के हनन के तमाम लुकमे हैं। जागरूक नागरिक मंच के प्रतिनिधि देबाशीष भी इस सांस्कृतिक संध्या में शामिल रहे। उन्होंने कात्यायनी की कविताओं ‘सात भाइयों के बीच चम्पा’ और ‘हॉकी खेलती लड़कियाँ’ का पाठ किया। इसके बाद दिशा छात्र संगठन के साथियों द्वारा ‘औरत’ नाटक का मंचन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित पटना कॉलेज की छात्रा  मीतू ने ‘औरत’ नाटक पर बात रखते हुए कहा कि स्त्रियों को हासिल आज तक की आज़ादी भी अथक संघर्षो से मिली है। इसलिए मौजूदा दौर में स्त्रियों को यह बात भूलनी नहीं चाहिए और लगातार इस पितृसत्तात्मक समाज के ख़िलाफ़ संघर्ष करना चाहिए। अन्त  में दिशा की वर्षा ने विश्व भर की बहादुर स्त्रियों के अथक संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए क्लारा जेटकिन, रोजा लक्जेम्बर्ग, भीकाजी कामा, मैरी क्यूरी जैसी स्त्रियों के बेमिसाल जीवन को याद किया तथा स्त्री मुक्ति की परियोजना पर बात रखते हुए कहा कि स्त्रियों का क्रान्तिकारी आन्दोलन अलग-थलग रहकर आगे नहीं बढ़ सकता है। इसे सबसे पहले मेहनतकश औरतों को अपने दायरे में समेटना होगा और फिर समूची मेहनतकश जनता की मुक्ति की परियोजना से जोड़ना होगा।

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,मार्च-अप्रैल 2016

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