कहानी – दो मौतें / अलेक्सान्द्र सेराफ़ेमोविच
लड़की लड़खड़ाकर पीछे हटी और कागज की तरह सफ़ेद पड़ गई। पर, दूसरे ही क्षण उसका चेहरा तमतमा उठा, और वह चिल्लाई: “तुम… तुम मजदूरों को मौत के घाट उतार रहे हो! और, वे… वे अपनी गरीबी से, अपने नरक से उभरने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं… मैंने… मुझे हथियार चलाना नहीं आता, फ़िर भी मैंने तुम्हें मार डाला…”