मिस्र में जनता सैन्य तानाशाही के खि़लाफ़ सड़कों पर

अन्तरा घोष

‘आह्वान’ के पिछले अंकों में हम जिसे अरब जनउभार कहा जा रहा है उसके सकारात्मकों और साथ ही उसकी सीमाओं की चर्चा करते रहे हैं। हमने पहले भी लिखा था कि बिना किसी नेतृत्व के जनता का स्वतःस्फूर्त विद्रोह मुबारक के पतित बुर्जुआ शासन, सेना और पुलिस द्वारा बर्बर दमन और पूँजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध भयंकर गुस्से और नफ़रत को ज़रूर दिखलाता है और यह भी दिखलाता है कि जनता किसी क्रान्तिकारी नेतृत्व का इन्तज़ार करते हुए चुप नहीं बैठी रहेगी। लेकिन यह भी साफ़ है कि ऐसा नेतृत्वविहीन, विचारधारा-विहीन और स्पष्ट विकल्प से वंचित स्वतःस्फूर्त आन्दोलन ज़्यादा से ज़्यादा सत्ता परिवर्तन कर सकता है, व्यवस्था परिवर्तन नहीं।

मिस्र की जनता भी इस बात को समझ चुकी है कि मुबारक की सत्ता जाने के बाद तन्तावी के नेतृत्व में जो सैन्य शासन आया है, वह मुबारक की सत्ता से कम दमनकारी नहीं है। नवम्बर-दिसम्बर के बीच काहिरा में तहरीर चौक पर फिर से जनता ने डेरा डाला और कैबिनेट कार्यालय के समक्ष भी अपने कैम्प डालने शुरू कर दिये। ये लोग सैन्य शासन से तत्काल चुनाव कराकर नागरिक शासन को सत्ता देने की माँग कर रहे थे, जिसे सैन्य तानाशाह टालते जा रहे थे। अन्त में, सेना और पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर ज़बर्दस्त हमला किया। इसमें कई दज़र्न लोग मारे गये हैं और सैंकड़ों घायल हो गये हैं। इन हमलों में स्त्रियों की सेना ने ख़ास तौर पर बर्बरता से पिटाई की और साथ ही उनका यौन उत्पीड़न भी किया। सेना की बर्बरता को किसी छायाकार ने कैमरे में कैद भी किया और इस समय एक स्त्री को अर्द्धनग्न करके मारते-मारते बेहोश कर देने का चित्र पूरे मिस्र में जनता के बीच असहनीय गुस्सा पैदा कर रहा है।

egypt-revolution-20111 Egypt_1

जाहिर है, कि सैन्य शासकों को यह लग रहा है कि किसी भी किस्म के सांगठनिक प्रतिरोध की कमी के कारण वह स्वतःस्फूर्त प्रदर्शनों को कुचल सकते हैं। एक हद तक यह प्रक्रिया कुछ समय के लिए वाकई चल सकती है। लेकिन मिस्र के क्रान्तिकारी भी इस बीच एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं और आन्दोलन का नेतृत्व अपने हाथों में लेने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन फिलहाल राजनीतिक और विचारधारात्मक कमज़ोरियों के कारण यह सम्भव नहीं हो पा रहा है। इस ख़ाली जगह को फिलहाल धार्मिक कट्टरपंथी और उदार पूँजीवाद के पक्षधर भर रहे हैं। जैसा कि हमने पहले भी स्पष्ट किया है कि मिस्र में जल्द ही फिर से क्रान्तिकारी परिस्थितियाँ तैयार हो सकती हैं। लेकिन अगर कोई क्रान्तिकारी कम्युनिस्ट नेतृत्व मौजूद नहीं रहा तो बहुत उम्मीद नहीं पाली जा सकती है। साथ ही यह भी ज़रूरी है कि मिस्र के मार्क्सवादी-लेनिनवादी नवजनवादी क्रान्ति की गाँठ से मुक्त होकर एक क्रान्तिकारी कार्यक्रम को अपनायें। सेना अपने भयंकर दमन से अपनी ही कब्र खोदने का काम कर रही है। क्रान्तिकारी नेतृत्व के अभाव में जनता अगर जीतेगी नहीं तो वह हार भी नहीं मानेगी। वह कुछ समय के लिए सुस्ता सकती है। लेकिन सेना के हाथों दमन, अपमान और ज़ि‍ल्लत को जनता चुपचाप कभी नहीं झेलने वाली है। मिस्र में जनता के आन्दोलन की दहन-भट्टी में एक सूझ-बूझ वाला क्रान्तिकारी नेतृत्व जितनी जल्दी पैदा हो, वह मिस्र ही नहीं सारी दुनिया के मेहनतकशों के लिए अच्छी बात होगी।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, नवम्‍बर-दिसम्‍बर 2011

 

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।