स्मृति संकल्प यात्रा के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्यक्रम जारी
23 मार्च, 2005 को भगत सिंह और उनके साथियों के 75 शहादत वर्ष के आरम्भ पर शुरू की गई स्मृति संकल्प यात्रा के तहत देश के विभिन्न क्रान्तिकारी संगठन पिछले दो वर्षों से भगतसिंह के उस सन्देश पर अमल कर रहे हैं जो उन्होंने जेल की कालकोठरी से नौजवानों को दिया था; कि छात्रों और नौजवानों को क्रान्ति की अलख लेकर गाँव-गाँव, कारखाना-कारखाना, शहर-शहर, गन्दी झोपड़ियों तक जाना होगा। इस अभियान के दौरान इन जनसंगठनों ने जो भी जनकार्रवाइयाँ की हम उसका एक संक्षिप्त ब्यौरा देते रहे हैं और इस बार भी यहाँ दे रहे हैं। जिन इलाकों में अभियान की टोलियों ने मुहिम चलाई उनमें उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, कानपुर, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, हापुड़; पंजाब में जालंधर, लुधियाना, संगरूर, अम्बाला आदि जैसे शहर और साथ ही दिल्ली समेत पूरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भी शामिल है। इनमें से कुछ स्थानों की अभियान सम्बन्धी रिपोर्टें हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं।
विगत 23 मार्च को स्मृति संकल्प यात्रा के दो वर्ष पूरे हो गये। यह यात्रा अभी लगभग डेढ़ वर्षों तक चलेगी, यानी भगतसिंह के जन्मशताब्दी वर्ष के समापन पर 28 सितम्बर, 2008 को ख़त्म होगी। इस अवसर पर दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा की देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद इकाइयाँ विशेष कार्यक्रम करेंगी। इस अंक के आने तक देश के अलग-अलग हिस्सों में जो अभियान चल रहे हैं उनकी रिपोर्ट इस बार के अंक में दी जा रही हैं। इन तीन वर्षों के दौरान ये दोनों ही संगठन अपनी सभी गतिविधियाँ स्मृति संकल्प यात्रा के बैनर तले ही कर रहे हैं। – सम्पादक
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिशा छात्र संगठन व नौजवान भारत सभा द्वारा तीन दिवसीय साइकिल यात्रा
शहीदेआज़म भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के 76वें शहादत वर्ष तथा स्मृति संकल्प यात्रा के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा द्वारा तीन दिवसीय साइकिल यात्रा 21 मार्च को दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैम्पस से शुरू हुई। ‘मार्ग मुक्ति का गढ़ना होगा, सच्चा मानव बनना होगा। सपनों को संकल्प बनाकर, जोर जुल्म से लड़ना होगा।’ आदि नारों की अनुगूँजों के साथ नौजवानों का यह साइकिल जत्था जहाँ कहीं पहुँचता लोग हर्षमिश्रित आश्चर्य और कौतूहल के साथ देखने लगते।
नार्थ कैम्पस से नारे लगाते हुए साइकिल जुलूस कश्मीरी गेट बस अड्डे, फ़िर दरियागंज और जाकिर हुसैन कालेज होते हुए फ़िरोजशाह कोटला मैदान स्थित शहीद पार्क पहुँचा। समूचे रास्ते में व्यापक पर्चा वितरण किया गया तथा क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत करते हुए कई स्थानों पर नुक्कड़ सभाएँ की गयीं। हर जगह युवाओं व नागरिकों ने सभाओं में उत्साह से भागीदारी की। कालेज कैम्पस में भी यात्रा टीम के सदस्यों ने पर्चे बाँटे। वहाँ छात्रों का अपार समर्थन मिला।
दोपहर में यात्रा टीम ने शहीद पार्क पहुँचकर जोरदार नारों से पूरे माहौल को गुंजायमान कर दिया। वहाँ हुई सभा में अभिनव, मिथिलेश, शिवानी आदि वक्ताओं ने कहा कि एक ज़िन्दा कौम की युवा पीढ़ी अतीत से सबक लेती है; अपने पूर्वज शहीदों की स्मृति से प्रेरणा और विचारों से दिशा लेती है तथा कठिनतम चुनौतियों से जूझती हुई भविष्य-निर्माण के महासमर में सन्नद्ध हो जाती है। वहाँ पर भगतसिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर संकल्पों के साथ यात्रा टोली आगे बढ़ी। अम्बेडकर स्टेडियम, इन्दिरा गाँधी स्टेडियम और आई.टी.ओ. पुल से होते हुए लक्ष्मीनगर मार्केट में नुक्कड़ सभा तथा क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति हुई। कार्यकर्ताओं ने पाण्डवनगर पार्क में नुक्कड़ नाटक ‘हवाई गोले’ की प्रस्तुति भी की जिसमें पूँजीवादी चुनावी पार्टियों की अवसरवादी नीतियों पर करारा व्यग्ंय था। उसके बाद मयूर विहार में समाचार अपार्टमेण्ट के कैम्पस में टीम ने तमाम बुद्धिजीवियों, नौजवानों के समक्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जिसे स्थानीय नौजवानों व नागरिकों ने बहुत सराहा।
इसके बाद टीम ने नोएडा की ओर रुख किया और गोलचक्कर पर एक नुक्कड़ सभा के साथ शाम सात बजे गगनभेदी नारे लगाते हुए साइकिल जुलूस अशोकनगर के रास्ते सेक्टर 8–9–10 की मज़दूर बस्तियों में नुक्कड़ सभा एवं पर्चा वितरण करने के बाद सेक्टर 12–22 तथा 57 से गुजरते हुए खोड़ा कालोनी साहिल पब्लिक स्कूल के पास शाम आठ बजे से चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम में पहुँचा। यहाँ विहान सांस्कृतिक टोली के कार्यकर्ताओं ने क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति से समाँ बाध दिया। वहाँ पर क्रान्तिकारी साहित्य की प्रदर्शनी भी लगाई गयी थी।
दिशा छात्र संगठन के अभिनव ने सभा को सम्बोधित करते हुए सवाल उठाया कि बर्तानवी गुलामी से आज़ादी के साठ वर्षों बाद देश आज कहाँ पहुँचा है? आँसुओं के सागर में समृद्धि के कुछ द्वीप, गरीबी, अभाव और यंत्रणा के रेगिस्तान में विलासिता की कुछ मीनारें, ऊँची विकास-दर के शोर के बीच अकूत सम्पदा की ढेरी पर बैठे मुट्ठीभर परजीवी और दूसरी ओर शिक्षा और सुविधा तो दूर, बारह-चौदह घण्टों तक हडि्डयाँ गलाने के बावजूद दो जून की रोटी भी मुश्किल से जुटा पाने वाली 40 करोड़ आबादी, 20 करोड़ बेरोजगार युवा, करोड़ों भुखमरी के शिकार बच्चे, शरीर बेचने को बेबस लाखों स्त्रियाँ। दंगों और धार्मिक कट्टरपंथ की फ़ासिस्ट राजनीति, जाति के आधार पर आम मेहनतकश जनता को बाँटने की साजिशें-यही है इक्कीसवीं सदी के “चमकते चेहरे वाले” भारत की तस्वीर। ज़ाहिर है कि इस सड़े-गले ढाँचे को मिट्टी में मिलाकर ही जनमुक्ति का स्वप्न साकार किया जा सकता है और एक नये भारत का निर्माण किया जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन राकेश ने किया।
स्मृति संकल्प यात्रा का साइकिल जुलूस अगले दिन 22 मार्च को प्रातः 9 बजे ये खोड़ा कालोनी से सेक्टर 57, 58, 59, 60, लेबर चौक, 62, ममूरा गाँव, 63, 64, 65 होते हुए छिजारसी गाँव के रास्ते गाजियाबाद में विजयनगर प्रताप विहार, शंकरपुरी, शिवपुरी, मवई, सेन कालोनी, मिर्जापुर, कृष्णापुरी होते हुए लालकुआँ आदि इलाकों से होते हुए एम.एम.एच. कालेज पहुँची। कालेज में सभा में नौजवान भारत सभा के तपीश ने बताया कि भगतसिंह ने कहा था कि हम श्रमिकों के शासन से अधिक कुछ नहीं चाहते और भगतसिंह के विचार आज पहले से ज्यादा प्रांसगिक हैं। फ़िर पूरी टीम मिलकर साइकिल जुलूस के साथ घण्टाघर पहुँची। वहाँ पर शहीद भगतसिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। उसके बाद यात्रा आगे नवयुग मार्केट, मालीवाड़ा, नेहरुनगर, मेरठ रोड होते हुए नन्दग्राम में पहुँची। वहाँ पर नुक्कड़ सभा में बात रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि शहीदों के सन्देश को जन-जन तक पहुँचाने, कल-कारखानों, खेतों-खलिहानों तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी युवाओं की ही है, वे अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह नहीं मोड़ सकते।
संजय नगर में शाम को मशाल जुलूस निकाला गया। बीच-बीच में चौराहों पर भगतसिंह के विचारों की मशाल को पूरे देश में जलाने के लिए लोगों से यात्रा में शामिल होने की बात की गई। कई नागरिक, नौजवान आकर शामिल भी हुए और सामूहिक रूप से सभी लोगों ने संकल्प लिया।
स्मृति संकल्प यात्रा 23 मार्च की सुबह राजनगर से गोविन्दपुरम, हापुड़ चुंगी, कचहरी, नये बस अड्डे, मोहन नगर, जी.टी. रोड होते हुए पुरानी सीमापुरी, नई सीमापुरी, गगन सिनेमा होते हुए अम्बेडकर कालेज के प्रांगण में पहुँची। वहाँ सभा को दिशा छात्र संगठन के योगेश और शिवार्थ ने सम्बोधित किया।
सांस्कृतिक टोली विहान ने यहाँ भी गीत प्र्रस्तुत किये। आगे साइकिल यात्रा भजनपुरा, करावल नगर के मुकुन्द विहार पहुँची जहाँ नुक्कड़ सभा के आयोजन के बाद साइकिल यात्रा आगे बढ़ते हुए तिमारपुर की झुग्गियों के रास्ते पर्चा बाँटते हुए फ़िर दिल्ली विश्वविद्यालय नार्थ कैम्पस पहुँची जहाँ विवेकानन्द की प्रतिमा पर तीन दिवसीय साइकिल यात्रा की समापन सभा हुई। सभा में योगेश, नन्दलाल, आशीष, तपीश, अभिनव, राकेश, प्रसेन आदि लोगों ने क्रान्तिकारी कविताओं के पाठ से अपने विचारों को लोगों के बीच रखा।
गोरखपुर: संकल्प मार्च व साइकिल यात्रा
दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने स्मृति संकल्प यात्रा के अन्तर्गत गोरखपुर जिले के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों तक भगतसिंह के अधूरे सपनों और उन्हें पूरा करने वाली नयी जनक्रान्ति का सन्देश पहुँचाने के लिए एक साइकिल यात्रा निकाली। यह साइकिल यात्रा दोनों संगठनों द्वारा इस अवसर पर लिए सप्ताह भर के कार्यक्रमों का हिस्सा थी।
साइकिल जत्था गोरखपुर शहर से रवाना होकर सहजनवां, घघसरा, बखिरा, मेंहदावल, कैम्पियरगंज, पीपीगंज होते हुए लगभग 100 किमी की यात्रा कर वापस गोरखपुर पहुँचा। साइकिल यात्रा के समूचे मार्ग में पड़ने वाले गाँवों-कस्बों में रुक-रुककर नुक्कड़ सभाएँ की गयीं व नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया गया। इसके साथ पोस्टर प्रदर्शनियों और व्यापक पर्चा वितरण के ज़रिये भगतसिंह के अधूरे सपनों की याद दिलायी गयी और नौजवानों तथा मेहनतकशों से पूँजीवाद-साम्राज्यवाद विरोधी नई जनक्रान्ति की तैयारियों में जुट जाने का आह्वान किया गया जिससे जनता की वास्तविक आज़ादी आये और क्रान्तिकारियों के सपने पूरे हो सकें।
इस साइकिल अभियान के दौरान प्रस्तुत किये जाने वाले नुक्कड़ नाटक को लोगों ने खूब सराहा। ‘देख फ़कीरे लोकतंत्र का फ़ूहड़ नंगा नाच’ शीर्षक इस नाटक में व्यंग्यात्मक शैली में संसदीय जनतंत्र को अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से बेनकाब किया गया है।
साइकिल यात्रा के दौरान विभिन्न जनसभाओं को सम्बोधित करते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि 1947 में प्राप्त राजनीतिक आज़ादी इस देश की आम मेहनतकश जनता की आज़ादी नहीं है। जनता के संघर्षों से ऐतिहासिक विश्वासघात करके भारत के पूँजीपति वर्ग ने ब्रिटिश औपनिवेशिक महाप्रभुओं से राजनीतिक सत्ता हथिया ली। जैसी कि भगतसिंह ने भविष्यवाणी की थी आज देशी पूँजीवाद ने साम्राज्यवाद के साथ खूनी गँठजोड़ कायम कर लिया है। वक्ताओं ने इस खूनी गँठजोड़ को ध्वस्त करने के लिए क्रान्तिकारी संघर्षों की तैयारी का आह्वान किया।
एक सप्ताह के कार्यक्रमों का समापन 23 मार्च को एक संकल्प मार्च और संकल्प सभा के आयोजन के ज़रिये हुआ। कार्यकर्ताओं की टोलियों ने गोरखपुर महानगर के विभिन्न मुहल्लों में प्रभातफ़ेरियों का आयोजन भी किया। संकल्प मार्च स्थानीय चेतना तिराहे से प्रारम्भ होकर कचहरी चौराहा-शास्त्री चौक होते हुए बेतियाहाता स्थित शहीद भगतसिंह चौक पहुँचा जहाँ प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद संकल्प सभा शुरू हुई। संकल्प सभा में वक्ताओं ने नौजवानों का आह्वान किया कि वे चुनावी राजनीतिक दलों का झण्डा फ़ेंककर भगतसिंह द्वारा दिखायी गयी क्रान्तिकारी राह पर चलें।
लखनऊ: पोस्टर व पुस्तक प्रदर्शनी और ‘जन-स्वर’
23 मार्च के अवसर पर ‘दिशा छात्र संगठन’ और ‘नौभास’ की ओर से यहाँ एक पुस्तक प्रदर्शनी, पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित की गयी और व्यापक पैमाने पर शहर के विभिन्न इलाकों में पर्चे का वितरण किया गया। इस अवसर पर लोगों ने भगतसिंह के उद्धरणों के पोस्टर भी बनवाये।
हजरतगंज कॉफ़ी हाउस की वीथिका में आयोजित इस प्रदर्शनी में ‘जनस्वर’ नाम से दर्शकों के समक्ष एक कोटेशन पर उनकी प्रतिक्रिया ली गयी। ‘जनस्वर’ नाम से इस आयोजन के तहत एक बड़े बोर्ड पर आज देश के हालात और नौजवानों की ज़िम्मेदारी पर आम जनता की प्रतिक्रिया आमंत्रित की गयी थी। प्रतिक्रिया देने में आम जनता की पहलकदमी से बोर्ड छोटा पड़ गया और आयोजकों द्वारा दूसरा बोर्ड भी उपलब्ध कराना पड़ा।
भगतसिंह के उद्धरणों पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी में भी आम जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। भगतसिंह द्वारा कही गयी बातों पर बातचीत ने एक गोष्ठी का शक्ल अख्तियार कर लिया। इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह के विचार क्षितिज पर जलती अनवरत मशाल की तरह हमें रास्ता दिखला रहे हैं। अब नौजवानों और छात्रों को नये सिरे से अपने क्रान्तिकारी संगठन बनाने होंगे, उन्हें चुनावबाज मदारियों का पिछलग्गू बनने से बचना होगा। इसके बाद जैसा कि भगतसिंह ने कहा था, छात्रों-नौजवानों को कारखाने के मज़दूरों और गाँव की झोपड़ियों तक जाना होगा और तमाम मेहनतकशों को संगठित करना होगा।
उन्होंने कहा कि भगतसिंह और उनके साथियों का सपना एक जलता हुआ प्रश्न बनकर हमारी आँखों में झाँक रहा है। उनकी विरासत हमें ललकार रही है और भविष्य हमें आवाज़ दे रहा है। एक ज़िन्दा कौम के नौजवान इसकी अनसुनी नहीं कर सकते।
वक्ताओं ने बताया कि भगतसिंह और उनके साथियों की शहादत के 76 वर्ष पूरे हो चुके हैं और जन्म के सौ वर्ष 2008 में पूरे हो रहे हैं। उनकी शहादत के 75वीं वर्षगाँठ और जन्मशताब्दी के तीन ऐतिहासिक वर्षों के दौरान नये जनमुक्ति संघर्ष की तैयारी के संकल्प और सन्देश को हमलोग देश के कोने-कोने तक पहुँचा रहे हैं। और इन तीन वर्षों को (23 मार्च 2005–28 सितम्बर 2008) हम लोगों ने ‘क्रान्तिकारी नवजागरण’ का नाम दिया है। ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ नाम से चला रहे इस आयोजन के तहत नौभास और दिशा के कार्यकर्ताओं की टोलियाँ देश के अलग-अलग हिस्सों में भगतसिंह के विचारों को पहुँचा रही है और नौजवान भारत सभा इकाइयों का गठन कर रही है। स्मृति संकल्प यात्रा के तहत भगतसिंह के अभी तक उपलब्ध समग्र दस्तावेज़ को भी प्रकाशित किया है और आम जनता तक भगतसिंह के विचारों को पहुँचाने के लिये भगतसिंह के लेखों पर आधारित छोटी-छोटी पुस्तिकाएँ भी प्रकाशित की गयी हैं।
इस अवसर पर आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी में भगतसिंह पर केन्द्रित अभी तक उपलब्ध समस्त साहित्य व पुस्तिकाएँ लगी हुई थीं, जिसमें ‘भगतसिंह की जेल नोटबुक’ के अलावा ‘भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़’, ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’, ‘बम का दर्शन’, ‘क्रान्तिकारी कार्यक्रम का मसविदा’ के अतिरिक्त जितेन्द्रनाथ सान्याल द्वारा भगतसिंह पर लिखित दस्तावेज के अतिरिक्त कई महत्वपूर्ण पुस्तकें उपलब्ध थीं।
आयोजन में विवेक, लालचंद, शालिनी, रामबाबू, रवीन्द्र, रामनिवास और नौजवान भारत सभा व दिशा के कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त बड़ी संख्या में आम जनता की मौजूदगी प्रदर्शनी के अन्त तक बनी रही।
लुधियाना: ग्रामीण क्षेत्रों में साइकिल अभियान व मज़दूर बस्तियों में विविध कार्यक्रम
“भगतसिंह को जिस दिन फ़ाँसी लगी उनकी कोठरी से लेनिन की एक किताब मिली जिसका एक पन्ना मोड़ा हुआ था। पंजाब की जवानी को उस आखिरी दिन के मोड़े हुए पन्ने से आगे बढ़ना है।”
पाश के हवाले से पंजाब के युवाओं और मेहनतकृशों को ललकारते हुए नौजवान भारत सभा ने शहीदेआज़म भगतसिंह को याद किया और उनके सपने को हिन्दुस्तान की ज़मीं पर उतारने का संकल्प लिया।
23 मार्च के अवसर पर नौजवान भारत सभा की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में साइकिल अभियान चलाया गया, लुधियाना के लक्ष्मण नगर इलाके में मज़दूरों के बीच एक मेडिकल कैम्प लगाया गया और शाम को दो नाटकों ‘गड्ढा’ और ‘इखलाक’ का मंचन किया गया। इस अवसर पर आयोजित सभा में नौ.भा.स. के संयोजक सुखविन्दर ने उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि भगतसिंह का जीवन और उनके विचार एक जलती हुई मशाल के समान हमें रास्ता दिखा रहे हैं। हमारे लिए आज का दिन केवल अनुष्ठान के लिए नहीं बल्कि संकल्प लेने का दिन है। उन्होंने कहा कि भगतसिंह के विचारों को अमल में लाते हुए हिन्दुस्तान की व्यापक मेहनतकश आबादी की मुक्ति के लिए युवाओं मेहनतकशों को कुर्बानी के लिए आगे आना होगा, और उनके सपनों के भारत का निर्माण करना होगा।
राजविन्दर ने कहा कि भगतसिंह और उनके साथियों का सपना एक जलता हुआ प्रश्न बनकर हमारी आँखों में झाँक रहा है, उनकी विरासत हमें ललकार रही है और भविष्य हमें आवाज़ दे रहा है। एक ज़िन्दा कौम के नौजवान इसे अनसुनी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि हम एक नई क्रान्ति की तैयारी के लिए, एक नये क्रान्तिकारी नवजागरण का सन्देश पूरे देश में फ़ैला देने के लिए लोगों का आह्वान कर रहे हैं।
‘स्मृति संकल्प यात्रा’ (23 मार्च 2005–28 सितम्बर 2008) के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए लखविन्दर ने कहा कि अब गाँव-गाँव और शहर-शहर में और तमाम कालेजों-विश्वविद्यालयों में नौजवानों और छात्रों को नये सिरे से अपने क्रान्तिकारी संगठन बनाने होंगे। उन्हें चुनावबाज मदारियों का पिछलग्गू बनने से बचना होगा और इसके बाद जैसा कि जेल की कालकोठरी से युवाओं को भेजे गये अपने सन्देश में भगतसिंह ने कहा था कि छात्रों-नौजवानों को कारखानों के मज़दूरों और गाँव की झोंपड़ियों तक जाना होगा और तमाम मेहनतकशों को संगठित करना होगा। सभा को अजय पाल, लालजीत आदि ने भी सम्बोधित किया।
उक्त अवसर पर आयोजित नाटकों-गीतों के मंचन और मेडिकल कैम्प में लक्ष्मण नगर के युवाओं और मज़दूरों ने भारी पैमाने पर हिस्सेदारी की।
इसके पूर्व 27 फ़रवरी से 5 मार्च तक नौभास की ओर से लुधियाना के दस गाँवों में एक साइकिल अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत गाँव-गाँव में व्यापक रूप से पर्चा वितरण किया गया और घर-घर में भगतसिंह का साहित्य पहुँचाया गया। इस साइकिल अभियान के तहत नुक्कड़ों-चौराहों पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने भगतसिंह के विचारों के बारे में लोगों को बताया और फ़ाँसी के तख्ते से दिये गये उनके सन्देश से लोगों को अवगत कराते हुए उनका आह्वान किया कि वे भगतसिंह के सपनों के हिन्दुस्तान व यहाँ की आम जनता की मुक्ति के लिए आगे आयें।
गाँव और बस्तियों में शाम को ‘गड्ढा’ और ‘इखलाक’ नामक दो नाटकों का मंचन और क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति की गयी।
पंजाब के विभिन्न इलाकों में सघन अभियान
नौजवान भारत सभा, पंजाब की संयोजन समिति की 26 जनवरी 2007 को एक विस्तारित बैठक की गयी थी। पंजाब के अलग-अलग हिस्सों, जैसे लुधियाना, मोहाली, आदमपुर, भटिण्डा, फ़रीदकोट, गोबिन्दगढ़ से नौजवान साथियों ने इस बैठक में शिरकत की। इसमें प्रस्ताव रखा गया कि शहीद भगतसिंह के जन्मशताब्दी वर्ष के मौके पर फ़रवरी-मार्च के दो महीनों के दौरान स्मृति संकल्प यात्रा के तहत ही प्रचार कार्य को तेज़ करते हुए जनता तक शहीदों का सन्देश पहुँचाया जाय। सभी उपस्थित साथियों ने एकमत होकर प्रस्ताव को पारित किया। इस फ़ैसले के तहत जो मुख्य कार्रवाइयाँ की गयीं, वे इस प्रकार हैं।
4 फ़रवरी को लुधियाना के मज़दूर इलाके गयासपुर के लक्ष्मण नगर में घर-घर जाकर लोगों को शहीदे-आज़म भगतसिंह और उनके साथियों के विचारों से परिचित कराया गया। शाम को एक नुक्कड़ नाटक पेश किया गया और सभा की गयी। इसमें कई साथियों ने सभा को सम्बोधित करते हुए मज़दूरों से भगतसिंह के विचारों को जानने और व्यवहार में लाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि मज़दूरों को जो पशुवत जीवन जीने के लिए मजबूर किया गया है वह कोई किस्मत का लेखा नहीं है, बल्कि इसका कारण इस व्यवस्था का मानव-द्रोही और अन्यायपूर्ण चरित्र है।
8 फ़रवरी को लुधियाना के ही शेरपुर इलाके में कई नुक्कड़ सभाएँ करते हुए पर्चे बाँटे गये। मज़दूरों ने वक्ताओं के भाषणों को ध्यान से सुना और उनमें से कइयों ने नौजवान भारत सभा से जुड़ने की इच्छा भी जताई।
19, 20, 21 फ़रवरी को चण्डीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में क्रान्तिकारी और प्रगतिशील साहित्य की प्रदर्शनी लगायी गयी। छात्रों ने पुस्तकों के प्रति अद्भुत उत्साह दिखाया, विशेषकर मार्क्सवाद के प्रति। बहुत से नौजवानों ने अपने पते दिये और फ़िर मिलने को कहा। उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्ययन चक्र चलाने पर भी सहमति जताई।
24 फ़रवरी से 5 मार्च तक लुधियाना जिला के पखोवाल ग्रामीण इलाके में दस दिन का प्रचार अभियान चलाया गया। इस दौरान दस गाँवों में यह प्रचार टोली भगतसिंह के आदर्शों और विचारों को लेकर गयी। गाँवों में पहले दिन भर घर-घर जाकर बातचीत की जाती थी। लोगों तक किताबें पहुँचायी जातीं और उन्हें पर्चे दिये जाते। और फ़िर शाम को किसी सार्वजनिक स्थान पर क्रान्तिकारी नाटकों और गीतों का कार्यक्रम पेश किया जाता। नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ता अपने भाषणों के जरिये भगतसिंह के मिशन और अपने लक्ष्य के बारे में बताते। फ़रवरी में ही पंजाब में विधानसभा चुनाव हुए हैं। लिहाज़ा, लोग शोर–शराबे से ऊबे हुए थे। लेकिन लोगों ने नौजवान भारत सभा की इस मुहिम के प्रति काफ़ी उत्साह दिखाया। हर गाँव में सैकड़ों की गिनती में लोग संगठन के कार्यकर्ताओं की बात सुनने पहुँचे। गाँव शाहपुर में एक व्यक्ति ने कहा कि पहले किसी कार्यक्रम में इतने लोग एकत्र नहीं हुए। दर्शकों में स्त्रियाँ भी अच्छी संख्या में मौजूद थीं। उन्होंने नौजवानों की टोली का काफ़ी उत्साहवद्धर्न किया। गाँवों में बहुत से लोगों ने अपने पते दिये और फ़िर से आने को कहा। इस मुहिम के प्रति गाँव के ग़रीबों में विशेष उत्साह देखने को मिला।
25 मार्च को शहीद भगतसिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरू की शहादत के 76 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लुधियाना के लक्ष्मण नगर में निशुल्क मेडिकल कैम्प लगवाया गया। इसमें लगभग 475 लोगों ने जाँच करवाई और दवाइयाँ लीं। जाँच करवाने वाले लगभग सभी औद्योगिक मज़दूर थे। डॉक्टरों ने बताया कि ज़्यादातर बीमारियाँ कुपोषण के कारण थीं। एक दूसरा महत्वपूर्ण कारण गन्दगी भी था। उल्लेखनीय यह है कि इस इलाके में सीवरेज की कोई सुविधा नहीं है। एक डॉक्टर ने बताया कि अमीरों में बीमारियाँ ज़्यादा भोजन से होती हैं और यहाँ मज़दूरों में खाने की कमी के कारण। जो बीमारियाँ अमीरों में पायी जाती हैं वे ग़रीबों में नहीं पायी जातीं और जो ग़रीबों में पायी जाती हैं वे अमीरों में नहीं। लुधियाना की नौजवान भारत सभा की इकाई के संयोजक सुखविन्दर ने कहा की बीमारियों की यह असमानता अमीरी-ग़रीबी की खाई की स्पष्ट तस्वीर है। मेडिकल कैम्प के बाद शाम को क्रान्तिकारी नाटकों और गीतों का कार्यक्रम पेश किया गया। पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। मज़दूरों ने शहीद भगतसिंह के जीवन और विचारों पर आधारित गुरुशरण सिंह का नाटक ‘इंकलाब ज़िन्दाबाद’ काफ़ी पसन्द किया। बच्चों ने भी गीत प्रस्तुत किये।
इसके अलावा इस दौरान तीन ट्रेन अभियान भी चलाये गये। लुधियाना से करनाल तक डिब्बे-डिब्बे जाकर यात्रियों में पर्चे बाँटे गये, बातचीत की गयी और उन्हें स्मृति संकल्प यात्रा से परिचित कराया गया। लोगों ने इस यात्रा के लिए बढ़-चढ़कर सहयोग किया। इस दौरान बस अभियान भी लगातार चलते रहे।
दिल्ली, नोएडा और ग़ाज़ियाबाद में स्मृति संकल्प यात्रा के तहत अभियान जारी
शहीदे आज़म भगतसिंह के जन्मशती वर्ष के अवसर पर दिल्ली, नोएडा और ग़ाज़ियाबाद के अलग-अलग हिस्सों में दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा की टोलियों ने ट्रेन अभियान, बस अभियान और घर-घर जाकर अभियान चलाए।
दिल्ली के आज़ादपुर एम.सी.डी. कालोनी में अप्रैल और मई के दौरान घर-घर जाकर अभियान चलाया गया। इसमें छात्रों और नौजवानों की टोली पर्चे और साहित्य लेकर लोगों के दरवाज़ों तक गयी और भगतसिंह के विचारों का प्रचार-प्रसार किया। इस दौरान कई नागरिकों ने यह पेशकश की कि टोली उनके घर जलपान करके आगे बढ़े; कई नौजवानों ने यह जानने का यत्न किया कि इस मुहिम से जुड़ने के लिए उन्हें क्या करना होगा। इसके बाद मई माह में स्मृति संकल्प यात्रा के ही तहत दिल्ली के रोहिणी के सेक्टर 15 में 15 दिन का अभियान चलाया गया जिसमें पूरे इलाके में पहले नुक्कड़ सभाएँ की गयीं और फ़िर घर-घर जाकर लोगों से मुलाकात की गयी और उन्हें इस मुहिम से परिचित कराया गया। इस बीच इस इलाके के मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स में पुस्तक प्रदर्शनी भी लगायी गयी। नौजवानों और नागरिकों में यह मुहिम जिज्ञासा का विषय बन गयी। कई लोगों ने इससे जुड़ने की इच्छा जताई।
ग़ाज़ियाबाद में नौजवान भारत सभा की इकाई ने एक विशेष अभियान चलाया। उड़ीसा में स्कूली किताबों में भगतसिंह और उनके साथियों को आतंकवादी बताया गया है। इसके विरुद्ध नौजवानों ने नौजवान भारत सभा के नेतृत्व में व्यापक अभियान चलाया और उड़ीसा सरकार का पुतला जलाया। नौजवान भारत सभा के कपिल ने बताया कि यह बेहद शर्म की बात है कि आज़ादी के 60 वर्ष बाद एक ओर तो गाँधी और नेहरू की संकलित रचनाओं से सभी पुस्तकालय पटे पड़े हैं, वहीं भगतसिंह के विचारों से जनता को अवगत कराने के लिए उनके विचारों को छापना तो दूर की बात, उन्हें आतंकवादी बताया जा रहा है। इसकी वजह साफ़ तौर पर यही है कि आज भी भगतसिंह के विचार इस व्यवस्था के लिए उतने ही घातक हैं, बल्कि और भी घातक हैं।
नोएडा में अलग-अलग इलाकों में पुस्तक प्रदर्शनियों और मज़दूर बस्तियों में अभियानों के जरिये स्मृति संकल्प यात्रा के लक्ष्यों का प्रचार-प्रसार किया गया। खोड़ा गाँव, खिजारसी गाँव और ममूरा गाँव में अभियान चलाया गया और पर्चा वितरण किया गया। इसके अतिरिक्त नोएडा की कालोनियों में भगतसिंह और उनके साथियों के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए उनकी पुस्तकों की प्रदर्शनियाँ लगायी गयीं।
सुखदेव की जन्मशती पर नौजवान भारत सभा और दिशा छात्र संगठन द्वारा व्यापक पर्चा वितरण
इस 15 मई को शहीदे आज़म भगतसिंह के साथी और ओजस्वी क्रान्तिकारी और विचारक शहीद सुखदेव का 100वाँ जन्मदिन था। इस मौके पर दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा ने दिल्ली के विभिन्न मोहल्लों और बस्तियों में व्यापक और सघन पर्चा वितरण किया। इस पर्चे में नौजवानों से यह आह्वान किया गया था कि वे शहीद सुखदेव की ही तरह समाज के प्रति सरोकार और उसकी समस्याओं को दूर करने का साहस दिखाएँ। सिर्फ़ भावनात्मक उद्वेलन कर देना ही हमारा मक़सद नहीं है। हमारा मक़सद है भगतसिंह, सुखदेव व राजगुरू जैसे अमर क्रान्तिकारियों के अधूरे संघर्ष को पूरा करना। यानी सिर्फ़ अंग्रेज़ों का शासन मिटाना नहीं बल्कि हर रंग की लूट और शोषण का ख़ात्मा करना। यह काम आज और ज़्यादा ज्वलन्त हो गया है। क्योंकि आज ग़रीबों और मेहनतकशों की लूट पहले से कहीं ज़्यादा भयंकर है।
इस अभियान को बसों में भी चलाया गया। इस पर जनता ने टोली का दिल से उत्साहवद्धर्न किया और सहयोग किया। कई नौजवानों ने बताया कि उन्हें तो मालूम भी नहीं था कि यह शहीद सुखदेव का 100वाँ जन्मदिन था। उन्होंने नौजवान भारत सभा से जुड़ने की भी इच्छा जताई। यह पूरी मुहिम स्मृति संकल्प यात्रा के ही तहत चलाई गयी।
इस दौरान दिल्ली के करावलनगर, वज़ीरपुर, बादली, आदि में घर-घर जाकर लोगों को शहीद सुखदेव के अधूरे सपनों से अवगत कराया गया। साथ ही पर्चों और साहित्य का भी वितरण किया गया। कॉलेजों आदि में भी पर्चा वितरण किया गया।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जुलाई-सितम्बर 2007
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