ब्राजील में फासिस्ट बोलसोनारो की जीत, विश्व स्तर पर नया फासिस्ट उभार और आने वाले समय की चुनौतियाँ
ब्राजील के राष्ट्रपति चुनाव में फासिस्ट बोलसोनारो की जीत ने स्पष्ट कर दिया है कि संकटग्रस्त बुर्जुआ वर्ग ने अपनी रक्षा के लिए कुत्तेु की जंज़ीर को ढीला छोड़ दिया है। दैत्य-दुर्ग के पिछवाड़े सम्भावित तूफान से आतंकित अमेरिकी साम्राज्यवाद भी इस फासिस्ट की पीठ पर खड़ा है। एक दिलचस्प जानकारी यह भी है कि जायर बोलसोनारो इतालवी-जर्मन मूल का ब्राजीली नागरिक है। उसका नाना हिटलर की नात्सी सेना में सिपाही था। ब्राजील में बोलसोनारो का सत्तारूढ़ होना अपने-आप में इस सच्चाई को साबित करता है कि तथाकथित समाजवाद का जो नया सामाजिक जनवादी मॉडल लातिन अमेरिका के कई देशों में गत क़रीब दो दशकों के दौरान स्थापित हुआ था (जिसके हमारे देश के संसदीय जड़वामन वामपन्थी भी खूब मुरीद हो गये थे), वह सामाजिक जनवादी गुलाबी लहर (‘पिंक टाइड’) भी अब उतार पर है।