अमीर और ग़रीब में बँटे हमारे समाज में स्कूल भी दोहरे स्तरों में बँटे हुए हैं। एक तरफ हैं दिल्ली पब्लिक स्कूल, केन्द्रीय विद्यालय सरीखे स्कूल तो दूसरी ओर नगर निगम और सर्वोदय विद्यालय सरीखे; एक स्कूल घुड़सवारी, स्वीमिंग पुल, हवाई जहाज प्रशिक्षण, विदेशी शिक्षक जैसी सुविधाएँ देता है तो दूसरे में पीने का पानी नहीं है, शौचालय नहीं है, शिक्षक नहीं हैं; एक स्कूल में व्यापारियों, पूँजीपतियों, बडे़ अफ़सरान के बच्चे पढ़ते हैं तो दूसरे में मज़दूरों, रिक्शा चालकों, पान की दुकान वालों के बच्चे पढ़ते हैं। यह खुद सभी नागरिकों को समान मानने वाले भारत के संविधान का उल्लंघन है, वैसे इस संविधान के बारे में जितना कम कहा जाये बेहतर है। भारतीय संविधान के दुनिया में सबसे भारी-भरकम संविधान होने का कारण यही है कि इसमें हरेक अधिकार साथ उस अधिकार को हज़म कर जाने का प्रावधान भी जोड़ा गया है!